बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का सिलसिला जारी है। स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने गुरुवार को शिक्षा विभाग के एक और भ्रष्ट अफसर, वीरेंद्र नारायण, पर शिकंजा कसा। आय से अधिक संपत्ति के मामले में उनके पटना, मुजफ्फरपुर और पूर्णिया स्थित ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई। वीरेंद्र नारायण, जो फिलहाल तिरहुत प्रमंडल के रीजनल डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं और पहले जिला शिक्षा पदाधिकारी रह चुके हैं, उन पर ₹3.76 करोड़ से अधिक की अवैध संपत्ति जमा करने का आरोप है।
पढ़ाई नहीं, अकूत दौलत कमाई
बताया जा रहा है कि लंबे समय से वीरेंद्र नारायण के खिलाफ शिकायतें मिल रही थीं। उनके खिलाफ दर्ज आय से अधिक संपत्ति मामले के बाद विजिलेंस की टीम ने गुरुवार तड़के उनके आवासों पर छापा मारा। टीम ने हर ठिकाने को सील कर दिया और अंदर किसी के भी आने-जाने पर रोक लगा दी। घर में रखे दस्तावेज़, गहने, कीमती सामानों और गैजेट्स की बारीकी से जांच की गई।
जब भ्रष्टाचार का ‘कलरव’ हुआ शांत
विजिलेंस टीम की इस कार्रवाई ने शिक्षा विभाग में हलचल मचा दी है। यह रेड दिखाती है कि सरकार भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए कितनी गंभीर है। वीरेंद्र नारायण जैसे अफसर, जिन्होंने जनता की सेवा के बजाय अपनी तिजोरियां भरीं, अब कानून के शिकंजे में हैं। इस तरह की कार्रवाई से सरकारी तंत्र में पारदर्शिता लाने की उम्मीद जगी है।
कतार में और भी ‘बदले’ हुए अफसर?
यह विजिलेंस की हाल के दिनों में हुई एक बड़ी कार्रवाई है, जिससे यह साफ है कि भ्रष्ट अधिकारियों की लिस्ट अभी लंबी है। इस रेड से उन सभी अफसरों को एक कड़ा संदेश मिला है जो अपनी कमाई से अधिक संपत्ति अर्जित करने में लगे हैं। अब देखना यह है कि इस छापेमारी में क्या-क्या खुलासा होता है और आगे और किन अधिकारियों पर गाज गिरती है।