Home हिन्दी फ़ोरम यूं ही कोई रतन टाटा नहीं बन जाता…

यूं ही कोई रतन टाटा नहीं बन जाता…

549
0
SHARE
 
देश के सबसे बड़े और सबसे लोकप्रिय कारोबारी रतन टाटा (Ratan Tata) का आज 85वां जन्मदिन हैं। रतन टाटा (Ratan Tata) एक ऐसी शख्सियत जिनका हर कोई सम्मान करता है। एक ऐसे बिजनेसमैन जो देश को पहले और बाकी सब को बाद में रखते है। रतन टाटा न केवल एक बिजनेसमैन हैं बल्कि एक दरियादिल इंसान हैं। बिजनेस के साथ-साथ समाज सेवा में उनके कामों की खूब चर्चाएं होती हैं। रतन टाटा लगातार लोक सेवाओं से जुड़े रहें हैं। रतन टाटा ने अपनी पूरी जिंदगी समाज सेवा में लगा दी। शायद यही कारण है कि रतन टाटा कि आज सोशल मीडिया पर उन्हें जन्मदिन (Ratan Tata Birthday) की बधाई देने वालों का तांता लगा है। देश का हर छोटा-बड़ा कारोबारी, युवा उन्हें अपना आदर्श मानता है। लेकिन यूं ही कोई रतन टाटा नहीं बन जाता…

रतन टाटा अपनी कमाई का 65 फीसदी हिस्सा कर देते हैं दान

रतन टाटा के पास बेशुमार दौलत है, लेकिन इसके बावजूद वो दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में नहीं आते। दरअसल रतन टाटा अपनी कमाई का 65 फीसदी हिस्सा दान कर देते हैं। उनकी कंपनी का जो भी प्रॉफिट होता है वो उसे समाज कल्याण के लिए दान कर देते हैं। ये पैसा उनकी निजी फाइनेंशियल स्टेटमेंट में दर्ज नहीं होता है। इसलिए रतन टाटा की निजी संपत्ति 100 करोड़ से ऊपर नहीं जाती है। रतन टाटा ने जब अपनी कंपनी से करियर शुरू किया तो वो चाहते तो अच्छी पोस्ट पर आ सकते थे, लेकिन फिर भी उन्होंने फैक्ट्री मजदूरों के साथ काम शुरू किया। कहते हैं कि वो इसके जरिए जानना चाहते थे कि आखिर मजदूरों की जिंदगी क्या है और उनके परिवार को इस बिजनेस को खड़ा करने में कितनी मेहनत लगी। आप जानकर हैरान होंगे कि टाटा स्टील की जमशेदपुर ब्रांच में उन्होंने मजदूरों के साथ काम किया।

टाटा समूह के सबसे सफल अध्यक्ष रहें रतन टाटा

रतन टाटा के लिए साल 1991 बेहद अहम रहा है। उन्हें टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप के अहम जिम्मेदारी दी गई । रतन टाटा की लीडरशिप में टाटा समूह ने खूब तरक्की की। आज टाटा आपकी किचन से लेकर आसमान और समंदर तक फैले हैं। रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ने कई कंपनियों का अधिग्रहण किया है। उनके लीडरशिप में नौ साल में टाटा समूह ने 36 से अधिक कंपनियों का अधिग्रहण कर दिया। इस अधिग्रहण में कोरस स्टील से लेकर जगुआर और लैंड रोवर जैसी बड़ी कंपनियां शामिल है। रतन टाटा की चाहत रही कि भारत के मध्यम वर्ग के लोगों के पास अपनी कार हो, इसलिए उन्होंने लखटकिया कार नैनो लॉन्च किया।

