30 अक्टूबर 2025, गुरुवार को मनाई जाने वाली गोपाष्टमी इस बार सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी बेहद खास मानी जा रही है।हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन ऐसा रवि योग और शिववास योग बन रहा है, जो अत्यंत दुर्लभ और शुभ माना जाता है कहा जाता है कि इस संयोग में की गई गोसेवा और गोपूजा से न केवल पापों का नाश होता है,बल्कि जीवन की हर मनोकामना भी पूरी होती है।लेकिन ज्योतिषाचार्य चेतावनी दे रहे हैं कि अगर इस दिन कुछ विशेष सावधानियां न बरती जाएं,तो पूजा का प्रभाव अधूरा रह सकता है।आइए जानें इस गोपाष्टमी को क्या करें, क्या न करें और क्यों यह दिन इतना खास है। गोपाष्टमी विज्ञान से जुड़ी है गोपाष्टमी क्योंकि गाय के गोबर और गोमूत्र में पाए जाने वाले जैविक तत्व वातावरण को शुद्ध करते हैं और प्राकृतिक एंटीबायोटिक का कार्य करते हैं
कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 09:23 बजे शुरू होगीऔर 30 अक्टूबर को सुबह 10:06 बजे तक रहेगी।उदयातिथि के अनुसार गोपाष्टमी का पर्व 30 अक्टूबर, गुरुवार को ही मनाया जाएगा।
मुख्य शुभ मुहूर्त:
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सूर्योदय – सुबह 06:32 बजे
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अभिजित मुहूर्त – 11:42 से 12:27 बजे
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गोधूलि बेला – 05:37 से 06:03 बजे
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पूजा का सर्वोत्तम समय – सूर्योदय से 10:06 बजे तक
इस वर्ष का गोपाष्टमी पर्व इसलिए खास है क्योंकि इस दिन रवि और शिववास योग का संगम बनेगा।
ज्योतिष में यह योग अत्यंत पवित्र माना गया है, ऐसा माना जाता है कि इस योग में की गई पूजा का फल सौगुना अधिक मिलता है।
गोपाष्टमी का धार्मिक महत्त्व
गोपाष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण और गौमाता की आराधना के लिए समर्पित है।मान्यता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने पहली बार गोप (गायों) की रक्षा का दायित्व संभाला था।ब्रजभूमि में यह दिन गोवर्धन पूजा से जुड़ा हुआ है, जब श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का अहंकार तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया और सात दिनों तक ब्रजवासियों की रक्षा की थी।इसी घटना की स्मृति में यह दिन “गोपाष्टमी” कहलाता है। हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि गौमाता में 33 कोटि देवताओं का वास होता है। इस दिन गाय और उनके बछड़ों की पूजा करने से लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती तीनों देवियों की कृपा प्राप्त होती है।
कैसे करें गोपाष्टमी की पूजा?
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सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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फिर गौमाता को स्नान कराएं और हल्दी, चंदन, रोली, अक्षत से तिलक करें।
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फूल, फल, गुड़ और हरी घास अर्पित करें।
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फिर ‘ॐ नमो देव्यै महादेव्यै सुरभ्यै च नमो नमः’ मंत्र का जप करते हुए आरती करें।
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गौदान करना इस दिन का सबसे पुण्यकारी कार्य माना गया है।जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से गोसेवा करता है, उसके जीवन से संकट और दरिद्रता दूर हो जाती है।

