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December 19, 2025

चाय की प्याली बिस्किट की आदत बनी सुराग 9 साल बाद फरार हत्यारा सुरेंद्र पुलिस की गिरफ्त में

The CSR Journal Magazine
अक्सर कहा जाता है कि कोई भी अपराध पूरी तरह परफेक्ट नहीं होता। अपराधी चाहे कितनी भी चालाकी क्यों न करे, वह कोई न कोई सुराग जरूर छोड़ जाता है। गुजरात के सूरत से सामने आया यह मामला इस कहावत को एक बार फिर सच साबित करता है, जहां पत्नी की हत्या कर सालों से फरार चल रहा आरोपी आखिरकार अपनी एक मामूली-सी आदत के कारण पुलिस के हत्थे चढ़ गया।
यह मामला सूरत जिले के सचिन इलाके का है। यहां रहने वाला सुरेंद्र एक निजी इंजीनियरिंग कंपनी में काम करता था और किराए के मकान में अपनी पत्नी के साथ रहता था। शुरुआती दिनों में सब कुछ सामान्य था, लेकिन समय के साथ पति-पत्नी के बीच तनाव बढ़ने लगा। छोटी-छोटी बातों पर झगड़े होने लगे, जो धीरे-धीरे गंभीर विवाद में बदल गए।

साल 2007 की खौफनाक वारदात

साल 2007 में घरेलू विवाद ने खतरनाक रूप ले लिया। गुस्से और तनाव में आकर सुरेंद्र ने अपनी पत्नी की बेरहमी से हत्या कर दी। घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए सुरेंद्र को गिरफ्तार किया। जांच के दौरान पुलिस को उसके खिलाफ मजबूत सबूत मिले, जिसके आधार पर अदालत ने उसे दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
सजा मिलने के बाद सुरेंद्र कई वर्षों तक जेल में बंद रहा। जेल में रहते हुए उसने सामान्य कैदी की तरह अपनी सजा काटी और किसी को यह अंदाजा नहीं था कि आने वाले समय में वह कानून को फिर से चकमा देने की कोशिश करेगा।

पैरोल बना फरारी की वजह

साल 2016 में सुरेंद्र ने पैरोल के लिए आवेदन किया। नियमानुसार उसे 28 दिनों की पैरोल मिल गई। जेल से बाहर आते समय उसने यह भरोसा दिलाया कि तय समय पर वापस लौट आएगा, लेकिन जैसे ही वह जेल से बाहर निकला, फरार हो गया। पैरोल खत्म होने के बाद भी जब वह वापस नहीं लौटा, तो पुलिस ने उसकी तलाश शुरू कर दी।
पुलिस के लिए सुरेंद्र को ढूंढना आसान नहीं था। वह अपनी पहचान बदलकर अलग-अलग जगहों पर छिपता रहा। कभी मजदूरी तो कभी छोटे-मोटे काम करके वह अपना गुजारा करता रहा। कई बार पुलिस उसके करीब भी पहुंची, लेकिन हर बार वह बच निकलने में कामयाब हो गया।

9 साल तक पुलिस को देता रहा चकमा

लगभग 9 साल तक सुरेंद्र पुलिस की आंखों में धूल झोंकता रहा। समय के साथ मामला ठंडा पड़ने लगा, लेकिन पुलिस ने उसकी तलाश पूरी तरह बंद नहीं की। तकनीकी सर्विलांस, पुराने संपर्कों की जांच और मुखबिरों के जरिए लगातार उस पर नजर रखी जा रही थी।
इसी दौरान पुलिस को एक अहम जानकारी मिली। जांच में सामने आया कि सुरेंद्र भले ही जगह बदलता रहा हो, लेकिन उसकी दिनचर्या में एक चीज कभी नहीं बदली—रोज सुबह चाय के साथ बिस्किट खाने की आदत। यह आदत उसके लिए इतनी जरूरी थी कि वह किसी भी हालत में इसे नहीं छोड़ता था।

चाय–बिस्किट ने खोली पोल

पुलिस ने इसी आदत को अपना हथियार बनाया। मुखबिरों को सक्रिय किया गया और उन इलाकों में निगरानी बढ़ाई गई, जहां एक संदिग्ध व्यक्ति रोज सुबह तय समय पर चाय-बिस्किट लेने आता था। आखिरकार एक चाय की दुकान पर पुलिस को ऐसा व्यक्ति दिखा, जिसकी शक्ल-सूरत और हाव-भाव सुरेंद्र से मेल खाते थे।
कुछ दिनों तक गुप्त निगरानी के बाद पुलिस ने पुख्ता सबूत जुटाए और फिर एक सुनियोजित कार्रवाई के तहत सुरेंद्र को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के समय वह पूरी तरह सामान्य दिख रहा था और उसे शायद इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उसकी रोजमर्रा की आदत ही उसे जेल तक ले आएगी।

पुलिस की प्रतिक्रिया

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह गिरफ्तारी इस बात का उदाहरण है कि अपराधी कितना भी सतर्क क्यों न हो, वह कोई न कोई गलती जरूर करता है। सुरेंद्र की चाय-बिस्किट की आदत उसके लिए सबसे कमजोर कड़ी साबित हुई।

जेल की सलाखों के पीछे

9 साल तक फरार रहने के बाद अब सुरेंद्र एक बार फिर जेल की सलाखों के पीछे है। पैरोल का दुरुपयोग करने और फरारी के आरोपों में उसके खिलाफ अलग से कार्रवाई की जा रही है। इस मामले ने न सिर्फ पुलिस की सतर्कता को साबित किया है, बल्कि यह भी संदेश दिया है कि कानून से भागना आसान नहीं है—क्योंकि छोटी-सी आदत भी बड़ी सजा की वजह बन सकती है।

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