बिहार की सियासत में इस समय एक अहम सवाल तैर रहा है—क्या मुख्यमंत्री Nitish Kumar को Chirag Paswan की बढ़ती राजनीतिक सक्रियता और महत्वाकांक्षा से असहजता हो रही है? यह चर्चा तब और तेज हो गई जब प्रधानमंत्री Narendra Modi के हालिया Bihar Visit के दौरान Siwan Rally के मंच पर Nitish और Chirag के बीच हुई व्यक्तिगत बातचीत सामने आई।
बातचीत के पीछे की राजनीति
सूत्रों के अनुसार, Jamui MP Arun Bharti ने बताया कि मंच पर Nitish Kumar ने Chirag से यह जानना चाहा कि क्या वह वाकई Bihar Assembly Elections 2025 लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और यदि हां, तो कहां से। Nitish ने Chirag की Youth Image और उनके Central Ministerial Role का हवाला देते हुए सलाह दी कि अभी विधानसभा चुनाव लड़ने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि वे Ram Vilas Paswan के साथ लंबे समय तक काम कर चुके हैं।
Nitish का यह इशारा महज सियासी संवाद नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संकेत माना जा रहा है—क्या यह प्रयास Chirag को State Politics से दूर रखने का था, या फिर NDA के भीतर संतुलन साधने की कोशिश?
2020 का अनुभव और 2025 की चुनौती
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि JDU को 2020 में Chirag की रणनीति से जो नुकसान हुआ था, वह अब भी नीतीश की रणनीति में झलकता है। LJP ने उस चुनाव में NDA से अलग होकर 137 सीटों पर चुनाव लड़ा और JDU को लगभग 34 सीटों का नुकसान हुआ, जिससे पार्टी तीसरे स्थान पर पहुंच गई। 2024 के Lok Sabha Elections में LJP ने पांच सीटें जीतकर अपना प्रभाव और भी मजबूत किया है।
अब Chirag का यह कहना कि पार्टी सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रही है, स्पष्ट रूप से NDA में Seat Sharing Negotiations में दबाव बनाने की Pressure Politics मानी जा रही है।
“Bihar First, Bihari First” और युवा राजनीति का विस्तार
Chirag Paswan ने अपने चुनावी अभियान को “Bihar First, Bihari First” के नारे के साथ जोड़ा है। उनकी Ara Rally और Patna Executive Meeting जैसे कार्यक्रमों ने यह साफ कर दिया है कि वह बिहार में एक मजबूत वैकल्पिक नेतृत्व के रूप में उभरने की कोशिश कर रहे हैं। 2020 में दूसरी पोजीशन पर रही नौ सीटें—जैसे ब्रह्मपुर, दिनारा, रूपौली—उनकी रणनीति में अहम भूमिका निभा रही हैं।
NDA में सीट बंटवारे पर तनाव
2025 के चुनाव को लेकर NDA में Seat Distribution को लेकर अंदरूनी असमंजस बना हुआ है। सूत्रों के अनुसार, BJP और JDU के बीच 100-100 सीटों पर समझ बनी है, जबकि बची हुई 43 सीटें LJP, HAM और RLM जैसे सहयोगी दलों के बीच बांटी जाएंगी। लेकिन LJP की 25-35 सीटों की मांग और जदयू द्वारा उन्हीं सीटों पर दावा, इस समीकरण को और जटिल बना रहे हैं।
क्या यह सिर्फ डर है या रणनीति?
Nitish द्वारा Chirag को चुनाव न लड़ने की सलाह को कुछ लोग राजनीतिक भय के रूप में देख रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञ इसे Strategic Move मानते हैं। यह बातचीत JDU में Nishant Kumar की संभावित एंट्री को लेकर भी हो रही अटकलों से जुड़ती है। Nishant की राजनीतिक पारी की शुरुआत को सुरक्षित बनाने के लिए, Nitish शायद Chirag जैसे युवा नेता को सीमित रखना चाहते हों।
NDA की एकजुटता पर संकट
Chirag की सक्रियता ने Jitan Ram Manjhi और Upendra Kushwaha जैसे नेताओं में भी असहजता पैदा की है। Manjhi ने तीखा तंज कसते हुए कहा था, “जो ताकतवर है, वह वक्त आने पर दिखाएगा।” यह NDA में भीतरखाने चल रही राजनीति को उजागर करता है।
विपक्ष की नजर और जनता की प्रतिक्रिया
Tejashwi Yadav समेत पूरा Mahagathbandhan NDA में इस संभावित दरार को भुनाने की कोशिश में है। Tejashwi ने कहा, “सांसदी छोड़ें और विधानसभा लड़ें, हमें कोई ऐतराज नहीं।” यदि Chirag की सीटों की मांग पूरी नहीं होती, तो 2020 की तरह वह Vote Katua Factor बन सकते हैं।