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November 6, 2025

राजस्थान में बढ़ते Road Accidents पर हाईकोर्ट सख्त — दो हफ्तों में 100 मौतें, Court ने खुद लिया Suo Moto Cognizance

The CSR Journal Magazine
राजस्थान में लगातार हो रहे Road Accidents और बढ़ती मौतों पर अब न्यायपालिका ने सख्त रुख अपनाया है। राज्य में बीते दो हफ्तों में करीब 100 लोगों की जान जाने के बाद Rajasthan High Court ने इस गंभीर स्थिति पर Suo Moto Cognizance लेते हुए राज्य सरकार और केंद्र से जवाब तलब किया है। अदालत ने कहा कि सड़क हादसों की “Alarming Frequency” अब एक बड़े संस्थागत और नीतिगत हस्तक्षेप की मांग करती है।

दो हफ्तों में सौ मौतें — कोर्ट ने जताई गहरी चिंता

राजस्थान हाईकोर्ट की बेंच, जिसमें Justice Pushpendra Singh Bhati और Justice Anuroop Singhi शामिल हैं, ने मीडिया रिपोर्ट्स का संज्ञान लेते हुए कहा कि “यह बेहद चिंताजनक है कि मात्र दो हफ्तों में एक सौ से अधिक लोगों की मौत सड़क हादसों में हो चुकी है।” कोर्ट ने कहा, “राजस्थान की सड़कों पर मानव जीवन का बार-बार यूं खत्म होना न्यायालय के लिए अत्यंत चिंता का विषय है। प्रमुख दैनिक अखबारों में प्रकाशित लगातार रिपोर्टें यह दर्शाती हैं कि राज्य में सड़क दुर्घटनाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।”
Bench ने केंद्र और राज्य सरकारों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है कि उन्होंने अब तक सड़क सुरक्षा को लेकर कौन-कौन से कदम उठाए हैं और आगे क्या ठोस योजनाएं हैं जिससे ऐसे हादसों में कमी लाई जा सके। अदालत ने कहा कि इन मौतों का कारण सिर्फ तेज रफ्तार नहीं बल्कि negligence, poor traffic management और lack of enforcement of road safety norms भी है।

“Insensitivity और Negligence” ने बढ़ाई समाज की पीड़ा: कोर्ट

अदालत ने अपने आदेश में यह भी टिप्पणी की कि नागरिकों में road safety को लेकर लापरवाही और असंवेदनशीलता समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। कोर्ट ने कहा, “यह बेहद दुखद है कि जिस देश में मानव संसाधन को सर्वोच्च मूल्य माना जाता है, वहीं नागरिकों में सार्वजनिक और सड़क सुरक्षा के प्रति फैली widespread apathy और negligence सामाजिक पीड़ा को और बढ़ा रही है।” न्यायालय ने यह भी कहा कि यह असंवेदनशीलता अब सिर्फ आम जनता तक सीमित नहीं रही, बल्कि regulatory authorities यानी नियामक संस्थाओं के कामकाज में भी इसका असर देखने को मिल रहा है। कोर्ट ने कहा, “समाज के कुछ वर्गों की बढ़ती असंवेदनशीलता अब उन नियामक संस्थाओं तक भी पहुंच चुकी है, जिनका काम इन हादसों को रोकने के लिए चौकसी रखना है।”

सिस्टम में खामी?, सरकार से मांगा Action Plan

कोर्ट ने कहा कि उपलब्ध तथ्यों से यह साफ है कि सड़क हादसे केवल व्यक्तिगत लापरवाही का परिणाम नहीं हैं, बल्कि यह एक broader systemic issue है, जिसमें प्रशासनिक, नीतिगत और जनजागरूकता की कमी साफ झलकती है।
अदालत ने State Transport Department, Police Administration, Public Works Department, और Union Ministry of Road Transport and Highways को निर्देश दिया है कि वे जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट पेश करें और बताएं कि सड़क सुरक्षा और public safety mechanism को सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को अब केवल Awareness Campaigns पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि enforcement, traffic surveillance systems, और emergency response infrastructure को मज़बूत करना होगा।

“हर मौत एक चेतावनी है” — अदालत का सख्त संदेश

अंत में अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हर सड़क हादसे में खोया हुआ जीवन केवल एक आंकड़ा नहीं बल्कि समाज और व्यवस्था के लिए एक warning sign है। न्यायालय ने कहा,
“सड़क पर हर असमय मृत्यु, शासन और समाज दोनों के लिए एक चेतावनी है। जब तक सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक यह त्रासदी बार-बार दोहराई जाती रहेगी।”
High Court का यह Suo Moto Action अब पूरे राज्य में सड़क सुरक्षा की बहस को नया आयाम दे रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अदालत के निर्देशों को गंभीरता से लागू किया गया, तो राजस्थान आने वाले समय में सड़क सुरक्षा सुधार के मामले में एक model state बन सकता है।

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