हमारी देश की महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। पुरुषों के साथ कंधों से कंधे मिलाकर देश की प्रगति में अपना योगदान दे रही है। थल, जल या वायु हर जगह और हर क्षेत्र में, कठिन से कठिन परिस्थितियों में महिलाएं पुरुषों के साथ या फिर उनसे आगे निकल रही है। आज की महिलाएं जीवन के हर क्षेत्र में नये शिखर छू रही हैं। विज्ञान का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। आम तौर पर यह माना जाता है कि विज्ञान पुरुषों के वर्चस्व वाला क्षेत्र है और महिलाएं महज कला , संस्कृति और अन्य मानविकी विषयों में ही महारत हासिल कर पाती हैं। लेकिन विज्ञान के प्रति अपनी ललक और प्रतिबद्धता से देश की अनेक महिलाओं ने रूढ़िवादी सोच को तोड़कर एक मिसाल कायम की है।
आज हमारे देश की महिला वैज्ञानिक मिसाइल कार्यक्रम से लेकर अंतरिक्ष अभियानों , दवाओं के विकास से लेकर अन्य मोर्चों पर सफलता की नई गाथा लिखते हुए देश-दुनिया की प्रगति व सुरक्षा में अपना अहम योगदान दे रही हैं। जब हम वैज्ञानिकों की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में स्टीफन हॉकिंग, आइज़क न्यूटन, एपीजे अब्दुल कलाम, सीवी रमन जैसे पुरुष वैज्ञानिकों की ही छवि उभर कर सामने आती है, न कि जानकी अम्माल, असीमा चटर्जी, अन्ना मणि जैसी महिला वैज्ञानिकों की। तमाम तरह की चुनौतियों के बावजूद इसरो में चंद्रयान मिशन हो या फिर मंगल मिशन की सफलता, नासा से लेकर नोबेल पुरस्कार तक हर क्षेत्र में हमारी महिला वैज्ञानिकों ने अपना लोहा मनवाया है।
ये है भारतीय महिलाएं जिसका विज्ञान के प्रति योगदान अतुल्यनीय है
11 फरवरी को The International Day of Women and Girls in Science है। तो चलिये जानते हैं विज्ञान की जादुई दुनिया में अपना परचम लहराने वाली कुछ महिला वैज्ञानिकों के बारे में और इस क्षेत्र में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में। जिस सदी में महिलाओं को घर की चारदीवारी में कैद करके रखा जाता था, उसी समय में सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर विज्ञान की दुनिया में कीर्तिमान स्थापित करने वाली कुछ महिला वैज्ञानिकों के नाम इस प्रकार हैं
असीमा चटर्जी – कैंसर, मिर्गी और मलेरिया रोधी दवाओं के विकास के लिये प्रसिद्ध हैं असीमा चटर्जी। Asima Chaterjee का जन्म 23 सितंबर 1917 को बंगाल में हुआ था। ये पहली भारतीय महिला थीं जिन्हें किसी भारतीय विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट ऑफ साइंस की उपाधि दी गई थी। 2006 में 90 साल की उम्र में इन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
अन्ना मणि – मौसम वैज्ञानिक के तौर पर मशहूर अन्ना मणि का जन्म 23 अगस्त 1918 को केरल के त्रावणकोर में हुआ था। इन्होंने सौर विकिरण, ओजोन परत और वायु ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया। 16 अगस्त 2001 को इनकी जीवन लीला समाप्त हो गई।
किरण मजूमदार शा – किरण विज्ञान की दुनिया में किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अहम योगदान देने वाली किरण मजूमदार ने डायबिटीज, कैंसर और आत्म प्रतिरोधी बीमारियों पर शोध के साथ ही एंजाइमों के निर्माण के लिये एकीकृत जैविक दवा कंपनी ‘बायोकॉन लिमिटेड’ की स्थापना की।
गगनदीप कांग – गगनदीप कांग दक्षिण भारत के वेल्लोर कृत्रिम चिकित्सा महाविद्यालय में स्थित एक क्लीनियन वैज्ञानिक है। वह दस्त रोगों पर एक प्रमुख शोधकर्ता है, जो बच्चों में रोटाविरल संक्रमणों पर एक प्रमुख शोध के साथ, और रोटावायरल टीके के परीक्षण पर केंद्रित है। गगनदीप कांग ने साल 1987 में एमबीबीएस पूरा कि और फिर साल 1991 में कृत्रिम चिकित्सा महाविद्यालय, वेल्लोर से माइक्रोबायोलॉजी में एमडी और साल 1998 में पीएचडी की। गगनदीप कांग एक चिकित्सा वैज्ञानिक है जिन्होंने दस्त रोगों पर काम किया है। उन्होंने 250 से अधिक वैज्ञानिक पत्र प्रकाशित किए हैं।
विज्ञान और शोध दोनों में अग्रसर भारतीय महिलाएं
हमारी महिला वैज्ञानिकों ने केवल विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में अतुलनीय कार्य किए हैं, बल्कि गणित, अंतरिक्ष और खगोल शास्त्र के क्षेत्र में भी शानदार उपलब्धियां हासिल की हैं। अंतरिक्ष की दुनिया में दमदार प्रदर्शन करने वाली इन महिलाओं के बारे में आपको ज़रूर जानना चाहिए
