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December 18, 2025

क्या आपने कभी पत्थर से संगीत सुना है? आइए जानते हैं हंपि के इस मंदिर का रहस्य जहां के स्तंभ छूते ही बजते हैं सुर

The CSR Journal Magazine
भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों में हंपि का विजय विट्टला मंदिर अपनी भव्यता और अनोखी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर कर्नाटक के हंपि में तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित है और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। मंदिर भगवान विष्णु के अवतार विट्टला को समर्पित है और इसके अद्वितीय पत्थर के निर्माण और वास्तुकला की बारीकियां देखते ही बनती हैं।

इतिहास और पौराणिक महत्व

विजय विट्टला मंदिर का निर्माण 15वीं सदी में राजा देव राय द्वितीय के शासनकाल में हुआ था। बाद में सम्राट कृष्णदेवराय ने इसे और भव्य बनाया। मंदिर की स्थापना भगवान विष्णु के विट्टला रूप को आवास देने के लिए की गई थी। पौराणिक कथा अनुसार हंपि का क्षेत्र रामायण की कथा से जुड़ा है, जहां राम और लक्ष्मण ने सिता की खोज के दौरान किष्किंधा वIनर राज्य में ठहराव किया।

भव्य द्रविड़ शैली की वास्तुकला

मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली में है और इसमें कई मंडप, प्रांगण और पविलियन शामिल हैं। मंदिर में मुख्य आकर्षण हैं:
  • महा मंडप (सभामंडप): विशाल सजावट वाली संरचना, 40 स्तंभों और 16 केंद्र स्तंभों में नृसिंह और यली की मूर्तियां।
  • रंग मंडप: 56 संगीत स्तंभ, जिन्हें हल्के थपथपाने पर संगीत के सुर उत्पन्न होते हैं।
  • कलात्मक पत्थर के शिल्प: दिव्य मूर्तियां, नर्तकियां और युद्ध दृश्य।

संगीत करने वाले स्तंभ – चमत्कारिक ध्वनि

रंग मंडप में 56 स्तंभ हैं जिन्हें “सारेगामा स्तंभ” कहा जाता है। इन स्तंभों को हल्के से छूने पर विभिन्न संगीत सुर निकलते हैं। प्रत्येक मुख्य स्तंभ सात छोटे स्तंभों से घिरा हुआ है, जो अलग-अलग वाद्ययंत्रों के स्वर पैदा करते हैं। अंग्रेजों ने भी इस रहस्य को जानने के लिए कुछ स्तंभ काटे, लेकिन पाया कि स्तंभ पूर्ण पत्थर के बने हैं और उनके अंदर कोई गुप्त यंत्र नहीं है।

पत्थर की रथ – अद्भुत निर्माण

विजय विट्टला मंदिर का पत्थर का रथ, जिसे रथ या स्टोन चैरियट कहते हैं, मंदिर परिसर में एक अनोखा दृश्य प्रस्तुत करता है। यह रथ भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ को समर्पित है और मूल रूप से घूमने योग्य था। रथ की दीवारों पर युद्ध और पौराणिक दृश्य उकेरे गए हैं। यह रथ कनार्क सूर्य मंदिर से प्रेरित होकर बनाया गया था और आज भी इसकी वास्तुशिल्पीय सुंदरता को देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

वर्तमान स्थिति और संरक्षण

मंदिर आज आंशिक रूप से खंडित है। केंद्रीय पश्चिमी हॉल पहले मुघलों के हमले में नष्ट हो गया था। पत्थर की रथ के पहियों को अब स्थिर कर दिया गया है ताकि वे क्षतिग्रस्त न हों। रंग मंडप के संगीत स्तंभों को अब छूने की अनुमति नहीं है। मंदिर परिसर में फ्लडलाइट्स की व्यवस्था की गई है, जिससे रात में मंदिर और भी आकर्षक दिखाई देता है।
विजय विट्टला मंदिर, हंपि, न केवल भारत की प्राचीन वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण है, बल्कि इसकी संगीत करने वाली स्तंभें और पत्थर की रथ इसे विश्वभर में प्रसिद्ध बनाती हैं। यह मंदिर Vijayanagara साम्राज्य की वास्तुकला और शिल्पकला की अद्भुत प्रतिभा का प्रतीक है।
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