बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन में नेतृत्व को लेकर एक बड़ी हलचल मच गई है। कांग्रेस ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को सीधा और स्पष्ट संदेश दिया है कि आगामी चुनाव में महागठबंधन के प्रचार अभियान का नेतृत्व कांग्रेस करेगी। कांग्रेस महासचिव नासिर हुसैन ने गुरुवार को पटना में कहा कि पार्टी अपने प्रमुख मुद्दों को न केवल गठबंधन के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल कराएगी, बल्कि सत्ता में आने पर उन्हें प्राथमिकता से पूरा भी करेगी। इस घोषणा से राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा गर्म हो गई है कि क्या कांग्रेस, आरजेडी और तेजस्वी यादव को यह बता रही है कि अब गठबंधन में ‘बड़े भाई’ की भूमिका में कौन रहेगा।
मेनिफेस्टो में कांग्रेस की छाप: आरक्षण पर बड़ा वादा
कांग्रेस महासचिव हुसैन ने अपनी प्रेस वार्ता में पार्टी के संकल्प को दोहराया। उन्होंने कहा कि अति पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को बढ़ाने का कांग्रेस का संकल्प है। उन्होंने उदाहरण दिया कि कांग्रेस शासित राज्यों- कर्नाटक और तेलंगाना में यह लागू किया जा चुका है और बिहार में भी इसे लागू करवाया जाएगा। यह स्पष्ट संकेत है कि कांग्रेस चाहती है कि उसके कोर मुद्दे महागठबंधन के एजेंडे में सबसे ऊपर रहें।
सीएम फेस पर सस्पेंस बरकरार: तेजस्वी पर चुप्पी क्यों?
नेतृत्व को लेकर कांग्रेस की आक्रामक मुद्रा का एक बड़ा पहलू तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने पर उसकी चुप्पी है। आरजेडी और वीआईपी जहाँ तेजस्वी को सीएम फेस के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं, वहीं राहुल गांधी से लेकर बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु तक, सभी आला नेता इस सवाल को टालते रहे हैं। अल्लावरु ने हाल ही में कहा था कि उनका तत्काल मुद्दा मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं, बल्कि “वोटों की चोरी कैसे रोकनी है” यह है।
सीट शेयरिंग पर अल्टिमेटम: 76 सीटों की डिमांड
इस बीच, अगले महीने विधानसभा चुनाव की घोषणा की संभावना के चलते सीट शेयरिंग का पेंच भी फँसता दिख रहा है। कांग्रेस ने तेजस्वी यादव को 76 सीटों की लिस्ट सौंपी है। पार्टी ने यहाँ तक चेतावनी दे दी है कि अगर सीटों के बँटवारे में देरी हुई, तो वह 30 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को प्रचार शुरू करने की ‘हरी झंडी’ दे देगी। कांग्रेस का यह सख्त रुख साफ बताता है कि वह अब बिहार की राजनीति में अपनी पुरानी ज़मीन वापस पाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।