मुथैया वनिता – ये भारत में दूसरे चंद्रयान मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर थीं। मुथैया इसरो में इस स्तर का काम करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक हैं। इन्होंने मैपिंग के लिये इस्तेमाल होने वाले पहले भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह कार्टोसैट-1 और दूसरे महासागर अनुप्रयोग उपग्रह ओशन सैट-2 मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साल 2006 में इन्हें सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
रितु करिधल – चंद्रयान-1 मिशन में डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर रह चुकी रितु करिधल भारत के सबसे महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर थीं। साल 2007 में इन्हें इसरो के यंग साइंटिस्ट ऑवार्ड से सम्मानित किया गया।
टेसी थॉमस – भारत की मिसाइल महिला और अग्नि पुत्री के नाम से मशहूर टेसी थॉमस ने डीआरडीओ में अपने काम से सबका ध्यान आकर्षित किया। इन्होंने भारत की रक्षा प्रणाली को मजबूत करने में काफी योगदान दिया है।
कल्पना चावला – भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के बारे में छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हर कोई जानता है। कल्पना अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला थीं। वह 376 घंटे 34 मिनट तक अंतरिक्ष में रहीं। इस दौरान उन्होंने धरती के 252 चक्कर लगाए थे। 1 फरवरी 2003 को हुई अंतरिक्ष इतिहास की एक मनहूस दुर्घटना में कल्पना चावला सहित सातों अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई।
सुनीता विलियम्स – सुनीता विलियम्स अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के जरिये अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं। सुनीता विलियम्स ने एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में 195 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया।
आज के इस आधुनिक युग में महिलाएं धरती से आसमान तक हर जगह पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं, लेकिन आज भी उच्च शिक्षा से लेकर शोध संस्थानों व कार्यक्षेत्र तक, हर जगह पर उनके योगदान को उतना महत्व नहीं दिया जाता जितना कि एक पुरुष के योगदान को दिया जाता है। यही कारण है कि एक सर्वेक्षण से पता चला कि भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) के 1,044 सदस्यों में से केवल 89 महिलाएं हैं जो कुल संख्या का 9 फीसदी हैं। कुल मिलाकर यह कहना गलत नहीं होगा कि समय के साथ-साथ विज्ञान के क्षेत्र में भी महिलाओं ने मेहनत और लगन से अपनी एक अलग पहचान बनाई है; उनके आविष्कारों व प्रयोगों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उन्नति में चार चांद लगाए हैं लेकिन सरपट भाग रही इस विज्ञान की दुनिया में उनकी रफ्तार का पहिया अभी धीमा है।
इसलिए यथास्थिति में तेजी से बदलाव लाने के लिये हमारे परिवार, शैक्षणिक संस्थानों, कंपनियों और सरकारों, सभी को साथ मिलकर कार्य करना होगा। साथ ही, वैज्ञानिक जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाली महिलाओं की सफलता की कहानियां जन-जन तक पहुंचानी होंगी जिससे संकुचित मानसिकता वाले तबके की सोच में बदलाव लाया जा सके और देश की बेटियां बढ़-चढ़कर विज्ञान के क्षेत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें। इसलिए महिलाओं को प्रोत्साहन देने के लिए भारत ने कई पहल शुरू की है।
ये है कुछ पहल जिससे Indian Women अपनाकर रच सकती हैं इतिहास
देश में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के क्षेत्रों में महिलाओं को करियर बनाने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा 2019 से ‘विज्ञान ज्योति योजना’ चलाई जा रही है। इसके साथ ही, महिला वैज्ञानिकों को शैक्षणिक और प्रशासनिक स्तर पर अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से साल 2014-15 में ‘किरण योजना’ की शुरुआत की गई। स्टेम (STEM) के क्षेत्र में लैंगिक समानता का आकलन करने के लिये ‘जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस (GATI)’ कार्यक्रम शुरू किया गया।