बिहार की राजनीति के लिए आज का दिन ऐतिहासिक साबित होने जा रहा है। Janata Dal (United) के राष्ट्रीय अध्यक्ष Nitish Kumar आज एक बार फिर बिहार के Chief Minister के रूप में शपथ लेंगे। यह उनका 10th term as CM होगा, जो बिहार की राजनीति में एक रिकॉर्ड है। शपथ ग्रहण समारोह पटना में आयोजित किया जाएगा, जिसमें Prime Minister Narendra Modi, Home Minister Amit Shah, BJP National President JP Nadda, और NDA के कई शीर्ष नेता शामिल होंगे। राज्य और केंद्र – दोनों स्तरों पर यह समारोह नई राजनीतिक ऊर्जा और मजबूत नेतृत्व का प्रतीक माना जा रहा है।

NDA Legislature Party की बैठक में सर्वसम्मति से फैसला
19 नवंबर 2025 को पटना में NDA Legislature Party meeting आयोजित हुई, जिसमें नव-निर्वाचित विधायकों ने सर्वसम्मति से Nitish Kumar को NDA Legislature Party Leader चुना। इससे पहले जेडीयू की अंदरूनी बैठक में उन्हें JD(U) Legislature Party Leader चुना गया था।
बैठक मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित की गई, जहां सभी विधायकों ने यह प्रस्ताव स्वीकार किया कि सरकारी गठन की कमान एक बार फिर नीतीश कुमार को सौंपी जाए। इसके साथ ही बिहार की नई NDA सरकार आधिकारिक रूप से आकार लेने की दिशा में आगे बढ़ गई।
BJP की अंदरूनी बैठक में भी बड़ा फैसला
इसी दौरान, BJP State Headquarters, Patna में दूसरी अहम बैठक आयोजित हुई। इसमें Samrat Choudhary को BJP Legislature Party Leader और Vijay Kumar Sinha को Deputy Leader चुना गया। यह प्रस्ताव Uttar Pradesh Deputy Chief Minister Keshav Prasad Maurya, जिन्हें इस चुनाव के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक (Central Observer) नियुक्त किया गया था, ने रखा। बैठक में मौजूद सभी विधायकों ने इसे समर्थन दिया।
इस तरह लगभग तय हो गया है कि Samrat Choudhary और Vijay Sinha दोनों ही Deputy Chief Ministers के रूप में पूर्व की तरह अपनी भूमिका जारी रखेंगे।

10वीं बार रिकॉर्ड शपथ – नीतीश की राजनीतिक यात्रा पर एक नजर
बिहार राजनीति में Nitish Kumar वह नाम है, जिसने तीन दशक से अधिक समय में अपने नेतृत्व और स्थिर प्रशासन के माध्यम से एक विशिष्ट पहचान बनाई है। उनका नेतृत्व बिहार की राजनीति के कई उतार-चढ़ाव का साक्षी रहा है।
मुख्य बातें:
पहली बार मुख्यमंत्री बने: 2000
लंबे समय से बिहार NDA राजनीति के प्रमुख चेहरा
विकास, सड़क, शिक्षा और महिलाओं के सशक्तिकरण पर लगातार जोर
उनकी इस बार की वापसी को राजनीतिक विशेषज्ञ political stability and experienced leadership के तौर पर देख रहे हैं।


