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October 8, 2025

हिमाचल बस हादसा: 18 लोगों की मौत, मलबे में बच्चे का शव मिला; सरकार देगी मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये

The CSR Journal Magazine
हिमाचल के बिलासपुर में बरठीं के पास मंगलवार शाम भूस्खलन ने तबाही मचा दी  मरोतन से घुमारवीं जा मंगलवार की शाम करीब 6:30 बजे, हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के बरठीं के पास भल्लू पुल के समीप एक निजी बस पर अचानक पहाड़ी से भारी मलबा गिर गया। यह बस मरोतन से घुमारवीं की ओर जा रही थी। बारिश से भीगी पहाड़ी से मिट्टी और चट्टानें इतनी तेज़ी से नीचे आईं कि किसी को संभलने का मौका तक नहीं मिला।देखते ही देखते पूरी बस मिट्टी और पत्थरों के नीचे दब गई। बस की छत उखड़कर खड्ड किनारे जा गिरी और अंदर सवार यात्री चीखों के बीच मौत से जूझते रह गए।

कितने लोग मारे गए और कौन थे ?

बस में करीब 35 यात्री सवार थे। अब तक 18 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कुछ अभी भी मलबे के नीचे दबे होने की आशंका जताई जा रही है।इस हादसे में एक ही परिवार के चार सदस्य — विपिन की पत्नी अंजना, उनके दो बच्चे नक्श (7 वर्ष) और आरव (4 वर्ष), और विपिन के भाई की पत्नी कमलेश कुमारी सबकी मौके पर ही मौत हो गई।इनकी बेटी की जान किसी चमत्कार की तरह बची, लेकिन उसने अपनी मां को वहीं दम तोड़ते देखा।बस चालक और परिचालक की भी घटनास्थल पर ही मौत हो गई। तीन बच्चों को घायल अवस्था में बरठीं अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।जिन लोगों को बचाया गया, उनमें तीन लोग (चरम हालत में) अस्पताल भेजे गए। एक बच्चा लापता बताया गया था, जिसे बाद में मलबे से मृतावस्था में निकाला गया। 

 कैसे चला बचाव अभियान

जैसे ही हादसे की खबर फैली, स्थानीय लोग, पुलिस, प्रशासन, दमकल विभाग और NDRF की टीमें मौके पर पहुंचीं। अंधेरा और लगातार बारिश होने से बचाव कार्य मुश्किल हो गया। जेसीबी मशीनों की मदद से मलबा हटाया गया और रातभर राहत कार्य चलता रहा।अब तक 16 शवों को बाहर निकाला गया, बाकी को ढूंढने का कार्य जारी है। प्रशासन द्वारा मृतकों की पहचान की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।शवों की पहचान के लिए पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया शुरू हुई और परिजनों से संपर्क किया गया।

सरकार और PM की प्रतिक्रिया

राज्य एवं केंद्र सरकार ने मृत परिवारों को आर्थिक मदद का आश्वासन दिया।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दर्दनाक हादसे पर गहरा शोक जताते हुए मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।
हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हादसे को “बहुत बड़ी त्रासदी” बताते हुए जांच के आदेश दिए हैं और राहत कार्य युद्धस्तर पर जारी है।

हादसे की वजह और प्रशासनिक लापरवाही

स्थानीय लोगों का आरोप है कि बरठीं-घुमारवीं मार्ग के पास स्थित यह पहाड़ी पिछले कई महीनों से धीरे-धीरे दरक रही थी। बरसात में यहां से पत्थर और मिट्टी अक्सर गिरते रहते थे। इसके बावजूद लोक निर्माण विभाग (PWD) ने न तो पहाड़ी की सुरक्षा दीवार बनाई, न ही कोई चेतावनी बोर्ड लगाया। स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने कई बार चेताया था। लेकिन संबंधित विभागों द्वारा आवश्यक ढाल स्थिरीकरण, ड्रेनेज व्यवस्था, पहाड़ी सुरक्षा बांध आदि कार्य समय रहते नहीं किए गए थे।इस लापरवाही ने 18 लोगों की जान ले ली विशेष रूप से, बरसात के सीज़न में ऐसे खतरों की सूचना मिलने पर, पहाड़ी कटिंग क्षेत्रों में सुरक्षात्मक कदम उठाने चाहिए थे लेकिन वे नहीं लिए गए।सुरक्षा मानकों एवं निगरानी तंत्र की कमी इस त्रासदी के मुख्य कारण माने जा रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश से मिट्टी ढीली हो जाती है और यदि पहाड़ी की कटिंग बिना सुरक्षा के की जाए तो ऐसे भूस्खलन होना तय है।क्षेत्र में बारिश और भू-संतृप्ति की वजह से पहाड़ की सतह कमजोर हो गई होगी।

मौत की घाटी बना भल्लू पुल

भल्लू पुल के आसपास अब सिर्फ मलबा, टूटी बस और सन्नाटा है। लोग बताते हैं कि हादसे के बाद “बस की चीखें पहाड़ों में गूंज रही थीं। कोई अपने परिजनों को पुकार रहा था, कोई मलबे में दबे हाथ को पकड़कर रो रहा था।यह सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं, बल्कि प्रशासनिक उदासीनता की दर्दनाक मिसाल है  जिसने एक ही पल में 18 परिवारों के सपनों को मलबे में दफना दिया।

आगे क्या किया जाएगा ?

राज्य सरकार ने कहा है कि ऐसे हादसों से बचने के लिए भूस्खलन-रोधी संरचनाएं,मिट्टी और जल निकासी प्रणाली,और चेतावनी निगरानी सिस्टम लगाए जाएंगे।साथ ही, इस पूरी सड़क पर तकनीकी सर्वे करवाने के आदेश दिए गए हैं ताकि कमजोर ढलानों की पहचान की जा सकेI
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