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July 23, 2025

बिहार में एक ऐसा शिक्षक, जिसके तबादले पर बच्चों के साथ रोए ग्रामीण

The CSR Journal Magazine
  यूं तो बिहार के शिक्षक अपनी कारस्तानियों के कारण अक्सर सुर्खियों में रहते हैं लेकिन एक ऐसा शिक्षक भी देखने को मिला, जिसके तबादले पर न सिर्फ स्कूली बच्चे फूट-फूटकर रो पड़े बल्कि पूरे गांव के लोगों की आंखें नम हो गई। विदाई के दौरान शिक्षक भी खुद को नहीं रोक सके और वह भी बच्चों को साथ रोने लगे।

शिक्षक मधुरेन्द्र ने छात्रों के बीच शिक्षा की जगाई अलख

हम बात कर रहे है सुगौली नगर के पवरिया टोला गांव स्थित नवसृजित प्राथमिक विद्यालय पवरिया टोला उर्दू सरकारी स्कूल की। जहां लगभग सात वर्ष से शिक्षा दे रहे एक प्रधानाध्यापक मधुरेंद्र कुमार के लिए विदाई समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान छात्रों की आंखें नम थीं और माहौल भावुकता से भर गया। कई छात्र तो अपने प्रिय शिक्षक की विदाई पर रो पड़े, वहीं कई अभिभावकों की भी आंखें भर आईं। मधुरेंद्र कुमार ने न केवल बच्चों को शिक्षा दी, बल्कि उन्हें बेहतर नागरिक और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी तैयार किया।

छात्रों का भविष्य संवारने में माता पिता से ऊपर है गुरु

शिक्षक मधुरेन्द्र कुमार ने बताया कि गुरु का दर्जा माता-पिता से भी ऊपर होता है। शिक्षक बच्चों के भविष्य को संवारने में अहम भूमिका निभाते हैं। यही वजह है कि शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच एक अनूठा रिश्ता बन जाता है। साथ ही उन्होंने कहा कि एक शिक्षक और छात्र का रिश्ता बेहद अनमोल होता है। वह छात्र के जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम करता है। स्कूल से लेकर कॉलेज और भविष्य की प्रतियोगिताओं के लिए उसे तैयार करता है, ताकि एक दिन जब वह अपने करियर की ऊंचाइयों पर पहुंचे। अपने उज्जवल भविष्य और उन्नति के लिए बच्चे आगे का सफर तय कर रहे हैं। उन्होंने बच्चों की सफलता, उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हम आशा करते हैं कि सभी बच्चे अनुशासन में रहते हुए लगातार उन्नति करेंगे और विद्यालय का नाम रोशन करेंगे।

विदाई समय अभिभावक भी अपनी आंखों को नम होने से नहीं रोक पाए

जब ऐसे शिक्षक की विदाई का समय आता है, तो छात्रों के आंसू थमने का नाम नहीं लेते। ऐसा ही एक भावुक दृश्य नगर के पवरिया टोला गांव के एक सरकारी उर्दू स्कूल में देखने को मिला। जहां बच्चे और उनके अभिभावक प्रधानाध्यापक की विदाई होते देख बिलख-बिलख कर रो रहे थे। बच्चे फूट-फूट कर अपने प्रधानाध्यापक के लिए रो रहें थें। जिससे देख बच्चों के अभिभावक भी अपने आंखों को नम होने से नहीं रोक नहीं पाये।

जीवन संवारने वाला होता है शिक्षक और छात्र का रिश्ता

आपको बता दें कि एक शिक्षक और छात्र का रिश्ता केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं होता, वह जीवन संवारने वाला रिश्ता होता है। ऐसे में जब कोई शिक्षक स्कूल छोड़ता है, तो उसका असर बच्चों और अभिभावकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ जाता है। यही दृश्य पवरिया टोला के इस स्कूल में भी देखने को मिला।

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