हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को स्कूल शिक्षा विभाग में प्रधानाचार्य (स्कूल कैडर) के करीब 800 रिक्त पदों को 20 दिनों के भीतर पदोन्नति के माध्यम से भरने का सख्त निर्देश दिया है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने स्पष्ट कहा कि वर्षों से लंबित इस प्रक्रिया में सरकार का रवैया बेहद लापरवाह रहा है, जिसके कारण योग्य अध्यापक पदोन्नति के इंतजार में सेवानिवृत्ति की दहलीज पर पहुंच चुके हैं।
सरकार अपने ही आदेश पर अमल करने में विफल
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार को याद दिलाया कि विभाग की अपनी ही अधिसूचना के अनुसार साल में कम से कम दो बार डीपीसी आयोजित होना अनिवार्य है, लेकिन वर्षों से इसका पालन नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि इस देरी के कारण शिक्षकों का भविष्य प्रभावित हुआ है, और कई अध्यापक बिना प्रमोशन पाए ही रिटायर हो रहे हैं।
20 दिनों में डीपीसी आयोजित कर नियुक्ति पत्र जारी करने का आदेश
हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि:
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20 दिन के भीतर डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी (DPC) बैठक आयोजित की जाए।
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पात्र प्राध्यापकों को प्रधानाचार्य पद के नियुक्ति पत्र जारी किए जाएँ।
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पूरी प्रक्रिया की अनुपालना रिपोर्ट अगली सुनवाई में, जो 26 दिसंबर को निर्धारित है, कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की जाए।
पिछली सुनवाई में सरकार से मांगा गया था स्पष्टीकरण
कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान सरकार से यह पूछते हुए कड़ा रुख अपनाया था कि आखिर डीपीसी बुलाने में बार-बार देरी क्यों हो रही है। अदालत ने सरकार से यह भी निर्देशित किया था कि प्रमोशन प्रक्रिया की पूरी टाइमलाइन और कार्रवाई का स्पष्ट ब्योरा कोर्ट में पेश किया जाए।
सरकार ने पेश की 29 नवंबर की हिदायत
राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि शिक्षकों की पदोन्नति को लेकर 29 नवंबर 2025 को शिक्षा विभाग ने नई हिदायत जारी की है, जिसमें कहा गया है कि:
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विभाग अब HPPSC की प्रक्रिया का इंतजार छोड़ेगा,
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और सरकारी स्तर पर ही तेज़ी से डीपीसी आयोजित की जाएगी।

