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यूपी – श्रावस्ती में सीएसआर घोटाला, सरकारी कंपनी ब्लैक लिस्ट

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पिछड़ा राज्य होने के साथ साथ यूपी सीएसआर निवेश के मामलों में फिसड्डी साबित हो रहा है, रही कसर तो घोटाला निकाल देता है, हम ये इसलिए कह रहें है क्योंकि उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले में सीएसआर के तहत सामाजिक भलाई के लिए पैसे तो आये लेकिन इसे भी गबन कर लिया गया। श्रावस्ती में हुआ है सीएसआर घोटाला, जिसे खुद जिला प्रशासन ने कबूल किया है और इसपर कार्यवाई भी शुरू कर दी है।

यूपी के श्रावस्ती जिले में सीएसआर फंड घोटाला

दरअसल यूपी के श्रावस्ती जिले में सीएसआर फंड के तहत हैंडपंप लगना था। इस सीएसआर पहल के लिए सरकारी कंपनी उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम लिमिटेड को हैंडपंप लगाने का जिम्मा सौंपा गया यानि यूपीएसआईसीएल (UP Small Industries Corporation Ltd.) को कार्यदाई संस्था बनाया गया था। लेकिन UPSICL संस्था ने सारे सीएसआर के नियमों को ताक पर रखकर ऐसा काम किया कि श्रावस्ती जिला प्रशासन को अपने ही सरकारी कंपनी के खिलाफ एक्शन लेना पड़ा। उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम लिमिटेड ने मानकों के खिलाफ हैंडपंप लगाने के साथ साथ लाखों रुपये का भी गबन कर लिया।

सीएसआर घोटाले के बाद श्रावस्ती जिले में उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम लिमिटेड ब्लैक लिस्ट हुई

सीएसआर घोटाले को देखते हुए श्रावस्ती जिलाधिकारी ने उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम लिमिटेड को जिले में ब्लैक लिस्ट किया है। ये कार्यवाई जिले के चीफ डेवलपमेंट अधिकारी की रिपोर्ट के बाद हुआ। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल समेत श्रावस्ती जिले में पेयजल का संकट बना रहता है। इसलिए सीएसआर निधि से हैंडपंप लगाने के लिए क्षेत्रीय प्रबंधक उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम लिमिटेड इलाहाबाद को कार्यदाई संस्था बनाया गया था। इसके लिए कॉर्पोरेट कंपनी ने सीएसआर के तहत लगभग 7 लाख रुपये का बजट प्रस्तावित किया था। जो चीफ डेवलपमेंट अधिकारी कुमार हर्ष की देखरेख में किया जा रहा था।

उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम लिमिटेड इलाहाबाद ने किया 5 लाख 41 हज़ार रुपये का गबन

हम आपको बता दें कि श्रावस्ती जिला प्रशासन ने खुद इसे घोटाला माना है, 20 हैंडपंप लगाने के लिए उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम लिमिटेड इलाहाबाद को इस बजट का 75 फीसदी रकम यानि 5 लाख 41 हज़ार रुपये संस्था को दे दिए गए, लेकिन संस्था ने निर्धारित समय में और जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित जगह पर हैंडपंप न लगवाकर पैसा अपने पास ही रोके रखा। यही नहीं संस्था ने शर्तों का उल्लंघन करते हुए बिना अनुमति के 20 हैंडपंप में से 12 इंडिया मार्का हैंडपंप निर्धारित सूची के अनुसार न लगाकर मनमाने ढंग से लगाया।
इस मामले में श्रावस्ती के सीडीओ कुमार हर्ष ने The CSR Journal से बातचीत करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम लिमिटेड इलाहाबाद को हमनें नोटिस जारी करके संस्था को अपना जवाब प्रस्तुत करने को कहा था। लेकिन संस्था ने इस पर अपना कोई जवाब नहीं दिया। ऐसे में विभाग की ओर से कराई गई जांच में कार्रदायी संस्था की ओर से 12 हैंडपंपों की राशि का गबन करना, 8 हैंडपंपों की स्थापना में एक को छोड़ कर शेष मानक के अनुरूप नहीं पाए गए। इसे सरकारी पैसों का दुरुपयोग मानते हुए 5 लाख 41 हज़ार रुपये का दुरुपयोग करने की पुष्टि होने पर हमनें कार्रदायी संस्था को ब्लैक लिस्ट कर दिया है।
बहरहाल जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूपी इन्वेस्टर समिट कर रहें है, निवेशकों को रिझाने के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में माहौल बना रहें है ताकि देश के बड़े कॉर्पोरेट्स यूपी में अपना कारोबार करें और सीएसआर के तहत पिछड़े यूपी को आगे लेकर जाएं। लेकिन सरकार की ही कंपनी अगर सीएसआर फंड के लाखों रुपयों का गबन करें तो यूपी में CSR का क्या हश्र होगा?