महाराष्ट्र के दुर्गम इलाकों में रहने वाले आदिवासी नागरिकों को भी अब मुंबई जैसी स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। राज्य के दूरदराज के इलाकों में आदिवासी नागरिकों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए बीएमसी और केईएम हॉस्पिटल ने पीरामल संस्था के साथ एक समझौता किया है। तीन साल के लिए इस समझौते से राज्य के 28 लाख आदिवासियों के जीवन को बेहतर बनाने और आदिवासियों की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने का प्रयास बीएमसी, केईएम हॉस्पिटल और पीरामल फाउंडेशन करेगा।
पालघर समेत महाराष्ट्र के एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में सुधरेंगी मेडिकल सेवाएं
हम आपको बता दें कि महाराष्ट्र के 4 ऐसे जिले है जो आकांशी जिले है। नंदुरबार, गढ़चिरौली, वाशिम, उस्मानाबाद, चंद्रपुर इन एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट के बाद आदिवासी जिला पालघर में 28 लाख आदिवासी रहते है और इन तक अत्याधुनिक मेडिकल सुविधाओं की पहुंच जरुरी करने के लिए मुंबई का केईएम हॉस्पिटल टेलीमेडिसिन, उपचार, डायग्नोस्टिक, स्वास्थ्य शिविर की मदद से न सिर्फ इन दुर्गम इलाकों में इलाज के लिए स्वास्थ्य जागरूकता करेगी बल्कि इसके साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आदिवासी क्षेत्रों में उपचार प्रदाताओं को प्रशिक्षण भी देगी।
आदिवासियों की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करेगी पिरामल ग्रुप
मुंबई का केईएम अस्पताल बीएमसी के अधीन आने वाला मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल है जहां महाराष्ट्र समेत देश के कोने-कोने से मरीज अपना इलाज करवाने आते है। लेकिन बात करें दूसरे जिलों की तो कई जिलों में आज भी इलाज व निदान की सुविधा अत्याधुनिक नहीं है। केईएम अस्पताल के डॉक्टर और छात्र प्रशिक्षण के लिए ऐसे आदिवासी इलाकों में भी जाएंगे। गौरतलब है कि आदिवासी समुदाय में कुपोषण, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, एनीमिया और टीबी जैसी बीमारियां ज्यादा होती है। एक अकड़ा ये भी कहता है कि 25 फीसदी लोगों को बीमारियों के बारें में जानकारी ही नहीं होती। ऐसे में पिरामल कुल 110 सुदूर इलाकों में काम कर रहे हैं।