देश की सबसे बड़ी इंटीग्रेटेड बिजली कंपनियों में से एक टाटा पावर ना सिर्फ आपकी जिंदगियों को रोशन कर रहा है बल्कि अपने इनोवेटिव प्रयासों से समाज में सकारात्मक बदलाव भी ला रहा है। पर्यावरण हो या कम्युनिटी टाटा पावर अपने तमाम सामाजिक सिद्धांतों को अपनाते हुए लगातार आगे बढ़ रहा है। टाटा पावर भारत का सबसे प्रगतिशील ग्रीन एनर्जी ब्रांड बन गया है। सस्टेनेबल और क्लीन एनर्जी (Clean Energy) डेवलपमेंट पर ध्यान देने के साथ, टाटा पावर रूफटॉप सोलर, माइक्रो ग्रिड, स्टोरेज सॉल्यूशंस, ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, होम ऑटोमेशन जैसे तमाम इनोवेशंस पर भी काम कर रहा है।
The CSR Journal की टीम Trombay Thermal Power Plant पर जाकर Tata Power के काम करने के तौर तरीके, टाटा पावर के सीएसआर, उनके ग्रीन इनिशिएटिव, सस्टेनेबिलिटी, कम्युनिटी डेवलपमेंट को समझने के लिए टाटा के अधिकारियों से मुलाकात की। Tata Power के अकेले ट्रॉम्बे प्लांट की बात करें तो ये प्लांट मुंबई शहर के बीचो-बीच मौजूद है। ऐसे में टाटा पावर की मुंबईकरों की सुरक्षा और मुंबई की पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। मुंबई में स्थित ट्रॉम्बे थर्मल पावर स्टेशन की स्थापित उत्पादन क्षमता 930 मेगावाट है जो मुंबई में बहुसंख्यक उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करती है।
टाटा पावर का है 2045 तक कार्बन नेट जीरो का लक्ष्य
आज भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया कार्बन नेट जीरो (Carbon Net Zero at Tata Power) होना चाहती है। टाटा पावर धीरे-धीरे कार्बन नेट जीरो की तरफ बढ़ रहा है। टाटा पावर ने साल 2045 तक कार्बन नेट जीरो का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अभी से ही प्रयास जारी है। कंपनी अपने कैम्पस में कर्मचारियों के लिए EVs का इस्तेमाल कर रही है। यहां तक कि पेपरलेस ऑफिस भी किया जा रहा है। अकेले ट्रॉम्बे प्लांट की बात करें तो 750 मेगावाट बिजली कोयले पर आधारित प्रणाली से निर्मित होता है। कोयला ज्यादा राख न फैलाये इसलिए इंडोनेशिया से कोयला इम्पोर्ट किया जाता है और प्लांट में समुद्र का पानी इस्तेमाल किया जाता है।
जीरो वेस्ट के लिए कोयले की राख से बनता है ईंट
टाटा पावर जीरो वेस्ट (Zero Waste in Tata Power) की दिशा में भी काम करता है। कोयला आधारित प्लांट से बॉटम ऐश यानी बहुत महीन राख निकालता है जिससे कंपनी ईंट, टेट्रा पॉड्स और सिल्ट ब्लॉक्स बनाती है। ये सभी कंस्ट्रक्शन वर्क में इस्तेमाल किये जाते है। देश भर में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट (Infrastructure Development) के लिए बड़े पैमाने पर रेती, ईंट की जरूरत होती है। रेती या बालू नदियों के खनन से निकालता है और ईंट मिटटी खनन से निर्मित होती है ऐसे में खनन को रोकने के लिए ये कोयले की राख एक अच्छा विकल्प है।
ग्रीन एनर्जी का सबसे बड़ा विकल्प सोलर पावर
सौर ऊर्जा (Solar Energy in Tata), दुनियाभर में ऊर्जा के लिए एक आदर्श स्रोत बनता जा रहा है। आज इसका इस्तेमाल घरों, होटलों और खेतों में सिंचाई करने से लेकर कई घरेलू कामों में हो रहा है। अपने घर में खुद से सोलर पैनल लगाकर हर महीने आने वाले बिजली के भारी-भरकम बिल से छुटकारा भी पाया जा सकता हैं। टाटा पावर अब तक सोलर एनर्जी से 50 मिलियन तक पहुंच बनायीं है और 1 हज़ार मेगावाट रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट्स लगा चुकी है। किसानों की जिंदगियों में भी सोलर एनर्जी बहुत अहम इसलिए हो जाता है क्योंकि किसानों के लिए उनके खेती की सिंचाई आसान हो जाती है। 78000 सोलर पंप अबतक टाटा पावर ने लगाए है।
