बिहार की Law Enforcement System एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। Bhagalpur Acid Murder Case में महिला को जबरन तेजाब पिलाकर मारने जैसे गंभीर Dowry Murder मामले में केस को कमजोर करने, जांच में लापरवाही और अभियोजन को प्रभावित करने के आरोप में Range IG Vivek Kumar ने बड़ी कार्रवाई की है।
उन्होंने 2 DSPs के खिलाफ Disciplinary Action की सिफारिश की है, जबकि 8 Sub-Inspectors (SIs) के खिलाफ Departmental Inquiry शुरू कर दी गई है। यह मामला न केवल पुलिस की लापरवाही का प्रतीक है, बल्कि Justice Delivery System में गहरी सेंध लगाने वाला साबित हो सकता है।
DSPs पर गंभीर आरोप: 6 साल तक नहीं दी Progress Report
2018 में Akbarnagar Police Station क्षेत्र में हुई इस घटना में विधि-व्यवस्था के तत्कालीन दो DSPs – Nisar Ahmad Shah और Dr. Gaurav Kumar ने पूरे छह वर्षों में एक बार भी Progress Report (PR) दाखिल नहीं की। IG Review में यह सामने आया कि दोनों DSPs ने इस संगीन केस की Monitoring तक नहीं की।
जबकि नियमानुसार, अपराध के 15 दिनों के भीतर PR दाखिल करना आवश्यक होता है। इस लापरवाही के कारण केस न्यायालय में कमजोर होता चला गया।
8 Sub-Inspectors की लापरवाही: 7 साल तक नहीं भेजा Viscera जांच के लिए
रजनी कुमारी की मौत के बाद उसका Viscera सात वर्षों तक Forensic Test के लिए नहीं भेजा गया। समीक्षा के दौरान IG ने पाया कि Investigation Officers ने बार-बार बदलने के बावजूद किसी ने भी इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया।
न्यायालय ने आखिरकार पुलिस की देरी को आधार बनाकर Viscera जांच कराने की अर्जी खारिज कर दी, जिससे Trial Proceedings पर प्रतिकूल असर पड़ा।
Acid Murder की भयावह घटना: Bathroom Acid से दी गई थी यातना
28 मार्च 2018 को रजनी कुमारी को उसकी Saas (Meera Devi) और Gothani (Archana Devi) ने जबरन बाथरूम की Floor Cleaning Acid पिला दी थी। यह हमला तब हुआ जब रजनी अपने पति धर्मवीर भाष्कर द्वारा किए गए दुर्व्यवहार की शिकायत कर रही थी। घटना के बाद पड़ोसियों ने रजनी के भाई को सूचना दी, जिसके बाद परिजन उसे Jawaharlal Nehru Hospital ले गए। इलाज के दौरान रजनी की मौत हो गई।
Police ने की धारा में हेरफेर, FIR को कमजोर करने की कोशिश
पहले Section 307 (Attempt to Murder) में केस दर्ज किया गया, लेकिन मौत के बाद पुलिस को Section 302 (Murder) और Dowry Prohibition Act के तहत केस दर्ज करना पड़ा। बावजूद इसके, जांच में Intentional Delay, Evidence Collection में लापरवाही और Progress Report के अभाव ने केस को लगभग समाप्ति की ओर धकेल दिया।
आरोपियों की लिस्ट में पति समेत ससुराल पक्ष के 8 लोग
रजनी ने जीवित रहते हुए अपने Fard Bayan में पति धर्मवीर भाष्कर, सास मीरा देवी, गोतनी अर्चना देवी, देवर परमवीर रजक और अन्य महिलाओं का नाम लिया था। कुछ दिनों बाद उसकी मृत्यु होने पर यह Dowry Death Case बन गया।
अब होगी Accountability तय?
Range IG Vivek Kumar द्वारा की गई यह कार्रवाई Bihar Police Accountability की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। हालांकि, सवाल यह है कि क्या अब भी न्याय मिलेगा, जब Critical Evidence पहले ही नष्ट या अनुपलब्ध हो चुका है?
इस मामले ने साफ कर दिया है कि Police Officers की Negligence सिर्फ व्यवस्था नहीं, बल्कि इंसाफ की नींव को भी हिला देती है।
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