अंता विधानसभा उपचुनाव से पहले एक सनसनी खड़ी करने वाला मामला सामने आया है, जिसमें भाजपा उम्मीदवार बनने का झांसा देकर पंचायत समिति प्रधान मोरपाल सुमन से ₹38,000 की धोखाधड़ी की गई। ठगों ने दिल्ली स्थित भाजपा कार्यालय का नाम लेकर उन्हें विश्वास दिलाया कि उनका टिकट फाइनल हो गया है और आगे के दस्तावेज तैयार करवाने की जरूरत है।
झांसा और ठगी का खेल
मुलाजिमों ने मोरपाल सुमन के मोबाइल पर फोन किया और खुद को दिल्ली भाजपा कार्यालय का व्यक्ति बताकर कहा कि उनका टिकट तय हो गया है। “दस्तावेज तैयार कराने के लिए ₹38,000 जमा करें,” कहकर उन्होंने सुमन के पुत्र दीनू को ऑनलाइन राशि भेजने को कहा। सुमन ने दावा किया कि कुछ राशि बैंक द्वारा होल्ड करवा दी गई, लेकिन अधिकांश रकम ठगों के खाते में चली गई। उन्होंने तुरंत स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।
भाजपा भी हुई हैरान
इस मामले पर भाजपा जिलाध्यक्ष Naresh Singh Sikarwar ने बताया कि रविवार सुबह उन्हें भी एक अज्ञात फोन आया था, जिसमें संभावित प्रत्याशियों के मोबाइल नंबर मांगे गए। उन्होंने 5–6 नाम संगठन को उपलब्ध करवाए थे। इसके बाद प्रधान सुमन का फोन आया और उन्होंने बताया कि उन्होंने पैसे दे दिए हैं। यह साइबर ठगी का मामला है, जिसमें भाजपा ने तुरंत कार्रवाई की बात कही।
राजनीति और साजिश के संकेत
यह धोखाधड़ी सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि चुनावी माहौल में राजनीतिक साजिश का संकेत भी हो सकती है। अंता सीट पर भाजपा के टिकट चयन को लेकर पहले से ही गुटबाजी चल रही थी। कई नामों की साख व विचारधाराएं हो रही थीं। इस घटना ने यह दर्शाया कि किस तरह गलत हाथ tokenism और electoral manipulation के नाम पर लोगों की आशाओं का दुरुपयोग कर सकते हैं।
पुलिस जांच और आगे की कार्रवाई
मोरपाल सुमन की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की है। बैंकिंग रिकॉर्ड, ट्रांजेक्शन ट्रेल और मोबाइल कॉल डिटेल्स खंगाली जा रही हैं। स्थानीय अधिकारी कह रहे हैं कि यदि ठगों की पहचान हो गई, तो उन्हें जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।
सीख और चेतावनी
यह मामला एक चेतावनी है — चुनाव से जुड़े false promises और political frauds हर स्तर पर हो सकते हैं। लोग अहंकार और लालच में फंस जाते हैं। लोकतंत्र को सुरक्षित रखने का मतलब है कि प्रत्याशियों और नेताओं को जवाबदेह बनाना भी जरूरी है।
इस वर्ष अंता उपचुनाव (11 नवंबर को मतदान) की तारीख घोषित हो चुकी है। इस धोखाधड़ी की घटना ने सीट की political significance को और बढ़ा दिया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या भाजपा इस संकट को संभाल पाएगी और जनता का विश्वास फिर से जीत पाएगी?