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October 21, 2025

भारत का नया साल – 22 अक्टूबर या 1 दिसंबर? जानें कैलेंडर का रहस्य

The CSR Journal Magazine
भारत एक ऐसा देश है जहां हर त्यौहार, हर दिन और हर ऋतु में कुछ न कुछ नया जन्म लेता है। लेकिन जब 22 अक्टूबर या 1 जनवरी? जानिए क्यों भारत का नया साल बाकी दुनिया से अलग हैI लेकिन जब बात “नए साल” की आती है, तो यह सवाल अकसर उठता है  आखिर भारत में कुछ लोग 22 अक्टूबर को नया साल क्यों मानते हैं, जबकि बाकी दुनिया 1 जनवरी को जश्न मनाती है?

22 अक्टूबर का नया साल: दीपों की रोशनी से नई शुरुआत

भारत में नया साल केवल 1 जनवरी को नहीं आता। भारतीय पारंपरिक नया साल हिंदू चंद्र-पंचांग और विक्रम संवत पर आधारित होता है, इसलिए इसकी तारीख हर साल बदलती रहती है।कई समुदाय, खासकर गुजरात और महाराष्ट्र के लोग, दीपावली के अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को नया साल मानते हैं। गुजरात में इसे “Bestu Varas” और महाराष्ट्र में “Varsha Pratipada” कहा जाता है। इस दिन व्यापारी नए खाता-बही खोलते हैं और पूरे परिवार में लक्ष्मी और गणेश की पूजा होती है।यह दिन केवल कैलेंडर की शुरुआत नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक नवजागरण का प्रतीक है। लोग घरों की सफाई करते हैं, नए कार्यों की शुरुआत करते हैं और एक-दूसरे को “साल मुबारक” कहते हैं। इसे सकारात्मक ऊर्जा और नए अवसरों की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है।

1 जनवरी आधुनिक और वैश्विक महत्व

1 जनवरी का नया साल ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित है, जो दुनिया के अधिकांश देशों में आधिकारिक और सार्वभौमिक रूप से अपनाया जाता है। यह दिन धार्मिक या पारंपरिक नहीं, बल्कि आधुनिक समय और वैश्विक जुड़ाव का प्रतीक है।इस दिन लोग दुनिया भर में अपने जीवन में नए आरंभ और बदलाव के लिए नए संकल्प (New Year Resolutions) लेते हैं। इसके साथ ही काउंटडाउन, पार्टियां, आतिशबाजी और जश्न मनाकर नए साल का स्वागत किया जाता है।

भारत में नया साल दो बार मनाना क्यों खास है?

दोनों तारीखों का अपना महत्व है। 22 अक्टूबर परंपरा और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, जबकि 1 जनवरी आधुनिकता और वैश्विकता का।भारत में इन दोनों को मिलाकर मनाने से सांस्कृतिक बहुलता और समय की अनोखी समझ दिखाई देती है। यह दर्शाता है कि भारत इतिहास और आधुनिकता दोनों को एक साथ अपनाता है और हर दिन नए आरंभ का अवसर देता है।भारत में नया साल दो बार मनाया जाना इस देश की सांस्कृतिक विविधता और समय की अनोखी समझ को दर्शाता है। चाहे आप 22 अक्टूबर की दीपों की रोशनी में नया साल मनाएं या 1 जनवरी की रात को आतिशबाजी के साथ, असली बात यही है, हर दिन एक नई शुरुआत हो सकती है, अगर दिल में उत्साह और विश्वास बना रहे।
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