नवरात्रि, जिसका अर्थ ही है ‘नौ रात्रियां’, जो मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का विशेष पर्व है। नवरात्रि के नौ दिनों में हम मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं, भारत में नवरात्रि का पर्व शक्ति की उपासना का सबसे बड़ा अवसर माना जाता है। हर साल की तरह इस बार भी नवरात्रि में भक्तजन मां दुर्गा के नौ रूपों की भक्ति में लीन होंगे। नवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, शक्ति की आराधना का वह समय है जब हम मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा कर, अपने भीतर की ऊर्जा और सकारात्मकता को जाग्रत करते हैं।
नवरात्र में घट स्थापना क्यों होती है?
नवरात्रि का शुभारंभ घट स्थापना (कलश स्थापना) से होता है, घट स्थापना का अर्थ है मां दुर्गा और समस्त देवी-देवताओं का आह्वान करके कलश में उनकी ऊर्जा का निवास कराना। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले कलश स्थापित कर देवी-देवताओं का आवाहन किया जाता है। कलश को सृष्टि का प्रतीक माना गया है। इसमें रखा जल जीवन और उर्वरता का संकेत है। मिट्टी पर बोए गए जौ नवजीवन और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं। कलश स्थापना शक्ति, पवित्रता और सृष्टि के आरंभ का प्रतीक मानी जाती है।
नवरात्रि तिथि और घट स्थापना शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्रि 2025 प्रारंभ 22 सितंबर सोमवार से शुरू हो रहा है। इस दिन घट स्थापना करने के लिए दो शुभ मुहूर्त हैं। पहला सुबह 6 बजकर 09 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 06 मिनट है। दूसरा अभिजीत मुहूर्त है जो सुबह 11 बजकर 49 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक है। इन दोनों में से किसी भी मुहूर्त में घटस्थापना कर सकते हैं।
घट स्थापना की सामग्री
आम का पत्ता, जवारे के लिए साफ मिट्टी, जवे, हल्दी, गुलाल, कपूर, पूजा के पान, पंचामृत, सिक्के, नारियल, अक्षत, पुष्प, गंगा जल, पंचामृत
घट स्थापना की विधि (Step by Step)
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घर के पूजा स्थल या किसी स्वच्छ स्थान पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके स्थापना करें।
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लकड़ी के पाटे पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा/चित्र रखें।
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एक पात्र में मिट्टी भरकर उसमें जौ के बीज बो दें। यह जीवन और समृद्धि का प्रतीक है।
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मिट्टी के या तांबे के कलश में जल भरें।
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उसमें गंगाजल, रोली, हल्दी, पंचरत्न, अक्षत, दूर्वा और सुपारी डालें।
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आम के पत्तों को कलश के मुंह पर रखें और ऊपर नारियल रखें, जिस पर लाल चुनरी बांधें।
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कलश को मिट्टी और जौ वाले पात्र पर रखकर देवी का आह्वान करें।
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हाथ में अक्षत लेकर नवरात्रि व्रत का संकल्प लें। प्रतिदिन आरती, दुर्गा सप्तशती पाठ और देवी की पूजा दीप जलाकर पूजा आरंभ करें।
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“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” इस मंत्र का जाप करें।
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नवमी या दशमी के दिन जौ (जवारे) बढ़ जाने पर उन्हें देवी का प्रसाद मानकर विसर्जित करें।
घट स्थापना का महत्व
यह ब्रह्मांड और ऊर्जा का प्रतीक है। माना जाता है कि इस दिन स्थापित कलश में मां दुर्गा का निवास होता है।
जौ का अंकुरण घर में उन्नति, सुख-समृद्धि और शक्ति का संदेश देता है। कलश से सकारात्मक ऊर्जा और पवित्रता पूरे वातावरण में फैलती है।घर-घर हर भक्त अपने घर में घट स्थापित कर मां दुर्गा की पूजा करता है।मंदिरों में बड़े मंदिरों और देवी स्थलों पर विशेष कलश स्थापना होती है।महाअराधना नौ दिनों तक अखंड ज्योति जलाना और दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। घट को देवताओं का आसन माना गया है।जो व्यक्ति श्रद्धा और विधिवत घट स्थापना करता है, उसके घर में सुख-शांति बनी रहती है।नौ दिनों तक उपवास और पूजा करने से साधक को आध्यात्मिक शक्ति और जीवन में सकारात्मकता प्राप्त होती है।
घट स्थापना से लेकर व्रत के 9 दिनों तक भूलकर भी न करें ये गलतियां
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घटस्थापना प्रतिपदा तिथि और शुभ मुहूर्त में ही करें।
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खंडित या टूटा हुआ कलश नहीं रखना चाहिए।
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नारियल बिना लाल वस्त्र के न रखें।
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मंत्र और संकल्प के बिना घट स्थापना, बिना आह्वान पूजा निष्फल होती है।
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राहुकाल में घटस्थापना करना शास्त्रों के अनुसार वर्जित है।
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कलश को बार-बार छूना या हिलाना।
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लहसुन, प्याज, मांसाहार से परहेज करें।
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घर को साफ और शांत रखें।
नवरात्रि में जरूर करें ये कार्य
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प्रतिदिन दीपक जलाएं और आरती करें
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दुर्गा सप्तशती का पाठ करें
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मां को भोग (फल, मिठाई आदि) चढ़ाएं
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कन्या पूजन करें (अष्टमी या नवमी को)
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जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, दक्षिणा आदि का दान दें