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October 27, 2025

पाकिस्तान में पावर क्लैश: फील्ड मार्शल असीम मुनीर और शहबाज सरकार के बीच टकराव, तख्तापलट के आसार तेज

The CSR Journal Magazine
पाकिस्तान में एक बार फिर Army vs Government की जंग खुलकर सामने आ गई है। इस बार विवाद का केंद्र है Field Marshal Asim Munir का नया एक्सटेंशन। बताया जा रहा है कि GHQ Rawalpindi और Islamabad की सरकार के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है।
सरकार का कहना है कि मुनीर का कार्यकाल पहले ही 2027 तक बढ़ा दिया गया है, इसलिए किसी नए आदेश की जरूरत नहीं है। लेकिन फील्ड मार्शल मुनीर अब 2025 से 2030 तक पांच साल का नया एक्सटेंशन चाहते हैं। यानी वह अगले पांच साल तक सेना और देश की राजनीति दोनों पर अपना नियंत्रण बनाए रखना चाहते हैं।

Munir की Ambition: “2030 तक Power Hold”

सूत्रों के मुताबिक, यह विवाद केवल सर्विस एक्सटेंशन का नहीं, बल्कि सत्ता पर पकड़ बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है। मुनीर चाहते हैं कि उनका नया कार्यकाल अभी से शुरू होकर 2030 तक चले, ताकि वह पाकिस्तान की अगली दो सरकारों पर भी प्रभाव डाल सकें।
मुनीर ने खुद को कुछ महीने पहले Field Marshal घोषित कर दिया था यह रैंक पाकिस्तान में बेहद दुर्लभ है और आमतौर पर पूर्ण सैन्य नियंत्रण का प्रतीक माना जाता है। इस कदम ने साफ कर दिया कि मुनीर न केवल आर्मी के मुखिया बल्कि राजनीतिक शक्ति के केंद्र बनना चाहते हैं।
सत्ताधारी पार्टी PML-N के अंदर भी इस मसले को लेकर असमंजस है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि अगर मुनीर को पूरा पांच साल का कार्यकाल दे दिया गया, तो वे पूरे political system पर हावी हो जाएंगे।

Shehbaz Sharif ke liye दोहरी चुनौती

सूत्रों के अनुसार, असीम मुनीर ने Prime Minister Shehbaz Sharif को एक tempting offer दिया है — अगर सरकार उन्हें 2030 तक एक्सटेंशन दे देती है, तो वे PML-N को अगले चुनाव में फिर से सत्ता में लाने में मदद करेंगे।
लेकिन PML-N को इस वादे पर भरोसा नहीं है। पार्टी ने एक नया फॉर्मूला रखा है — “अभी दो साल का एक्सटेंशन, फिर 2027 के बाद समीक्षा।” पार्टी की रणनीति यह है कि 2027 से पहले चुनाव कराए जाएं और अगर सत्ता दोबारा उनके हाथ में आती है, तभी मुनीर को आगे का कार्यकाल दिया जाए।
हालांकि इस खींचतान ने पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिरता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अगर समझौता नहीं हुआ तो हालात tension to coup (तख्तापलट) की ओर जा सकते है।
पाकिस्तान में civil-military tension नई ऊंचाई पर पहुंच चुका है। फील्ड मार्शल मुनीर की ambition और शहबाज सरकार की मजबूरियां देश की लोकतांत्रिक संरचना के लिए एक बड़ा खतरा बनती दिख रही हैं। अगर आने वाले महीनों में कोई सामंजस्य नहीं हुआ, तो पाकिस्तान एक बार फिर army-dominated politics के भंवर में फंस सकता है।

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