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November 26, 2025

Brown Sugar Addiction: नशे के लिए बेटे ने बेच दी मां की बाली, एक ने मोबाइल तक रख दिया गिरवी

The CSR Journal Magazine
समाज में नशे की लत तेजी से फैल रही है और इसकी सबसे खतरनाक तस्वीर युवा पीढ़ी के रूप में सामने आ रही है। खासकर ब्राउन शुगर जैसे सिंथेटिक नशे ने न केवल युवाओं की सेहत को तबाह किया है, बल्कि उन्हें अपराध के रास्ते पर भी धकेल रहा है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि नशे की पूर्ति के लिए युवा घर की वस्तुएं तक बेचने या गिरवी रखने लगे हैं।
ब्राउन शुगर मस्तिष्क में डोपामिन बढ़ाकर तीव्र खुशी का अहसास कराती है। लगातार उपयोग से सोच और निर्णय लेने की क्षमता कमजोर पड़ती है। दिमाग एडिक्शन का रूट बना लेता है और व्यक्ति नशे को रोक नहीं पाता। वास्तविकता और सही-गलत में फर्क खत्म हो जाता है। धीरे-धीरे युवा सोच-समझ खोकर नशे के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं।

नशे के लिए मां की बाली बेचने की दर्दनाक घटना

हाल ही में सामने आए एक मामले ने इस समस्या की गंभीरता को और उजागर कर दिया। एक युवक ब्राउन शुगर की लत में इतना डूब चुका था कि उसने अपनी मां की कान की बाली तक बेच दी। परिवार को जब इस बात का पता चला तो वे पूरी तरह टूट गए। मां ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे को कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन नशे की पकड़ इतनी मजबूत हो चुकी थी कि वह किसी की बात सुनने को तैयार नहीं था। यह घटना नशे के कारण बिखरते परिवारों की डरावनी हकीकत को सामने लाती है।

मोबाइल गिरवी रखकर पूरा किया नशे का खर्च

इसी तरह एक अन्य युवक ने नशे के लिए अपना मोबाइल फोन गिरवी रख दिया। परिवार द्वारा कई बार चेतावनी देने के बावजूद वह ब्राउन शुगर के जाल में फंसा रहा। यह घटना बताती है कि कैसे नशा युवाओं की सोच और संवेदनशीलता को खत्म कर देता है और उन्हें गलत फैसले लेने पर मजबूर कर देता है।

घर-परिवार में तनाव और असुरक्षा बढ़ी

इन घटनाओं के कारण परिवारों में तनाव और डर का माहौल फैल गया है। माता-पिता लगातार इस चिंता में जी रहे हैं कि उनका बच्चा कहीं नशे की वजह से किसी खतरनाक कदम की ओर न बढ़ जाए। कई परिवारों का कहना है कि नशा युवा के व्यवहार को इतना बदल देता है कि वे अपने ही बच्चों को पहचान नहीं पाते। घरों में असुरक्षा और मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा है।

नशा मुक्ति केंद्रों की बढ़ती जरूरत

ब्राउन शुगर और अन्य सिंथेटिक ड्रग्स तेजी से बढ़ रही हैं, जिसके चलते नशा मुक्ति केंद्रों की आवश्यकता भी बढ़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन ड्रग्स से छुटकारा पाना आसान नहीं होता। उपचार, नियमित काउंसलिंग और मानसिक सहयोग की जरूरत होती है। सिर्फ पुलिस कार्रवाई या गिरफ्तारियां इस समस्या का समाधान नहीं हैं। इसके लिए सामाजिक स्तर पर जागरूकता अभियान, स्कूलों और कॉलेजों में काउंसलिंग और सामुदायिक निगरानी जैसी ठोस पहल जरूरी है।

युवाओं को जागरूक करना सबसे महत्वपूर्ण कदम

विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि युवा अक्सर नशे की शुरुआत मज़ाक या प्रयोग के रूप में करते हैं, लेकिन धीरे-धीरे इसकी गिरफ्त में आ जाते हैं। अगर शुरुआती स्तर पर ही उन्हें नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाए तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। परिवारों को भी बच्चों के व्यवहार और दिनचर्या पर सतर्क नजर रखनी चाहिए। छोटी सी लापरवाही आगे चलकर बड़ा खतरा बन सकती है।

संवेदनशील समाज ही रोक सकता है नशे की बढ़ती समस्या

नशे पर नियंत्रण केवल कानून से संभव नहीं है। समाज का संवेदनशील और जागरूक होना भी जरूरी है। युवाओं को सही मार्गदर्शन, सही माहौल और सही सूचना मिले, तभी नशे जैसे खतरे को रोका जा सकता है। ब्राउन शुगर के बढ़ते मामलों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर अभी कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाली पीढ़ियां इस लत का शिकार होकर अपना भविष्य खो देंगी।
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