बलिया जिले में गंगा नदी का कहर जारी है, सड़कें पूरी तरह जलमग्न हैं और चारों ओर पानी ही पानी है। लेकिन बाढ़ की यह तबाही भी एक प्रेम कहानी को नहीं रोक सकी। बिहार के बक्सर से बलिया तक दूल्हा बने राजेश कुमार की बारात नाव से निकली, क्योंकि शादी की तारीख तय थी और इसे टालना नामुमकिन था। दूल्हा-दुल्हन के परिवारों ने इस बड़ी प्राकृतिक आपदा के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और अपनी सूझबूझ से इस मुश्किल को पार कर लिया।
बाढ़ का कहर भी नहीं तोड़ पाया हौसला: बक्सर से बलिया तक नाव पर निकली बारात
गंगा नदी के विकराल रूप और बाढ़ से बढ़ी दूरी को देखते हुए, शादी की चुनौतियों को पार करने के लिए वाकई बड़े हौसले की जरूरत थी। जहां बाढ़ के तेज बहाव में नौकाएं मुश्किल से चल पा रही थीं, वहीं एक दूल्हे ने अपनी बारात नाव पर ही निकाल ली। दूल्हे के साथ 25 से अधिक परिजन भी दो अलग-अलग नावों में दुल्हन को ब्याहने निकले।
दूल्हे के पिता, कमलेश राम ने बताया कि “ऐसा लग रहा था कि बाढ़ ने शादी पर ग्रहण लगा दिया है, लेकिन इसे रद्द करना कोई विकल्प नहीं था। इसलिए, हमने नाव से बारात ले जाने का फैसला किया।”
दुल्हन को लाने के लिए दूल्हे ने चलाया जुगाड़: बाढ़ ने बनाया शादी को और भी यादगार
बलिया के बेयासी गांव में शादी की सारी तैयारियां चल रही थीं, तभी पूरा इलाका बाढ़ की चपेट में आ गया और सारी सड़कें बंद हो गईं। लेकिन राजेश कुमार और उसके परिवार ने हार नहीं मानी। पारंपरिक पोशाक पहने दूल्हा एक सजी हुई नाव पर बैठा था और बाकी रिश्तेदार दूसरी नावों पर सवार थे। भले ही कोई म्यूजिक सिस्टम या बैंड नहीं था, लेकिन पानी की लयबद्ध फुहारों और मंत्रोच्चार ने इस शादी को एक अनूठा आकर्षण दिया।
राजेश के पिता ने कहा, “मां गंगा की लहरों ने इस शादी को अविस्मरणीय बना दिया।”
जब बाढ़ बन गई शादी की वजह: इंटरनेट पर छाई ‘नाव वाली बारात’
बिहार से नाव पर सवार होकर बाढ़ प्रभावित गांव में पहुंची यह बारात अब चर्चा का विषय बन गई है। इस अनोखे दृश्य को देखने के लिए उत्सुक ग्रामीण नदी तट पर इकट्ठा हो गए और कई लोगों ने इस बारात के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा किए, जो तुरंत वायरल हो गए। इस घटना ने साबित कर दिया कि जब दिल में प्यार और इरादे मजबूत हों, तो कोई भी प्राकृतिक आपदा या चुनौती किसी शुभ काम को रोक नहीं सकती।
Long or Short, get news the way you like. No ads. No redirections. Download Newspin and Stay Alert, The CSR Journal Mobile app, for fast, crisp, clean updates!