उत्तर प्रदेश सीतापुर जिले के लोधसा गांव में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। समाधान दिवस के दौरान मेराज नामक व्यक्ति ने जिलाधिकारी अभिषेक आनंद से गुहार लगाई कि उनकी पत्नी नसीमुन रात में नागिन बनकर उनका पीछा करती है और उन्हें डसने की कोशिश करती है।
जहां आमतौर पर लोग बिजली, सड़क, राशन कार्ड जैसी समस्याएं लेकर आते हैं, वहीं मेराज ने जिलाधिकारी अभिषेक से अपनी जान बचाने की गुहार लगाई। उसने कहा कि उसकी पत्नी मानसिक रूप से परेशान है और रात में उसका पीछा करती है जैसे कोई सांप शिकार के पीछे भागता है। गुहार लगाते हुए प्रशासन से मदद की मांग की।
मेरी पत्नी मुझे रात में मारने की कोशिश करती है”
मेराज ने कहा कि वह कई बार अपनी जान बचाकर भाग चुका है। उसका आरोप है कि नसीमुन ने एक बार उसे काटने की कोशिश भी की है। उसने यह भी आरोप लगाया कि उसके ससुरालवालों को इस बारे में पहले से जानकारी थी, फिर भी उन्होंने यह शादी करवाई और उसका जीवन बर्बाद कर दिया।
सोशल मीडिया पर वायरल
इस अजीब घटना की खबर सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गई। ट्विटर (X) और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर लोग इसे 1986 की फिल्म ‘नगीना’ से जोड़कर मजाक उड़ा रहे हैं।जिसमें श्रीदेवी ने एक इच्छाधारी नागिन का किरदार निभाया था। कुछ ने लिखा शायद तुमने उसकी नागमणि छुपा दी होगी,” जबकि दूसरों ने मजाक में कहा, “तुम भी कोबरा बन जाओ!”
हालांकि, सोशल मीडिया पर हंसी-मजाक के बीच लोग यह भी जानने के लिए उत्सुक हैं कि इस दावे की हकीकत क्या है।
प्रशासन की गंभीरता – जांच के आदेश
जिलाधिकारी अभिषेक आनंद ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उप-जिलाधिकारी और कोतवाली पुलिस को जांच के निर्देश दिए। फिलहाल इसे मानसिक उत्पीड़न का मामला मानकर दोनों पक्षों की मानसिक स्थिति की जांच की जा रही है। पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है और जल्द ही कार्रवाई की उम्मीद जताई है।
मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक पहलू
यह मामला न केवल सनसनीखेज है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक कलह की जटिलताओं को भी उजागर करता है। यदि नसीमुन मानसिक रूप से परेशान हैं, तो उनके लिए उचित इलाज और परिवार का समर्थन जरूरी है। वहीं, मेराज का आरोप कि ससुरालवालों को पहले से स्थिति की जानकारी थी, पारिवारिक निर्णयों में पारदर्शिता पर सवाल उठाता है।
आगे की कार्रवाई
पुलिस और प्रशासन की जांच के बाद ही इस मामले की पूरी सच्चाई सामने आएगी। इस दौरान यह जरूरी है कि कार्रवाई निष्पक्ष और संवेदनशीलता के साथ की जाए, ताकि दोनों पक्षों को न्याय मिल सके और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को गंभीरता से लिया जा सके।
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