रतन टाटा का कुछ यूं था जीवन

उनकी शख्सियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके फैंस उन्हें भारत रत्न दिए जाने के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं। जब भी उनके बारे में चर्चा होती है तो एक सवाल जरूर उठता है कि उन्होंने शादी क्यों नहीं की। खासतौर पर सोशल मीडिया पर, यह चर्चा का विषय बन जाता है। रतन टाटा ने खुद इसका जवाब दिया है। उन्होंने अपनी लव स्टोरी के अलावा जीवन के कई दिलचस्प पहलू शेयर किए। रतन टाटा कहते हैं कि ‘मेरा बचपन अच्छा था। जैसे-जैसे मैं और मेरे भाई बड़े हुए, हम दोनों को माता-पिता के तलाक के कारण दिक्कतें उठानी पड़ीं। वो ऐसा दौर था जब तलाक आज की तरह एक सामान्य और आम सी बात नहीं हुआ करती थी। ऐसे वक्त में हमारी दादी ने हमारा हर तरह से ख्याल रखा। जब मेरी मां की दोबारा शादी हुई तो स्कूल में लड़के कई तरह की बातें किया करते थे। वो हमें परेशान करते थे। दादी ने हमें ऐसे हालातों से निपटना सिखाया। उन्होंने हमेशा बताया कि हमें शांत कैसे रहना है। हमें हर कीमत पर अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखनी है।’

रतन टाटा अपने जीवन के किस्सों को कुछ ऐसे किया बयां

रतन टाटा ने अपने पिता से हुए मतभेदों का भी जिक्र करते हुए बताया है कि ‘मैं हमेशा से वायलिन सीखना चाहता था पर पिता चाहते थे कि मैं पियानो सीखूं। मैं हायर स्टडी के लिए अमेरिका जाना चाहता था, लेकिन वो चाहते थे कि मैं ब्रिटेन जाकर पढ़ाई करूं। मुझे आर्किटेक्ट बनने में दिलचस्पी थी, लेकिन पिता का कहना था कि मैं इंजीनियर क्यों नहीं बनना चाहता।’ इस विरोधाभास के बाद भी आखिर रतन टाटा के दिल की एक इच्छा पूरी हुई और वो पढ़ाई के अमेरिका पहुंचे। यहां की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिला। रतन टाटा ने इसका श्रेय अपनी दादी को दिया। वह कहते हैं, ‘मैंने दाखिला तो मैकेनिकल इंजीनियरिंग में लिया था, लेकिन बाद में मैंने डिग्री आर्किटेक्चर की ली। पढ़ाई के बाद लॉस एंजेलिस में नौकरी की शुरुआत की और करीब दो साल तक काम किया।’

जब Ratan Tata को प्यार हुआ

वो कहते हैं, ‘वो बहुत अच्छा समय था। मौसम भी खूबसूरत था। मेरे पास गाड़ी थी। नौकरी से भी प्यार था। उसी शहर में मुझे मेरी मनपसंद लडकी मिली और प्यार हो गया। मैं उससे शादी करने वाला ही था कि तभी भारत वापस लौटने का फैसला लिया क्योंकि मेरी दादी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता था। मैंने यह सोचकर लौटने की योजना बनाई कि जिस लड़की से मैं शादी करना चाहता हूं वो भी मेरे साथ भारत आ जाएगी। 1962 में भारत-चीन की हुई जंग के बाद उस लड़की के माता-पिता नहीं चाहते थे कि वो भारत आए। इस तरह यह रिश्ता टूट गया और फिर रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की।

जिंदगी के आखिरी साल स्वास्थ्य के नाम समर्पित

रतन टाटा ने अपनी जिंदगी को अब स्वास्थ्य (Tata Memorial Cancer Hospital) के लिए समर्पित कर दिया है। दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा ने हालही में कहा था कि “उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी वर्षों को हेल्थ के लिए समर्पित कर दिया है। एक सुई से लेकर जहाज तक बनाने वाली कंपनी टाटा का बेहद अहम चेहरा और टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा ने अप्रैल महीने में असम में पीएम मोदी के साथ मिलकर ने 7 हाईटेक कैंसर सेंटर्स का उद्घाटन भी किया था।