किसान अर्थात अन्नदाता, जिनके बगैर अन्न का एक दाना भी मिलना मुश्किल है। किसान दिन रात मेहनत कर अपने पसीने के खेत सींचकर हमारे लिए फसल उगाता है तब जाकर हमारा पेट भर पाता है। अगर फसल की पैदावार बेहतर नहीं हुई तो किसान के साथ साथ, रसोई से लेकर, देश भर में महंगाई की चर्चा शुरू हो जाती है। हमारे और आपकी थाली में भरा पूरा पकवान इसलिए रहता है क्योंकि किसान खलिहान में पसीना बहाता है, इतनी महत्वपूर्ण बता होने के बावजूद लोग किसान बनकर खेती नहीं करना चाहते। हर युवा आजकल बड़ी बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियों में ऊँची ऊँची सैलरी पाने की लालसा में नौकरी नहीं मिलने तक बेरोजगार रह जाता है लेकिन अपने हाथों में हल नहीं लेता।
आज किसान दिवस के विशेष अवसर पर हम आपको बताने जा रहे है कुछ ऐसे युवा किसान जिन्होंने नौकरियां छोड़ माटी से नाता जोड़ा और अपनी किस्मत चमका ली। आज के परिवेश में आधुनिक यंत्र का इस्तेमाल कर किसान जागरूक हो रहा है। किसान सेमिनार, सोशल मीडिया, कृषि विज्ञान केंद्रों के साइंटिस्टों की रिसर्च को खेतों में प्रैक्टिकल के रूप में अजमा रहा है। इससे पैदावार बढ़ी और उनकी कमाई भी दोगुनी हो गई है। आज का दिन यानी 23 दिसंबर उन्हीं किसानों को समर्पित है, जो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी भी कहे जाते हैं। इस अवसर पर आईये मिलते है कुछ समृद्ध किसानों से जो दूसरे किसानों के लिए मिसाल है।
मैक्डोनल्ड को आलू सप्लाई करते है इस्माइल रहीम शेरू

हो सकता है कि अपने जो मैक्डोनल्ड में बर्गर खाया हो या फिंगर चिप्स खाया हो उसका आलू इस्माइल रहीम शेरू की खेत का हो। गुजरात के अमीरगढ़ इलाके के रामपुर-बड़ला गांव में रहने वाले इस्माइल ने बी.कॉम की पढ़ाई की है। इनके पिता इनको नौकरी कराना चाहते थे। मगर इनकी किस्मत इनसे कुछ बड़ा ही कराना चाहती थी। 1998 में इस्माइल कनाडा की मैक्केन कंपनी के संपर्क में आये और उनके लिए आलू उगाने लगे। सफलता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि 5 एकड़ की पुश्तैनी ज़मीन वाले इस्माइल की खेती आज 400 एकड़ की है। करोड़ों के टर्नओवर वाले इस्माइल आज मैक्केन और मैक्डोनल्ड को आलू सप्लाई करते है।
ये किसान सरकारी नौकरी छोड़कर टमाटर से कमा रहा तीस लाख
यूपी के फतेहपुर जिले के किसान अरुण वर्मा आधुनिक तकनीकों के माध्यम से किसानी कर रहे हैं। अरुण पहले भारतीय थल सेना में नौकरी करते थे। जिसे उन्होंने सन् 2001 में छोड़ दिया। इसके बाद उन्हें बेसिक शिक्षा परिषद में सहायक अध्यापक की नौकरी मिल गई। इस बीच लगातार उनका संपर्क खेतों से रहता था। जिसके कारण उनका पूरा मन आधुनिक तरीके से खेती में अच्छी आमदनी हासिल करने में लगा रहता।अरुण उद्यान फसलों से लाभ कमाने चाहते थे जिसके लिए उन्होंने केला की गैण्ड नैन किस्म लगाई। लेकिन अच्छी फसल में जंगली जानवरों के प्रकोप के कारण लगभग पूरी फसल तबाह कर दी गई थी। जिसके बाद उन्होंने टमाटर की खेती कुछ ही बीघे में किया और इस दौरान उन्हें साल में दो लाख रुपए की आमदनी हासिल हुई।
इस किसान के खेत में उगती हैं सात फीट लंबी लौकियां

आपने कभी 7 फीट की लौकी देखी है, हैरान हो गए न? लेकिन यह करिश्मा उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में हो रहा है। सीतापुर के युवा किसान आलोक पांडे कई फसलों की खेती एक साथ करते हैं और उनके खेत में आपको 7-7 फीट की देशी लौकी भी देखने को मिलेगी। उनके इस कारनामे को सिर्फ आस-पास के ही नहीं बल्कि अलग-अलग जिलों के भी किसान देखने आते हैं। लोगों के लिए ये लौकी आकर्षण का केंद्र है। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद के मिश्रिख ब्लॉक के गोपालपुर के रहने वाले आलोक कुमार पांडेय ने अवध यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है और साथ ही पीसीएस की तैयारी भी कर रहे हैं। लेकिन आलोक को खेती का भी शौक है इसलिए उन्होंने अपनी परंपरागत खेती को आधुनिक तकनीक में बदल दिया। अब आलोक सिर्फ धान, गेहूं ही नहीं बल्कि कई सब्जियों व फसलों की खेती एक साथ करते हैं।
फूलों की खेती कर कमा रहे है लाखों


