बिहार के सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुल गई है। 14 करोड़ रुपये की लागत से बने इस अस्पताल में डॉक्टर के नदारद रहने पर एक सर्पदंश पीड़िता का इलाज ऑपरेशन थिएटर (ओटी) में ही झाड़-फूंक से किया गया। यह घटना सरकार के ‘बेहतर स्वास्थ्य सेवा’ के दावों पर बड़ा सवाल उठाती है।
डॉक्टर नदारद, तांत्रिक ने किया इलाज
त्रिवेणीगंज अस्पताल की लापरवाही से मरीज की जान जोखिम में त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर संजीव कुमार सुमन गायब मिले। इसी दौरान सांप के काटने से पीड़ित 18 वर्षीय आरती कुमारी को अस्पताल लाया गया। डॉक्टर के न मिलने पर परिजन एक महिला तांत्रिक को अस्पताल ले आए, जिसने इमरजेंसी ओटी में करीब 15-20 मिनट तक झाड़-फूंक की।
‘डॉक्टर नहीं, पता नहीं किसकी ड्यूटी’: नर्स ने स्वीकारी अस्पताल की बदहाली
अस्पताल की जीएनएम नर्स नीलम कुमारी ने खुद स्वीकार किया कि जब पीड़िता को लाया गया, तब डॉक्टर मौजूद नहीं थे और उन्हें यह भी नहीं पता था कि ड्यूटी पर कौन है। इस तरह की लापरवाही ने अस्पताल प्रशासन के खोखले दावों को उजागर कर दिया है। मरीज के परिजन ने मजबूरी में तांत्रिक से इलाज कराने की बात कही।
त्रिवेणीगंज अस्पताल में ‘भगवान भरोसे’ मरीज: लापरवाही का सिलसिला जारी, कार्रवाई नहीं
सुपौल के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में लापरवाही का यह पहला मामला नहीं है। पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई है। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि आधुनिक सुविधाओं के बावजूद यहां मरीज भगवान भरोसे हैं और अस्पताल प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों से बच रहा है।