Home हिन्दी फ़ोरम मध्य प्रदेश में कृषि ऋण से बढ़ रही है किसानों की आमदनी?

मध्य प्रदेश में कृषि ऋण से बढ़ रही है किसानों की आमदनी?

418
0
SHARE
 
आज जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से प्रभावित है। अर्थव्यवस्था भी पटरी से उतर गई है। कोरोना काल में महाशक्ति देश भी डगमगा गए। इस महाआपदा ने जहां एक ओर आर्थिक रूप से बड़े-बड़े देशों और उद्यमियों को ज़मीन पर लाकर खड़ा कर दिया है। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी भारत और भारत का कृषि क्षेत्र ऐसा है जो मजबूती से अर्थव्यवस्था को सहारा दे रहा है। ये किसानों की मेहनत ही है कि अर्थव्यवस्था को कोई महामारी हिला नहीं सकी। किसानों के देश के प्रति इसी समर्पण भाव का नतीजा है कि हमारी सरकारें भी आगे बढ़कर उन्हें और भी सशक्त बनाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ रही हैं।
मध्य प्रदेश की बात करें तो किसानों के समग्र विकास की दृष्टि से किसानों के हित में चलायी जा रही योजनाएं, जैसे- RCB6 (4) के अंतर्गत राहत देना, पीएम किसान सम्मान निधि, शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण देना, प्रधानमंत्री फसल बीमा आदि सभी योजनाओं को एक पैकेज के रूप में समाहित कर के लागू करने का फैसला शिवराज सरकार द्वारा लिया गया। किसानों की आय में वृद्धि के करने, उनके जीवन स्तर को सुधारने और उन्हें हर संभव सहयता प्रदान कर आत्मनिर्भर बनाने के नरेंद्र मोदी सरकार के प्रयासों का नतीजा इस कोरोना काल में देखने को मिला।

वित्त वर्ष 2021-22 में 13 हजार 707 करोड़ रुपये का ऋण अकेले मध्य प्रदेश में दिया गया

किसानों की आमदनी को दोगुना करने के उद्देश्य तो कई सालों से केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा की जा रही है लेकिन आज़ादी के अमृत महोत्सव के साल में भी सरकारें किसानों को दुगुनी आय का लालसा दे रहें है। वैस आया को दुगुना करने के लिए कई योजनाएं है लेकिन महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है सरकारी कृषि लोन। केंद्र सरकार की क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत देश भर के किसानों को बहुत ही कम ब्याज दरों पर ऋण दिया जा रहा है, वहीं मध्य प्रदेश एक ऐसा राज्य बनकर सामने आया है जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) प्रदेश में किसानों के लिए शून्य ब्याज दर पर कृषि ऋण उपलब्ध करवा कर किसानों को एक बड़ी राहत दे रहे हैं।

मध्य प्रदेश में शून्य ब्याज दर पर अल्पावधि फसल लोन योजना से 30 लाख किसान हुए लाभान्वित

Madhya Pradesh में शून्य ब्याज दर पर कृषि ऋण योजना (Loan to Farmers) में सहकारी बैंकों के माध्यम से प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर कृषि ऋण उपलब्ध कराती हैं। इसमें 65 फीसदी हिस्सा नकद राशि के रूप में दिया जाता है, शेष हिस्से की सामग्री दी जाती है। जहां अन्य सरकारों ने इस योजना को लागू करने में कोई रूचि नहीं दिखाई, वहीं शिवराज सरकार ने इस विषय को प्राथमिकता देते हुए सितम्बर 2020 में सहकारी बैंकों के खातों में 800 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। प्रदेश में शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर अल्पावधि फसल ऋण योजना में वर्ष 2020 में लगभग 30 लाख किसान लाभान्वित हुए।

अब तक एमपी में किसानों को कुल 26 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक का Farmer Loan वितरित किया गया है

24 दिसंबर 2021 तक वित्त वर्ष 2021-22 में 13 हजार 707 करोड़ रुपये का ऋण वितरण मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को शून्य ब्याज दर पर दिया जा चुका है। अभी तक मध्य प्रदेश में किसानों को कुल 26 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण वितरित किया जा चुका है। वर्तमान वित्त वर्ष के लिए 17 हजार करोड़ रुपए का लक्ष्य प्रस्तावित है। जिससे प्रदेश के लाखों और किसान लाभान्वित होंगे। इस योजना के अंतर्गत लिए गए ऋण को समय से ईमानदारी पूर्वक पूरा चुकाने वाले किसानों को कई अन्य फायदे देने पर भी सरकार विचार कर  सकती है।
किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को जल्द से जल्द प्राप्त करने के लिए दृढ़ केंद्र सरकार किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किसानों को 4 फीसदी की दर से ऋण उपलब्ध कराती है। हालांकि यह ऋण 9 फीसदी की दर पर ही मिलता है, लेकिन केंद्र सरकार इस कार्ड के जरिए 2 प्रतिशत की सब्सिडी देती है। और यदि किसान इस ऋण को समय पर चुका दें तो उसे 3 प्रतिशत की और छूट मिल जाती है। यानी कि किसान को केवल 4 प्रतिशत की दर से ब्याज चुकाना पड़ता है।
किसानों के हितों के लिए केंद्र के साथ पूरी प्रतिबद्धिता के साथ काम करते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने कृषि आधारित योजनाओं को पूरी तत्परता और सफलता के साथ क्रियान्वित किया है। कोरोना संकट के दौरान भी प्रदेश के किसानों ने स्थानीय संसाधनों की मदद से गेंहूं उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज़ की, जिसके परिणाम स्वरुप मध्य प्रदेश गेहूं उपार्जन में पूरे देश में नंबर1 है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ समय से कृषि उत्पादन और गुणवत्ता में निरंतर वृद्धि हो रही है और इनयोजनाओं की मदद से जल्द ही मध्य प्रदेश कृषि उत्पादन में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन जाएगा।