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November 12, 2025

क्या सच में उम्र के साथ दिमाग और तेज होता है? University की नई Study ने पलट दी पुरानी सोच

The CSR Journal Magazine
हम अक्सर सुनते हैं कि युवावस्था यानी 20 से 25 की उम्र तक इंसान का दिमाग सबसे तेज होता है। स्कूल-कॉलेज के दिनों से ही हमें सिखाया गया है कि यही वो दौर है जब सीखने, समझने और याद रखने की क्षमता अपने शिखर पर होती है। लेकिन अब विज्ञान ने इस पुरानी धारणा को पूरी तरह पलट दिया है। यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया (University of Western Australia) के वैज्ञानिकों की नई स्टडी के अनुसार, 55 से 60 साल की उम्र में इंसान का दिमाग अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता पर होता है। यानी सोचने, समझने और सही निर्णय लेने की ताकत इसी उम्र में सबसे अधिक होती है।

उम्र बढ़ने से दिमाग कमजोर नहीं, बल्कि ‘समझदार’ बनता है

अक्सर लोग मानते हैं कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, इंसान का दिमाग कमजोर होने लगता है। लेकिन जर्नल इंटेलिजेंस में प्रकाशित इस नई स्टडी ने साबित किया कि यह सोच गलत है। शोधकर्ताओं का कहना है कि उम्र बढ़ने के साथ हमारा दिमाग सिर्फ अनुभव जमा नहीं करता, बल्कि उन्हें उपयोग में लाकर समझदारी और निर्णय क्षमता को और मजबूत करता है। जवान लोगों के पास भले ही ऊर्जा और तेज प्रतिक्रिया की क्षमता होती है, लेकिन 50 के बाद की उम्र में सोचने का तरीका ज्यादा शांत, संतुलित और परिपक्व हो जाता है।

हर दशक में बदलती है दिमाग की ताकत

अध्ययन में यह भी बताया गया कि हर उम्र में दिमाग की अपनी अलग भूमिका होती है:
  • 20 से 30 साल: तेजी से सीखने और याद रखने की क्षमता सबसे अधिक।
  • 35 से 45 साल: परिस्थिति को गहराई से समझने और विश्लेषण करने की क्षमता विकसित होती है।
  • 45 से 60 साल: सही निर्णय लेने और तार्किक सोचने का बेहतरीन संतुलन।
  • 60 से 75 साल: भावनात्मक स्थिरता और आत्मनियंत्रण में वृद्धि।
  • 75 के बाद: सही और गलत की पहचान और स्पष्ट हो जाती है।
इस तरह, हर उम्र अपने साथ एक नई बुद्धिमत्ता लेकर आती है।

क्यों 55 की उम्र में होता है दिमाग सबसे परिपक्व?

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि 55 साल तक इंसान जीवन के अनेक अनुभवों से गुजर चुका होता है असफलताओं, रिश्तों और काम के उतार-चढ़ाव से सीखी बातें उसकी सोच को गहराई देती हैं। इस उम्र में व्यक्ति न तो भावनाओं के वश में होकर निर्णय लेता है, न ही जल्दबाजी करता है। वह हर स्थिति का विश्लेषण करके ठोस और व्यावहारिक फैसला लेता है। यानी इस उम्र में दिमाग तेज तो होता ही है, साथ ही ज्यादा संतुलित और विवेकपूर्ण भी बन जाता है।

याददाश्त घटती नहीं, सोचने का तरीका बदलता है

यह धारणा भी गलत है कि बढ़ती उम्र के साथ याददाश्त कमजोर हो जाती है। शोध के अनुसार, उम्र के साथ दिमाग सिर्फ अपनी रणनीति बदलता है,अब वह चीजों को याद रखने से ज्यादा उन्हें समझने और जोड़ने पर ध्यान देता है। यानी समझदारी घटती नहीं, बल्कि विकसित होती है। इसीलिए बुजुर्ग लोग भावनात्मक रूप से अधिक स्थिर और व्यावहारिक निर्णय लेने में माहिर होते हैं।

अनुभव है असली ताकत

50 के बाद का जीवन अनुभवों का खजाना होता है। इस उम्र में व्यक्ति समाज, रिश्तों और जीवन की सच्चाइयों को बेहतर समझ चुका होता है। यही कारण है कि उसके फैसले अधिक गहरे और स्थायी होते हैं। इस स्टडी का सार यही है कि उम्र बढ़ना कमजोरी नहीं, बल्कि विकास की प्रक्रिया है। युवा जहां ऊर्जा का प्रतीक हैं, वहीं 55 के बाद की उम्र ज्ञान, विवेक और समझदारी का संगम है।
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