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April 1, 2025

सीएसआर से होता स्वस्थ बचपन, सुरक्षित भविष्य 

देश में जब से सीएसआर कानून की अनिवार्यता हुई है सीएसआर की पहल से ना सिर्फ सामाजिक बदलाव हो रहा है बल्कि बड़े पैमाने पर कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फंड से लोगों को नयी जिंदगी मिल रही है। ताज़ा उदाहरण है महाराष्ट्र, जहां बड़े पैमाने पर स्कूली छात्रों को सरकारी सुविधा के साथ साथ सीएसआर ने जरूरतमंदों की जीवनी ही बदल गयी। महाराष्ट्र में सीएसआर और राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम के अंतर्गत महज एक साल में 10 हजार विद्यार्थियों का अलग अलग ऑपरेशन कर बच्चों को नया जीवनदान दिया वो भी बिलकुल मुफ्त। राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम के अंतर्गत महाराष्ट्र में पिछले साल आंगनबाड़ी के 64 लाख 71 हजार बच्चों की तो वहीं 1 करोड़ 21 लाख स्कूली विद्यार्थियों की जांच की गयी, राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम योजना से अब तक महाराष्ट्र में 17 हज़ार विधार्थियों को मुफ्त में दिल से जुडी बिमारियों की सर्जरी की गयी है वहीं पिछले एक साल में 3 हज़ार बच्चों का सफल ऑपरेशन कर सभी को नया जीवन मिला है।

सरकार और सीएसआर से पोषित होते बच्चें

इस योजना अंतर्गत जन्मजात बधिर बच्चों का भी इलाज किया गया, जो बच्चे जन्म से ही सुनने में सक्षम नहीं होते उन्हें एक ऑपरेशन कर कॉक्लिअर इम्प्लान्ट किया जाता है जिसके बाद बच्चे में सुनने की क्षमता आ जाती है, ऑपरेशन कर कॉक्लिअर इम्प्लान्ट करने के लिए अमूमन 5 से 6 लाख रुपये लगते है लेकिन महाराष्ट्र में अबतक 136 बच्चों पर ये शस्त्रक्रिया किया गया है जिसके बाद बच्चे ना सिर्फ सुन पा रहे है बल्कि बोल भी पा रहे है। बच्चों की हर्निया, हायड्रोसील, क्लेप्ट लीप, क्लेफ्ट पॅलेट आदि का भी राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम के अंतर्गत ऑपरेशन और इलाज किया जा रहा है, इस योजना में कॉर्पोरेट्स कंपनियां भी सामने आ कर महाराष्ट्र सरकार के साथ सीएसआर फंड का इस्तेमाल कर रही है। राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम सही तरह से लागू हो इसलिए महाराष्ट्र सरकार ने इस योजनान्तर्गत कर्मचारियों  के 1109 ग्रुप्स बनाये है और अकेले मुंबई में 55 ग्रुप्स की मंजूरी महाराष्ट्र सरकार ने दी है। आदिवासी बहुल इलाकों में बच्चों की जांच के लिए 31 ग्रुप्स कार्यरत है। इन ग्रुप्स में दो मेडिकल ऑफिसर, एक ए.एन.एम. और एक दवाई निर्माता का समावेश रहता है।

महाराष्ट्र में 16 हजार 595 दिल का ऑपरेशन, 60 हजार 140 अन्य बिमारियों ऑपरेशन किया

महाराष्ट्र के स्वास्थ मंत्री राजेश टोपे ने The CSR Journal से ख़ास बातचीत करते हुए बताया कि “महाराष्ट्र में राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम अंतर्गत गरीब और जरूरतमंद बच्चों का मुफ्त इलाज होता है, जिसमे सीएसआर भी अहम भूमिका निभाता है, इस बार बच्चों के दिल के ऑपरेशन करने में 22 प्राइवेट अस्पतालों ने सरकार की मदद की, मुंबई, पुणे, नागपुर, वर्धा, औरंगाबाद, सांगली जैसे शहरों में ये ऑपरेशन किया गया। अब तक महाराष्ट्र में 16 हजार 595 दिल का ऑपरेशन, 60 हजार 140 अन्य बिमारियों ऑपरेशन किया गया”। राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम साल 2013 में शुरू हुआ, जिसके माध्‍यम से अधिकतम 18 वर्ष तक की उम्र के बच्‍चों के लिए स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के एक पैकेज का प्रावधान किया गया है। यह पहल राष्‍ट्रीय ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य मिशन का एक हिस्‍सा है, जिसे सोनिया गांधी द्वारा महाराष्‍ट्र के ठाणे जिले के पालघर में 6 फरवरी 2013 को शुरू किया गया था। जिसका विस्‍तार चरणबद्ध तरीके से देश के सभी जिलों तक किया गया। जिसका लक्ष्‍य बच्‍चों की मुख्‍य बीमारियों का शीघ्र पता लगाना और उसका निदान करना है। इन बीमारियों में जन्‍मजात विकृतियों, बाल रोग, कमियों के लक्षणों और विकलांगताओं सहित विकास संबंधी देरी शामिल हैं।

भारत में हर साल 17 लाख ऐसे बच्‍चे जन्‍म लेते हैं, जो जन्‍मजात विकृतियों का शिकार होते हैं

विश्‍वभर में प्रतिवर्ष लगभग 79 लाख ऐसे बच्‍चों का जन्‍म होता है, जो जन्‍म के समय गंभीर आनुवंशिक अथवा आंशिक तौर पर आनुवंशिक विकृतियों से पीडि़त होते हैं। ऐसे बच्‍चे जन्‍म लेने वाले कुल बच्‍चों का छह प्रतिशत हैं। भारत में प्रतिवर्ष 17 लाख ऐसे बच्‍चे जन्‍म लेते हैं, जो जन्‍मजात विकृतियों का शिकार होते हैं। यदि उनका विशेषतौर पर और समय पर निदान नहीं हो और इसके बावजूद भी वे बच जाते हैं, तो ये बीमारियां उनके लिए जीवन पर्यन्‍त मानसिक, शा‍रीरिक, श्रवण संबंधी अथवा दृष्टि संबंधी विकलांगता का कारण हो सकती हैं। लेकिन सरकार और सीएसआर, इन दोनों की पहल से देश में बदलाव हो रहा है।

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