अयोध्या में मंगलवार का दिन इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया। भव्य राम मंदिर के 191 फुट ऊँचे शिखर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केसरिया धर्म ध्वज फहराया। यह ध्वज न केवल मंदिर के औपचारिक पूर्ण हुए निर्माण का प्रतीक है, बल्कि विश्वभर के करोड़ों राम भक्तों के लिए एक भावनात्मक और गौरवपूर्ण क्षण भी बन गया। ध्वजारोहण के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने जनसभा को संबोधित करते हुए भावुक शब्दों में कहा कि “आज सदियों के घाव भर रहे हैं और पाँच सौ वर्षों का संकल्प पूरा हो गया है।”

धर्म ध्वज का महत्व और शिल्प
ध्वज 10 फीट ऊँचा और 20 फीट लंबा है, जिसके तीन प्रमुख प्रतीक हैं—
सूर्य का चिन्ह – भगवान राम के सूर्यवंश से जुड़ा प्रतीक
ॐ का अंकन – सनातन चेतना और आध्यात्मिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व
कोविदार वृक्ष – जिसे राम राज्य का राज्य वृक्ष माना जाता है
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह ध्वज आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरणा देता रहेगा और यह साबित करता है कि “सत्य अंततः असत्य पर विजय पाता है।”

PM मोदी – “हम सभी को अपने भीतर के राम को जगाना होगा”
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत नए अध्याय में प्रवेश कर चुका है। यदि राष्ट्र को वर्ष 2047 तक विकसित देशों की श्रेणी में पहुँचाना है, तो प्रत्येक नागरिक को मर्यादा, अनुशासन, कर्तव्य और समाज के प्रति जिम्मेदारी के राम सिद्धांतों को भीतर उतारना होगा।
उन्होंने कहा:
“राम केवल व्यक्ति नहीं, बल्कि मूल्य हैं। जब हम राम के आदर्शों को अपने आचरण में लाएँगे, तभी राष्ट्र का सपना पूरा होगा। “अयोध्या वह भूमि जहाँ आदर्श आचरण में बदलते हैं”
प्रधानमंत्री ने अयोध्या की महिमा का वर्णन करते हुए कहा:
“यहीं से श्रीराम ने जीवनयात्रा शुरू की। जब वे गए थे, वे एक राजकुमार थे, लेकिन लौटे ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ बनकर।”
उन्होंने कहा कि अयोध्या सदियों से सनातन संस्कृति, त्याग, तपस्या और आदर्शों का केंद्र रही है और आगे भी ऐसा ही बनी रहेगी।
“स्वतंत्रता तो मिली, पर हीन भावना से मुक्त होने में समय लगा”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने 1947 में स्वतंत्रता तो प्राप्त कर ली, लेकिन राष्ट्र की मानसिकता वर्षों तक हीन भावना में बंधी रही। उन्होंने कहा:
“भारत लोकतंत्र की जननी है। लोकतंत्र हमारे DNA में है। हमें अपनी जड़ों और भूली विरासत पर गर्व करना चाहिए।”

राम मंदिर निर्माण – भारत की वास्तुकला और आस्था का संगम
नागरा शैली में निर्मित 191 फुट ऊँचा शिखर उत्तर भारतीय मंदिर स्थापत्य को दर्शाता है, जबकि मंदिर की चारों ओर बनी 800 मीटर लंबी परकोटा दीवार दक्षिण भारतीय शैली से प्रेरित है। जनवरी 2024 में गर्भगृह में राम लल्ला की प्रतिष्ठा के बाद अब यह ध्वज स्थापना मंदिर के औपचारिक रूप से पूर्ण होने का प्रतीक मानी जा रही है।
मोदी ने शास्त्रों का उद्धरण देते हुए कहा:
“जो भक्त मंदिर नहीं आ सकते, वे दूर से भी ध्वज को नमन करें, वे भी समान पुण्य के अधिकारी होते हैं।”
“हर श्रमिक, इंजीनियर और शिल्पी को प्रणाम”
प्रधानमंत्री ने मंदिर निर्माण में भूमिका निभाने वाले हर व्यक्ति के समर्पण को नमन करते हुए कहा:
“यह मंदिर भावनाओं से बढ़कर लाखों लोगों की तपस्या और कठिन परिश्रम का परिणाम है। मैं हर श्रमिक, शिल्पी, इंजीनियर और योजनाकार को प्रणाम करता हूँ।”

CM योगी आदित्यनाथ – “यह नए युग की शुरुआत है, धर्म की ज्योति कभी नहीं बुझती”
ध्वजारोहण समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज का दिन मात्र एक यज्ञ की पूर्णाहुति नहीं, बल्कि भारत के नए युग का प्रारंभ है। उन्होंने कहा: “यह राम मंदिर 140 करोड़ भारतीयों की आस्था, आत्मसम्मान और विश्वास का प्रतीक है।” योगी ने आगे कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देशवासियों में जो आशा और संकल्प जगा था, आज वह संकल्प मूर्त रूप में सामने है। उन्होंने कहा: “ये भगवा ध्वज धर्म, सत्य, न्याय और राष्ट्रधर्म का प्रतीक है। यह सिद्ध करता है कि धर्म की ज्योति कभी बुझती नहीं और रामराज्य के आदर्श अमर हैं।”


