app-store-logo
play-store-logo
November 11, 2025

Bihar: गोपालगंज में दहेज प्रथा का कहर, दस माह में 180 महिलाएं बेघर, 18 की हत्या

The CSR Journal Magazine
गोपालगंज जिले में दहेज प्रथा के चलते महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। सरकारी प्रयासों और जागरूकता अभियानों के बावजूद, इस गंभीर सामाजिक समस्या पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। साल 2025 में केवल जनवरी से अक्टूबर तक ही 180 महिलाओं को दहेज के लिए उनके घरों से बेघर किया गया, जबकि 18 महिलाओं की जान तक चली गई।

दहेज उत्पीड़न की गंभीर तस्वीर

दहेज के लिए हो रहे अत्याचार में कई प्रकार की हिंसा देखने को मिली। कुछ मामलों में बहुओं को जलाने का प्रयास किया गया, वहीं कई महिलाओं को जहर देकर मार डाला गया। स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक तंत्र अक्सर इन मामलों में त्वरित कार्रवाई नहीं कर पाने की शिकायतों का सामना कर रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स और अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दहेज उत्पीड़न की वारदातें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बढ़ती जा रही हैं। महिलाओं की सुरक्षा और उन्हें न्याय दिलाने के लिए प्रयासों के बावजूद, परिवारिक दबाव और सामाजिक मान्यताओं के चलते अपराध बढ़ रहे हैं।

महिलाओं की न्याय की मांग

पीड़ित महिलाओं ने अदालतों में इंसाफ की गुहार लगाई है और कई ने भरण-पोषण के लिए मामले दर्ज कराए हैं। कुछ मामलों में मध्यस्थता केंद्र और महिला हेल्पलाइन ने भी हस्तक्षेप किया, लेकिन इन कोशिशों के बावजूद पीड़िताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि दहेज उत्पीड़न रोकने के लिए केवल कानून पर्याप्त नहीं हैं। समाज में महिला अधिकारों के प्रति जागरूकता और पारिवारिक मानसिकता में बदलाव भी जरूरी है।

सरकारी प्रयास और जागरूकता अभियान

सरकार ने दहेज उन्मूलन के लिए कई अभियान चलाए हैं और जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए हैं। इन प्रयासों में महिलाओं को कानूनी सहायता, हेल्पलाइन नंबर और मध्यस्थता केंद्रों की जानकारी देना शामिल है। इसके बावजूद, गोपालगंज में दहेज हत्या और उत्पीड़न की घटनाओं में कोई खास कमी नहीं आई है।
स्थानीय प्रशासन की ओर से कहा गया है कि पुलिस लगातार मामलों की जांच कर रही है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। लेकिन पीड़ित महिलाओं और उनके परिवारों का कहना है कि उन्हें न्याय मिलने में काफी समय लग रहा है और कई बार उन्हें डर के कारण शिकायत दर्ज कराने में हिचक होती है।

समाज पर असर

दहेज उत्पीड़न न केवल पीड़ित महिलाओं के जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि परिवार और समाज पर भी गहरा असर डालता है। इस तरह की घटनाओं से महिलाओं में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ती है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ-साथ पारिवारिक मूल्यों में बदलाव लाने की जरूरत है। सामाजिक जागरूकता, महिला सुरक्षा योजनाओं और कानून का सख्ती से पालन ही इस समस्या का दीर्घकालिक समाधान हो सकता है।
गोपालगंज में दहेज प्रथा की वजह से महिलाएं लगातार शिकार बन रही हैं। दस माह में 180 महिलाओं को घर से निकाल दिया गया और 18 की हत्या हुई। सरकारी प्रयास, जागरूकता अभियान और महिला हेल्पलाइन के बावजूद समस्या जड़ें जमाए हुए हैं। विशेषज्ञ और समाजविद् दोनों का मानना है कि दहेज उन्मूलन के लिए सिर्फ कानून नहीं, बल्कि सामाजिक और मानसिक बदलाव भी आवश्यक है।
Long or Short, get news the way you like. No ads. No redirections. Download Newspin and Stay Alert, The CSR Journal Mobile app, for fast, crisp, clean updates!
App Store – https://apps.apple.com/in/app/newspin/id6746449540
Google Play Store – https://play.google.com/store/apps/details?id=com.inventifweb.newspin&pcampaignid=web_share

Latest News

Popular Videos