प्रधानमंत्री पोषण योजना (पूर्व में मिड-डे मील) के जरिए बच्चों की सेहत और शिक्षा को मजबूत बनाने की कोशिश लगातार चल रही है। अब इस योजना के वास्तविक प्रभाव, पारदर्शिता और गुणवत्ता का पता लगाने के लिए सोशल ऑडिट शुरू किया जा रहा है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) की टीम उत्तर प्रदेश के 15 जिलों में प्राथमिक विद्यालयों का सोशल ऑडिट करेगी, जिसमें बागपत जिला भी शामिल है। इस ऑडिट से यह समझने में मदद मिलेगी कि भोजन से बच्चों की सेहत कितनी सुधर रही है और समाज में किस प्रकार के सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
AMU करेगी बागपत में बड़ा सोशल ऑडिट
बागपत जिले में अकेले 80 हज़ार से अधिक बच्चे मिड-डे मील योजना के लाभार्थी हैं। इन बच्चों को बेहतर पोषण मिले, कमियों की पहचान हो सके और अच्छे कार्यों को और मजबूती मिलेI इसी उद्देश्य से AMU का समाजकार्य विभाग ऑडिट करेगा। शहर के 20 प्राथमिक स्कूलों को इस प्रक्रिया के लिए चुना जा रहा है।
मिड-डे मील की निदेशक मोनिका रानी ने बागपत के डीएम, सीडीओ और बीएसए को जानकारी देते हुए बताया कि ऑडिट के लिए सबसे अधिक और सबसे कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को शामिल करना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही, एक मदरसा, एक सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालय और एक सरकारी विद्यालय का चयन भी जरूरी है ताकि सभी श्रेणियों की स्थिति स्पष्ट रूप से सामने आ सके।
सोशल ऑडिट में किन पहलुओं की होगी जांच?
ऑडिट टीम जमीनी स्तर पर पहुंचकर पीएम पोषण योजना के हर घटक का सत्यापन करेगी। इसमें शामिल होंगे:
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स्कूल के प्रधानाचार्य और शिक्षकों से बातचीत
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छात्रों के अनुभव और उपस्थिति के आंकड़े
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रसोइयों का प्रशिक्षण तथा भोजन की गुणवत्ता
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विद्यालय प्रबंध समिति और ग्राम सभा के सदस्य
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अभिभावकों के सुझाव और शिकायतें
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राशन डीलरों से आपूर्ति संबंधी विवरण
इन सभी सूचनाओं को रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा। ऑडिट का मसौदा तैयार होने के बाद इसे ग्राम सभा की खुली बैठक में पढ़कर सुनाया जाएगा ताकि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहे।
बच्चों की सेहत, उपस्थिति और भोजन की गुणवत्ता पर खास फोकस
सोशल ऑडिट के दौरान यह भी जांचा जाएगा कि भोजन मिलने के बाद बच्चों की सेहत में क्या बदलाव आया है और क्या इससे स्कूलों में उनकी उपस्थिति में वृद्धि हुई है। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि रसोइयों को उचित प्रशिक्षण मिला है या नहीं और क्या भोजन में पोषण मानकों का पालन किया जा रहा है। समुदाय की भागीदारी इस प्रक्रिया को और मजबूत बनाती है, क्योंकि इससे स्थानीय समस्याओं का सबसे सटीक आकलन हो पाता है।
क्यों किया जा रहा है सोशल ऑडिट?
सोशल ऑडिट का मूल उद्देश्य योजना को लागू करने वाली एजेंसियों को जवाबदेह बनाना है। इसके साथ ही—
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समानता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना
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कमियों की पहचान और निस्तारण
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समुदाय को योजना से जोड़ना
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शिक्षा और पोषण दोनों में सुधार लाना
बच्चों के विकास से जुड़े इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में पारदर्शिता बेहद आवश्यक है, और सोशल ऑडिट इसी दिशा में उठाया गया कदम है।
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