नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की आराधना की जाती है। उनका वर्ण अत्यंत गौर है, वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और वृषभ (बैल) पर सवार रहती हैं। चार भुजाओं वाली मां महागौरी के हाथों में त्रिशूल, डमरू, वरमुद्रा और अभयमुद्रा सुशोभित रहते हैं। वे शांति, पवित्रता और सौम्यता की प्रतीक हैं। ‘महागौरी’ नाम में ‘महा’ का अर्थ है महान और ‘गौरी’ का अर्थ है गोरी या श्वेत, जो उनकी दिव्य आभा और निर्मलता को दर्शाता है।
धार्मिक महत्व और कथा
मान्यता है कि मां महागौरी की उपासना से मन और हृदय की अशुद्धियां दूर होती हैं, पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। विवाह में आ रही बाधाएं भी समाप्त होती हैं। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, वे देवी पार्वती का ही रूप हैं। भगवान शिव को पाने के लिए उन्होंने हिमालय पर कठोर तप किया, जिससे उनका शरीर धूल और कष्टों के कारण काला पड़ गया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें गंगा के पवित्र जल से स्नान कराया, जिसके बाद वे तेजस्वी और उज्ज्वल रूप में प्रकट हुईं। तभी से वे “महागौरी” कहलायीं। यह परिवर्तन शुद्धता और आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है।
रंग और भोग
अष्टमी तिथि का शुभ रंग मोरपंखी हरा माना जाता है। यह रंग समृद्धि, आरोग्य, नई शुरुआत और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। भक्तजन इस दिन मां को नारियल, हलवा-पूरी, दूध से बने व्यंजन और सफेद मिठाइयां अर्पित करते हैं।
मंत्र और स्तुति
“ॐ देवी महागौर्यै नमः॥”
“श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥”
इनका श्रद्धापूर्वक जप करने से पवित्रता, शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
कन्या पूजन का महत्व
अष्टमी पर कन्या पूजन (कुमारिका पूजन) का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन 9 छोटी कन्याओं को घर बुलाकर उनका पूजन करें, उनके चरण धोएं और उन्हें रोली, अक्षत व पुष्प अर्पित करें। इसके बाद उन्हें हलवा-पूरी और चने का प्रसाद खिलाकर दक्षिणा व उपहार दें। माना जाता है कि कन्या पूजन से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मां महागौरी पूजन विधि
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प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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संकल्प लेकर श्रद्धा भाव से पूजन प्रारंभ करें।
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दीप प्रज्वलित कर मां का आवाहन करें और उन्हें प्रणाम करें।
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अक्षत, रोली, चंदन, पुष्प और सिंदूर अर्पित करें।
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नारियल, दूध से बने व्यंजन, हलवा-पूरी और सफेद मिठाई का भोग लगाएं।