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November 22, 2025

Bihar Couple ने छोड़ेंगे न हम तेरा साथ ओ साथी की खाईं थीं कसमें, आखिरकार एक ही चिता पर हुआ दोनों का अंतिम संस्कार

The CSR Journal Magazine
Bihar: गया जिले के फतेहपुर थाना क्षेत्र के धरहरा कलां गांव से एक दुखद खबर सामने आई है। दीपक प्रजापति उर्फ दीपू और आरती नामक प्रेमी युगल ने झारखंड के सरायकेला में फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। दोनों ने प्रेम विवाह किया था, लेकिन उनके परिवार इस विवाह के खिलाफ थे। आरती ने पहले अपनी जान दे दी, उसके बाद दीपक ने भी उसी तरह फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। दोनों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया, जिसने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया।

प्रेम कहानी और पारिवारिक विरोध

दीपक और आरती की प्रेम कहानी लगभग तीन साल पहले शुरू हुई थी। दीपक की मुलाकात आरती से उनके ननिहाल निमी में रहने के दौरान हुई थी। दोनों अलग-अलग जातियों से थे, जिसके कारण उनके परिवारों ने इस रिश्ते का विरोध किया। इसके बावजूद वे दोनों मिले और अपने प्यार को जारी रखा। जब मामला गंभीर हो गया, तो लड़की के परिवार ने फतेहपुर थाना में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद दीपक को कुछ समय के लिए जेल जाना पड़ा।
जेल से बाहर आने के बाद, दोनों ने घर छोड़कर भागने और गुप्त रूप से शादी करने का फैसला किया। इसके बाद दोनों झारखंड के सरायकेला में रहकर किसी कंपनी में साथ काम करने लगे, लेकिन उनके परिवारों ने विवाह को स्वीकार नहीं किया।

आत्महत्या का दर्दनाक घटना

21 नवंबर को आरती ने अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। काम से लौटे दीपक ने अपनी पत्नी को फंदे पर लटका पाया और वह शोक और सदमे में पूरी तरह टूट गया। उसने पहले एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें उसने अपनी पत्नी के तनाव और पारिवारिक दबाव की पीड़ा व्यक्त की। वीडियो में दीपक ने कहा कि वह आरती के बिना जी नहीं पाएगा। इसके तुरंत बाद उसने भी फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी।

एक ही चिता पर अंतिम संस्कार

गांव में दोनों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया। इस घटना ने पूरे इलाके में शोक की लहर फैला दी। पंचायत से लेकर गांव के बुजुर्गों ने इसे अत्यंत दुखद और मार्मिक बताया। परिजन बेसुध होकर रोते रहे और बार-बार यही कहते दिखे कि “इनकी प्रेम कहानी ने पहले घर तोड़े, और अब दोनों की जान भी ले ली।”

समाज और परिवार के दबाव की पीड़ा

इस घटना ने समाज और परिवार के द्वारा प्रेम विवाह पर लगने वाले दबाव की गंभीरता को उजागर किया है। दीपक और आरती की कहानी यह दिखाती है कि जब प्यार और पारिवारिक विरोध के बीच संतुलन नहीं बन पाता, तो परिणाम कितना दुखद हो सकता है। यह मामला केवल व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह समाज में प्रेम विवाह और पारिवारिक स्वीकृति के मुद्दे पर भी सवाल खड़ा करता है।
दीपक और आरती की प्रेम कहानी ने शुरू में उम्मीद और खुशी का संदेश दिया था, लेकिन पारिवारिक असहमति और समाज के दबाव ने इसे त्रासदी में बदल दिया। दोनों ने अपने जीवन के अंत में यह संदेश दिया कि प्यार में बाधाओं के बावजूद मनुष्य की मानसिक स्थिति कितनी संवेदनशील हो सकती है।
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