बिहार में आगामी Assembly Election 2025 को लेकर राजनीतिक दलों के बीच रणनीतिक बैठकों का दौर तेज हो गया है। इसी कड़ी में Communist Party of India के National General Secretary D. Raja ने बुधवार को पटना में नेता प्रतिपक्ष Tejashwi Yadav से मुलाकात की। यह बैठक बिहार विधानसभा में हुई, जिसमें भाकपा के अन्य वरिष्ठ नेता भी शामिल रहे।
बैठक में CPI की ओर से State Secretary Ramnaresh Pandey, Sanjay Kumar, Omprakash Narayan, और Awadhesh Kumar Rai जैसे राज्य स्तरीय नेता भी मौजूद रहे। भाकपा नेताओं ने बिहार में विपक्षी गठबंधन Mahagathbandhan की तैयारियों और सीटों के बंटवारे को लेकर विस्तृत बातचीत की।
राजनीतिक हालात और चुनावी रणनीति पर चर्चा
CPI के अनुसार, यह मुलाकात सिर्फ सीटों को लेकर नहीं थी, बल्कि देश की मौजूदा Political Situation, Opposition Unity, और बिहार में Electoral Strategy जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा हुई। D. Raja ने अपने आधिकारिक X अकाउंट से इस बैठक की तस्वीरें साझा कीं और मुलाकात को “सकारात्मक और उद्देश्यपूर्ण” बताया।
भाकपा सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने इस बैठक के दौरान बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 24 से अधिक सीटों पर दावेदारी का प्रस्ताव तेजस्वी यादव के समक्ष रखा। पार्टी की ओर से संभावित सीटों की Detailed List भी सौंपे जाने की खबर है।
सीटों को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं
हालांकि, बैठक के बाद न तो CPI और न ही RJD की ओर से कोई Official Statement सामने आया है। लेकिन राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज है कि भाकपा ने सीटों के बंटवारे को लेकर स्पष्ट रुख अपनाते हुए Constituency-wise Proposal तेजस्वी यादव को सौंपा है। तेजस्वी यादव ने reportedly भरोसा दिलाया है कि Coordination Committee Meeting में सभी घटक दलों को “सम्मानजनक और व्यावहारिक” सीटें देने पर चर्चा की जाएगी।
महागठबंधन की मजबूती पर फोकस
विशेषज्ञों का मानना है कि CPI की यह सक्रियता Left Parties की बिहार में राजनीतिक हिस्सेदारी को बढ़ाने की कोशिश का हिस्सा है। Mahagathbandhan में भाकपा, माकपा, भाकपा (माले), RJD, और कांग्रेस शामिल हैं। भाकपा इस बार मजबूत उपस्थिति चाहती है, खासकर उन इलाकों में जहां पार्टी का परंपरागत जनाधार रहा है।
यह मुलाकात आने वाले दिनों में सीटों के बंटवारे को लेकर होने वाले निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। गठबंधन की एकजुटता और तालमेल ही 2025 के चुनाव में विपक्ष की सफलता की कुंजी साबित होगी।