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August 6, 2025

नीतीश कुमार कैबिनेट का बड़ा फैसला, शिक्षक भर्ती में 84.4% सीटें बिहार के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित होंगी

The CSR Journal Magazine
  चुनावी साल में नीतीश सरकार ने एक बड़ा और बहुप्रतीक्षित फैसला लेते हुए बिहार के युवाओं को शिक्षक नियुक्ति में प्राथमिकता देने का ऐलान किया है। मंगलवार को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में फैसला लिया गया कि अब बिहार में होने वाली शिक्षक बहाली में 84.4 फीसदी सीटें सिर्फ राज्य के मूल निवासियों के लिए आरक्षित रहेंगी। इस फैसले को राज्य में युवाओं की बड़ी जीत और बिहार फर्स्ट की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में “बिहार राज्य विद्यालय शिक्षक नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनात्मक कार्रवाई एवं सेवा शर्त संशोधन नियमावली 2025” को मंजूरी दे दी गई। इसके तहत यह डोमिसाइल नीति लागू की गई है। कैबिनेट के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने बताया कि शिक्षक बहाली में पहले से लागू 60% आरक्षण (जातीय आर्थिक आधार पर) के अलावा अनारक्षित सीटों के एक बड़े हिस्से में स्थानीय छात्रों को वरीयता दी जाएगी।

सूत्र क्या है?

अभी तक इस व्यवस्था में 40% सीटें अनारक्षित मानी जाती थीं, जिन पर कोई भी अभ्यर्थी आवेदन कर सकता था। लेकिन नए नियमों के अनुसार, इन 40% अनारक्षित सीटों में से 35% सीटें पहले से ही बिहार मूल की महिलाओं के लिए आरक्षित थीं। शेष 65% सीटों में से अब 40% सीटें उन अभ्यर्थियों को दी जाएँगी जिन्होंने बिहार के किसी भी बोर्ड से मैट्रिक और इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की हो।
इस तरह अब केवल 15% अनारक्षित सीटें बची हैं, जिन पर बिहार और बिहार से बाहर के सामान्य वर्ग के पुरुष और महिलाएँ आवेदन कर सकते हैं। यानी प्रभावी रूप से 84.4% सीटें बिहार मूल के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हो गई हैं।

इसका क्या प्रभाव होगा?

सरकार का कहना है कि इस फैसले से राज्य के युवाओं को अपने ही राज्य में रोज़गार के बेहतर अवसर मिलेंगे। अभी तक यह देखा जाता था कि दूसरे राज्यों से आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या ज़्यादा होती थी, जिससे बिहार के छात्र पिछड़ जाते थे। नई नीति से स्थानीय प्रतिभाओं को मौका मिलेगा और शिक्षकों की बहाली में क्षेत्रीय संतुलन भी बना रहेगा।
इस फैसले को लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राज्य सरकार का बड़ा राजनीतिक दांव भी माना जा रहा है। नीतीश सरकार इस नारे को लेकर संवेदनशील मानी जाती रही है।
“बिहारियों का बिहार पर अधिकार” लंबे समय से चला आ रहा है। अब शिक्षक बहाली में यह फैसला इस बात का स्पष्ट संकेत है कि सरकार बिहारियों के हितों को लेकर गंभीर है।

 

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