बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनज़र कांग्रेस नेता Rahul Gandhi की बढ़ती सक्रियता ने Mahagathbandhan की राजनीति को नई दिशा दी है। सासाराम से शुरू हुई उनकी Voters Rights Yatra, जिसे वे Democracy Bachao Abhiyan कह रहे हैं, सिर्फ एक चुनावी अभियान नहीं बल्कि विपक्ष को एकजुट करने की एक सशक्त रणनीति बनती जा रही है। इस Yatra के केंद्र में है SIR प्रक्रिया, जिसे विपक्ष ने vote चोरी का हथियार बताते हुए कड़ा विरोध किया है।
SIR के बहाने विपक्ष का एकजुट मंच
सासाराम में हुए महागठबंधन के साझा कार्यक्रम में Congress, RJD, CPI, CPI(M), CPI(ML) और VIP जैसी प्रमुख पार्टियों ने हिस्सा लिया। मंच पर Rahul Gandhi के साथ-साथ Mallikarjun Kharge, Lalu Prasad Yadav, Tejashwi Yadav, Dipankar Bhattacharya, Mukesh Sahni जैसे नेता मौजूद थे। यह नज़ारा बताता है कि Mahagathbandhan इस बार पूरी तैयारी और एकजुटता के साथ NDA को चुनौती देने के मूड में है।
Congress की नई रणनीति: Voter जोड़ो, जमीन मजबूत करो
Congress पिछले दो दशकों से बिहार में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है, लेकिन अब SIR विरोध और Voters Rights Yatra के ज़रिए पार्टी को एक ऐसा मुद्दा मिल गया है जिससे न सिर्फ उसका जनाधार मजबूत हो सकता है, बल्कि वह खुद को विपक्ष का नेतृत्वकर्ता भी साबित कर सकती है। राहुल गांधी इस साल छह बार बिहार का दौरा कर चुके हैं और अगला पखवाड़ा भी प्रदेश में ही बिताने वाले हैं। इससे उनकी गंभीरता और रणनीतिक सोच दोनों का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
Democracy Bachao Abhiyan: सिर्फ नारा नहीं, आंदोलन
Rahul Gandhi ने SIR को लोकतंत्र के खिलाफ साजिश बताया है। उन्होंने साफ कहा कि यह प्रक्रिया करोड़ों लोगों को मतदाता सूची से बाहर करने का षड्यंत्र है। इसी के खिलाफ उन्होंने Democracy Bachao Abhiyan का आह्वान किया है। यह अभियान न सिर्फ Bihar बल्कि अन्य राज्यों में भी विपक्ष को एकजुट करने का माध्यम बन सकता है।
Young और Experienced नेताओं का संतुलन
इस बार Congress और Mahagathbandhan की रणनीति में युवाओं और वरिष्ठ नेताओं का संतुलन साफ दिख रहा है। जहां एक ओर Rahul Gandhi और Tejashwi Yadav जैसे युवा नेता लोगों को सीधे जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर Kharge और Lalu Yadav जैसे अनुभवी नेता मंच पर गहराई और नेतृत्व का भार संभाल रहे हैं।
चुनावी रण का शंखनाद
सासाराम से शुरू हुई यह यात्रा आगामी दो सप्ताह में करीब दो दर्जन जिलों और कई विधानसभा क्षेत्रों से गुज़रेगी। इसका उद्देश्य सिर्फ विरोध नहीं बल्कि मतदाताओं से सीधा संवाद बनाना है। Rahul Gandhi की सक्रियता और Mahagathbandhan की एकता को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इस बार बिहार की चुनावी लड़ाई में एक नया मोड़ आ चुका है, Rahul Gandhi की रणनीतिक सक्रियता, SIR का विरोध और Voters Rights Yatra ने Mahagathbandhan को नई ऊर्जा दी है। यदि यह अभियान जमीन पर असरदार साबित होता है तो Bihar Assembly Election 2025 में कांग्रेस और उसके सहयोगी दल NDA को कड़ी चुनौती दे सकते हैं।