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November 18, 2025

Gorakhpur में अपराधियों के लिए अब बचना मुश्किल! 72 करोड़ की High-Tech Forensic Lab से ‘नो एस्केप’ सिस्टम लागू

The CSR Journal Magazine
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार, 18 नवंबर को गोरखपुर में 72.78 करोड़ रुपये की लागत से बने क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला (RFSL) के उच्चीकृत छह मंजिला भवन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि यह अत्याधुनिक फॉरेंसिक लैब पूर्वांचल और नेपाल सीमा से जुड़े मामलों में अपराध की जांच को नई गति देगी और अपराधियों के लिए बच निकलना मुश्किल हो जाएगा।

आधुनिक सुविधाओं से लैस फॉरेंसिक लैब

नवीनतम तकनीकों से सुसज्जित इस ‘ए-ग्रेड’ लैब में मोबाइल, लैपटॉप, पेन ड्राइव, सीसीटीवी और अन्य डिजिटल उपकरणों से डेटा रिकवरी की सुविधा उपलब्ध होगी। साइबर फॉरेंसिक डिविजन के साथ वॉइस एनालिसिस की सुविधा भी यहाँ है, जिससे फोन कॉल और धमकियों की वैज्ञानिक जांच संभव होगी। इसके अलावा, लैब में बैलिस्टिक जांच, विस्फोटक पदार्थों का विश्लेषण, दस्तावेज सत्यापन और वीडियो ऑथेंटिकेशन जैसी सुविधाएं भी मौजूद हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि पहले अधिकांश सैंपल लखनऊ भेजने पड़ते थे, जिससे जांच में हफ्तों या महीनों लग जाते थे। अब 90% से अधिक जांच गोरखपुर में ही संभव होगी। इससे केस चार्जशीट की प्रक्रिया में तेजी आएगी और साइबर अपराध, मर्डर, बलात्कार, आतंकवाद व बॉर्डर क्राइम जैसे गंभीर मामलों का खुलासा जल्दी होगा। पुलिस के समय और संसाधनों की भी बचत होगी।

फॉरेंसिक लैब से रोजगार और प्रशिक्षण के अवसर

मुख्यमंत्री ने बताया कि फॉरेंसिक साइंस लैब्स से युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर बनेंगे। इसके लिए लखनऊ में यूपी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस स्थापित किया गया है, जिसमें लैब टेक्नीशियन के लिए सर्टिफिकेट, साक्ष्य मिलान करने वालों के लिए डिप्लोमा और विशेषज्ञों के लिए डिग्री कोर्स चलाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अत्याधुनिक तकनीकों जैसे एडवांस डीएनए डायग्नोस्टिक, एआई, ड्रोन और रोबोटिक लैब का उपयोग कर भविष्य में हाईटेक अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकेगा।

पुलिसिंग में सुधार और कानून का पालन

सीएम ने आठ वर्षों में 2 लाख 19 हजार पुलिसकर्मियों की भर्ती का जिक्र करते हुए कहा कि यूपी में पुलिसिंग क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। इसके अलावा, प्रदेश के सात जिलों में कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया गया है, और 13 लाख से अधिक सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से सुरक्षा बढ़ाई गई है। उन्होंने पीएसी बल को पुनः सुदृढ़ करने और महिला बटालियन स्थापित करने की भी जानकारी दी।
सीएम योगी ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के लागू होने के बाद सात वर्ष से अधिक कारावास वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य कर दी गई है। इससे अपराधियों को बच निकलने का कोई मौका नहीं मिलेगा।

अपराधियों पर ‘नो एस्केप

सीएम योगी ने कहा कि पहले अपराधी साक्ष्य की कमी के कारण बच निकल जाते थे, लेकिन अब गोरखपुर की उच्चीकृत फॉरेंसिक लैब और मोबाइल फॉरेंसिक वैन के माध्यम से अपराध के कुछ ही घंटों में पुख्ता साक्ष्य जुटाए जा सकेंगे। उन्होंने इसे आधुनिक पुलिसिंग के लिए ‘गेम चेंजर’ बताते हुए कहा कि त्वरित और सटीक जांच से पीड़ित को समय पर न्याय मिलेगा।
गोरखपुर की यह उच्चीकृत फॉरेंसिक लैब पूर्वांचल क्षेत्र में अपराध जांच को त्वरित, पारदर्शी और साक्ष्य-आधारित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। डिजिटल और साइबर अपराध से लेकर हत्या और आतंकवाद तक, हर मामले में पीड़ित को समय पर न्याय दिलाने में यह लैब निर्णायक साबित होगी।
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