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December 1, 2025

Mokshada Ekadashi 2025: जानिए भद्रा से जुड़ी सावधानियों के साथ कैसे पाएं पापमुक्ति और भगवान विष्णु की कृपा

The CSR Journal Magazine
1 दिसंबर 2025 को मार्गशीर्ष माह की शुक्लपक्ष की एकादशी, जिसे मोक्षदा एकादशी कहा जाता है, मनाई जा रही है। हिन्दू मान्यता के अनुसार, इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने से जीवन के सारे दोष मिट जाते हैं और व्यक्ति सभी सुखों का अनुभव करते हुए अंत में मोक्ष प्राप्त करता है। यह दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा, जप और ध्यान के लिए समर्पित है।

मोक्षदा एकादशी का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, मोक्षदा एकादशी 30 नवंबर 2025, रविवार को शाम 9:29 बजे से शुरू होकर 1 दिसंबर 2025, सोमवार की शाम 7:01 बजे तक रहेगी। इस दौरान भद्रा का साया रहेगा, जो सुबह 8:20 बजे से शाम 7:01 बजे तक रहेगा। व्रत का पारण अगले दिन, 2 दिसंबर, मंगलवार को प्रात: 6:57 से 9:03 बजे तक किया जा सकता है।

व्रत का धार्मिक महत्व

मोक्षदा एकादशी व्रत का पालन करने से व्यक्ति के जीवन के सभी दुःख और कष्ट दूर होते हैं। भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति के पाप क्षय हो जाते हैं और वह मोक्ष की प्राप्ति के योग्य बनता है। इस व्रत से विष्णु तीर्थ दर्शन और पूजन का पुण्यफल भी मिलता है।

व्रत की पूजा विधि और उपाय

इस दिन व्रतकर्ता को तन-मन से पवित्र होकर पीले वस्त्र पहनने चाहिए। घर के ईशान कोण में पीले आसन पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। इसके बाद शुद्ध जल छिड़कें और फल, फूल, धूप-दीप अर्पित करें। विशेष रूप से गाय के दूध में केसर और तुलसी के पत्ते मिलाकर भगवान को अर्पित करना शुभ माना जाता है। पूजा समाप्ति के बाद व्रत की कथा सुनें और अंत में आरती जरूर करें।

पारण का सही समय और विधि

हिंदू मान्यता के अनुसार व्रत अधूरा माना जाता है जब तक इसका पारण विधिपूर्वक न किया जाए। इस वर्ष मोक्षदा एकादशी का पारण 2 दिसंबर, मंगलवार को प्रात: 6:57 से 9:03 बजे तक किया जा सकता है। पारण के समय सूर्य को अर्घ्य देने के बाद भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता की पूजा करनी चाहिए। तुलसी पत्तियों सहित सत्त्विक भोजन अर्पित करें और प्रसाद बांटें।

दान का विशेष महत्व

द्वादशी तिथि पर दान करना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है। इस दिन अनाज, वस्त्र या धन का दान गरीबों और मंदिरों में करना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि दान करने से व्रत का पूर्ण पुण्य प्राप्त होता है, आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं और समृद्धि बढ़ती है।

भद्रा का सावधानीपूर्ण पालन

इस वर्ष भद्रा का साया 1 दिसंबर सुबह 8:20 बजे से शाम 7:01 बजे तक रहेगा। इस अवधि में पूजा-पाठ से जुड़े महत्वपूर्ण कार्य नहीं करने चाहिए। भद्रा समाप्त होने के बाद ही व्रत कथा का पाठ और पूजा करना उत्तम माना जाता है।

मोक्षदा एकादशी की कथा

पुराणों के अनुसार, गोकुल नगर में वैखानस नामक राजा ने अपने पिता को नरक में पीड़ित देखा। उन्होंने ऋषि पर्वत मुनि से परामर्श लिया और मोक्षदा एकादशी व्रत का पालन किया। व्रत और पुण्य कार्यों के परिणामस्वरूप उनके पिता को नरक से मुक्ति मिली और वे स्वर्ग लोक में पहुंचे। इस कथा से यह सिखने को मिलता है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने वाला व्यक्ति जीवन में पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर सकता है।

विशेष आध्यात्मिक लाभ

जो व्यक्ति मोक्षदा एकादशी व्रत विधिपूर्वक रखता है, उसे जीवन में सभी सकारात्मक फल मिलते हैं। इस व्रत से ज्ञान, संतान सुख, विवाह में बाधाओं का निवारण और अंत समय में मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है। इस तरह मोक्षदा एकादशी 2025 न केवल व्रतियों के लिए पापों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति का अवसर है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और भगवान विष्णु की विशेष कृपा का भी मार्ग है।
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