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर से ग्रीन मोबिलिटी को मिलेगा बढ़ावा
आजकल इलेक्ट्रिक व्हीकल (EVs – Electric Vehicle) का मार्केट बड़ी ही तेजी से ऊपर जा रहा है। लोग इलेक्ट्रिक गाड़ियों को खरीद रहें है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों में रूचि दिखा रहें हैं। लेकिन अगर आप भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों को खरीदने से पहले चार्जिंग की कम सुविधा है पर विचार कर रहें है तो टाटा पावर आपकी इस टेंशन को खत्म कर रहा है। भारत की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर टाटा पावर (Tata Power) ने 400 शहरों में 2600 से ज्यादा इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन स्थापित की है। EV मालिक टाटा पावर के EZ चार्ज मोबाइल ऐप के जरिए 24×7 वाहन चार्जिंग, निगरानी और ई-भुगतान जैसी सुविधाओं का लाभ उठा रहें हैं।
समाज को सशक्त बनाता टाटा पावर का सीएसआर (CSR in Tata Power)
सबसे अहम और सबसे महत्त्वपूर्ण है टाटा पावर की सीएसआर – (Corporate Social Responsibility in Tata Power) जो अपने तमाम परियोजनाओं से समाज को सशक्त बना रहा है। टाटा पावर ने हमेशा जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने और अपने आसपास के समुदायों का समग्र विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से विभिन्न सीएसआर पहलें (CSR Initiatives) की है। टाटा पावर कम्युनिटी डेवलपमेंट ट्रस्ट के माध्यम से टाटा एक बेहतर समाज का निर्माण करने में मदद करने के लिए विविध सामुदायिक आधारित योजनाओं व परियोजनाओं को लागू करने और उनका दायरा बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। अपने कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी की पहल से टाटा पावर का उद्देश्य परिणाम उन्मुख भागीदारी पूर्ण दृष्टिकोण से समुदाय के लोगों के जीवन को बदलना है। कंपनी का ये प्रयास समावेशी विकास की ओर निर्देशित हैं। ताकि इससे आसपास के समुदायों तक पहुंच बनाई जा सके और उन्हें एक सुनहरा भविष्य बनाने में भी मदद मिल सके।
टाटा पावर के सीएसआर से बदल गई 2.71 मिलियन से अधिक जरूरतमंद लोगों की जिंदगियां
एजुकेशन, हेल्थ, ड्रिंकिंग वॉटर एंड सैनिटेशन, रोजगार, लाइवलीहुड जैसे कई अन्य क्षेत्रों के साथ समूचे देश भर में टाटा पावर फैला है और 16 राज्यों में सीएसआर परियोजनाएं संचालित है। अब तक टाटा पावर ने 32 करोड़ रुपये सीएसआर में खर्च किये है ताकि समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सके और समाज के आखिरी जरूरतमंद को सशक्त बनाया जा सके। अनोखा धागा कार्यक्रम हो या आभा, टाटा पावर स्किल डेवलपमेंट हो या अधिकार या फिर ‘PAY AUTENTION’- Autism Support, जैसे इन तमाम परियोजनाओं के जरिये टाटा पावर ग्रुप के सीएसआर कार्यक्रमों ने 2019-20 में भारत के 16 राज्यों में 348 गांवों में 2.71 मिलियन से अधिक सामुदायिक सदस्यों तक पहुंच बनाई है।