भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों में हंपि का विजय विट्टला मंदिर अपनी भव्यता और अनोखी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर कर्नाटक के हंपि में तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित है और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। मंदिर भगवान विष्णु के अवतार विट्टला को समर्पित है और इसके अद्वितीय पत्थर के निर्माण और वास्तुकला की बारीकियां देखते ही बनती हैं।
इतिहास और पौराणिक महत्व
विजय विट्टला मंदिर का निर्माण 15वीं सदी में राजा देव राय द्वितीय के शासनकाल में हुआ था। बाद में सम्राट कृष्णदेवराय ने इसे और भव्य बनाया। मंदिर की स्थापना भगवान विष्णु के विट्टला रूप को आवास देने के लिए की गई थी। पौराणिक कथा अनुसार हंपि का क्षेत्र रामायण की कथा से जुड़ा है, जहां राम और लक्ष्मण ने सिता की खोज के दौरान किष्किंधा वIनर राज्य में ठहराव किया।
भव्य द्रविड़ शैली की वास्तुकला
मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली में है और इसमें कई मंडप, प्रांगण और पविलियन शामिल हैं। मंदिर में मुख्य आकर्षण हैं:
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महा मंडप (सभामंडप): विशाल सजावट वाली संरचना, 40 स्तंभों और 16 केंद्र स्तंभों में नृसिंह और यली की मूर्तियां।
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रंग मंडप: 56 संगीत स्तंभ, जिन्हें हल्के थपथपाने पर संगीत के सुर उत्पन्न होते हैं।
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कलात्मक पत्थर के शिल्प: दिव्य मूर्तियां, नर्तकियां और युद्ध दृश्य।

