चक्रवात निसर्ग ये कोई पहला तूफान नहीं था, इसके पहले भी कई तूफान आये और तबाही के निशान और जिंदगी भर का दर्द दे गए। निसर्ग के बाद भी चक्रवात आते रहेंगे और जानमाल का नुकसान करते रहेंगे। लेकिन इन सब के बीच हमारी और सरकारों की क्या तैयारियां है ये सबसे बड़ा सवाल है। पर्यावरण से छेड़छाड़ होने की वजह से तूफान और उग्र हो जाता है। चक्रवात अप्रत्याशित होते हैं। ऐसी आपात स्थितियों के लिए तैयार रहना राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन प्रतिक्रिया टीमों के लिए और मानवीय संगठनों के बेहद जरुरी है।
बुधवार को महाराष्ट्र और गुजरात के समुद्री तटों से चक्रवात निसर्ग टकराया। इसके बाद तूफान कमजोर पड़ा गया जिसकी वजह से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। तूफान के कारण 196 जगहों पर पेड़ गिरने की घटनाएं हुईं। वहीं 9 स्थानों पर मकान के हिस्से ढह गए। इसके अलावा शहर के 39 जगहों पर शॉर्ट सर्किट हुआ। गनीमत है निसर्ग तूफान के कारण लोगों के जान की क्षति नहीं हुई है। निसर्ग तूफान का मुंबई के लिए खतरा लगभग खत्म हो चुका है। वहीं मुंबई के ज्यादातर इलाकों में तेज हवाओं के साथ बारिश जारी रहेगी।
चक्रवात प्रवण क्षेत्रों में भविष्य के लिए तैयारी कैसे करें
चक्रवात को झेल सकें ऐसे इंजीनियर संरचनाओं का निर्माण करना चाहिए। सरकारों को मजबूत सामुदायिक भवनों का निर्माण करवाना चाहिए जो प्रत्येक चक्रवात-ग्रस्त क्षेत्र में खड़ा किया जाना चाहिए, जिसका उपयोग चक्रवातों के दौरान आश्रय के रूप में किया जा सकता है। इन इमारतों को कई दिनों तक बड़ी संख्या में लोगों को घर देने में सक्षम होना चाहिए।
ग्रीन बेल्ट का निर्माण करना चाहिए
पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ का सीधा मतलब है कि हम आने वाले भविष्य के लिए संकट पैदा कर रहें है। पेड़ों की कटाई, मैंग्रोज को नष्ट कर उनपर निर्माण करना ये सब न्यौता होता है जिसकी वजह से प्रकृति विकराल रूप अख्तियार करती है और इस तरह के चक्रवात को मानव जाति झेलती है। लिहाजा इन क्षेत्रों को ग्रीन बेल्ट में परिवर्तित किया जाना चाहिए जो चक्रवातों के लिए एक रिपेरियन बफर प्रदान कर सकते हैं और उन्हें ग्रीन ज़ोन से परे क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने से रोक सकते हैं।
निसर्ग तूफान के बाद क्या करें
भले ही निसर्ग तूफान का खतरा टल गया हो लेकिन एहतियात बरतने की जरूरत है। चक्रवात के बाद अगर आप घर से बाहर निकल रहें है तो आपको कुछ सावधानियां बरतने की जरूर है। बाहर जाने से पहले क्षतिग्रस्त बिजली-लाइनों, पुलों, पेड़ों और बाढ़ के पानी से सावधान रहें। तूफान के बाद हुए नुकसान का आकलन करें। बिजली उपकरणों को चालू करने से पहले नुकसान की जाँच करें। गीले होने की स्तिथि में उपकरणों का उपयोग न करें।
तूफानों के नुकसान से बचने के लिए करें तैयारियां
मुंबई में 1891 के बाद कोई बड़ा चक्रवाती तूफान नहीं आया था। मुंबई में 2005 में भयंकर बाढ़ आई थी और उसके बाद 2017 और 2019 में भी शहर जलमग्न हो गया था लेकिन इसका कारण चक्रवात नहीं था। लेकिन निसर्ग जब आने की जानकारी मिली तब प्रशासन अलर्ट हो गया और समय रहते डिजास्टर की पूर्व नियोजित उपाय किये और यही कारण रहा कि जानमाल का कम से कम नुकसान हो पाया। प्रशासन की अपील के बाद कि जनता अपने घरों में ही रहें। ये हम सब ने माना इसके साथ ही सेंट्रल रेलवे ने मुंबई से निकलने और वहां आने वाली कुल आठ ट्रेनों की टाइमिंग बदल दी। दिन में निकलने वाली इन ट्रेनों का वक्त बदलकर रात में शेड्यूल कर दिया गया। मुंबई एयरपोर्ट से कई विमानों को डाइवर्ट तो 15 से ज्यादा विमानों को रद्द किया गया।
लोगों के समुंद्र के पास जाने पर पाबंदी
मुंबई में तूफान से निपटने और जान माल के नुकसान को रोकने के लिए पक्के इंतजाम किए गए। मुंबई में धारा 144 लगाई गई। लोगों से सैर-सपाटे के लिए समुद्री तटों पर नहीं जाने को कहा गया । पार्कों में जाने पर रोक लग गयी। चक्रवात निसर्ग के कारण उत्पन्न हुई परिस्थितियों से निपटने के लिए वेस्टर्न नेवल कमांड ने अपनी सभी टीमों को सतर्क कर दिया था।
तटीय इलाकों से निकालकर सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया
निसर्ग चक्रवात को देखते हुए गुजरात में 20 हजार लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित जगहों भेजा गया। महाराष्ट्र के पालघर जिले में निसर्ग तूफान के खतरे को देखते हुए तटीय इलाकों से 21 हजार से ज्यादा लोगों को बाहर निकाला गया। इन सभी को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। इन्हीं सब उपायों से तूफ़ान के नुकसान को कम किया जा सकता है।