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November 24, 2025

पुष्कर मेला 2025: रेत, रंग और संस्कृति का अद्भुत संगम — ‘अनमोल’ भैंसा, ‘शहबाज़’ घोड़ा और विदेशी मेहमानों ने बढ़ाया आकर्षण

The CSR Journal Magazine
राजस्थान का Pushkar Camel Fair 2025 एक बार फिर अपनी भव्यता, परंपरा और संस्कृति के रंगों से पूरी दुनिया को मंत्रमुग्ध कर रहा है। एक सदी से भी अधिक पुराना यह मेला आज सिर्फ पशु व्यापार का केंद्र नहीं, बल्कि India’s Living Heritage का प्रतीक बन चुका है।

एक सदी से ज्यादा प्राचीन विरासत

कभी गांवों के साधारण पशु व्यापार मेले के रूप में शुरू हुआ पुष्कर मेला अब एक grand cultural showcase बन चुका है। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर आयोजित यह मेला आध्यात्मिकता और लोक संस्कृति का अनोखा संगम है।
ऊंट आज भी इस मेले की आत्मा बने हुए हैं। हजारों सजे-धजे ऊंट जब रंग-बिरंगी पोशाकों, घंटियों और मोतियों से सजे हुए रेत के टीलों पर चलते हैं, तो नज़ारा किसी जीवंत चित्रकला से कम नहीं होता।

मुख्य Attractions of पुष्कर Fair 2025

23 करोड़ का ‘अनमोल’ बना आकर्षण का केंद्र

इस बार पुष्कर मेले में सबकी नज़रें एक ही भैंसे पर ठहर गईं — नाम है ‘Anmol’, और इसकी कीमत वाकई अपने नाम के अनुरूप है — ₹23 करोड़ रुपये! इस विशाल भैंसे के मालिक परमिंदर गिल ने बताया कि उन्होंने ‘अनमोल’ को किसी राजा की तरह पाला है। रोज़ाना उसे दूध, देशी घी और ड्राई फ्रूट्स का विशेष आहार दिया जाता है। 1500 किलो वजन वाले इस भैंसे की देखभाल पर हर महीने लाखों रुपये खर्च होते हैं। सोशल मीडिया पर ‘अनमोल’ की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं — उसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है।

15 करोड़ का ‘शहबाज़’ घोड़ा — सभी का चहेता

पंजाब के बाद अब चंडीगढ़ से आए पशुपालक गैरी गिल अपने घोड़े ‘Shahbaaz’ के साथ पुष्कर पहुंचे हैं। Marwari breed का यह घोड़ा अपनी शाही चाल और सुंदरता के लिए मशहूर है। ‘शहबाज़’ की कीमत ₹15 करोड़ रुपये बताई जा रही है। ख़ास बात यह है कि इस घोड़े के लिए ₹9 करोड़ तक के ऑफर मिल चुके हैं, लेकिन मालिक ने इसे बेचने से इनकार कर दिया। घोड़े की breeding fee यानी कविग फीस ₹2 लाख रुपये प्रति सत्र है।

Transforming Sand Into Art

पुष्कर के ही Ajay Singh Rawat अपनी अनोखी sand art के लिए मशहूर हैं। उन्होंने अब तक 800 से ज़्यादा रेत की कलाकृतियां बनाईं हैं — जिनमें 51 फीट का Shri Ram Temple, 21 फीट की PM Narendra Modi की मूर्ति और 40 फीट की Maharana Pratap की आकृति शामिल हैं।
उनकी कला पुष्कर की रेत को नया अर्थ देती है

पुष्कर मेले का आध्यात्मिक महत्व

यह मेला केवल उत्सव नहीं, एक spiritual experience भी है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा की रात 33 कोटि देवी-देवता पुष्कर झील पर उतरते हैं और झील का जल पवित्र करते हैं। देशभर से लाखों श्रद्धालु यहां आकर Pushkar Lake में स्नान करते हैं और Lord Brahma Temple में पूजा-अर्चना करते हैं — जो भगवान ब्रह्मा का दुनिया का एकमात्र मंदिर है।

अद्वितीय सांस्कृतिक

पशु व्यापार के अलावा मेला लोक संस्कृति का जीवंत उत्सव बन चुका है। यहां Matka Phod, Longest Moustache, Bridal Beauty Contest, Camel Race, Puppet Show, और Folk Music & Dance Performances जैसे रोमांचक आयोजन लोगों का दिल जीत रहे हैं। स्थानीय कलाकारों की आवाज़ें, ढोलक की थाप, घूमर की लय, और महकती राजस्थानी पकवानों की खुशबू मेले को अविस्मरणीय बना देती है।

विदेशी मेहमान मंत्रमुग्ध

इस बार पुष्कर मेला हजारों विदेशी मेहमानों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, जापान और ऑस्ट्रेलिया से आए पर्यटक राजस्थान की इस सांस्कृतिक धरोहर का आनंद ले रहे हैं। वे लोक संगीत, डांस और कला प्रदर्शनियों का हिस्सा बनकर हर पल को कैमरे में कैद कर रहे हैं।

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