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June 18, 2025

बिहार में Basera-2 Scheme में बड़ा खुलासा: 52% Landless Applicants ‘Not Fit’ घोषित, दलित-महादलित परिवार सबसे ज्यादा प्रभावित

बिहार सरकार की Basera-2 Scheme के तहत ज़मीन के लिए आवेदन करने वाले landless families में से 52% को “Not Fit for Land Allotment” घोषित कर दिया गया है। Revenue and Land Reforms Department की preliminary investigation में सामने आया है कि सैकड़ों eligible applicants को जानबूझकर ineligible बताकर योजना से बाहर कर दिया गया।
इस योजना का उद्देश्य homeless and landless families को घर बनाने के लिए 5 dismil land प्रदान करना है। अब तक 1.25 लाख से अधिक परिवारों का सर्वेक्षण हुआ, लेकिन इनमें से केवल 48,000 परिवारों को ही जमीन मिल सकी। Department Secretary Jai Singh ने हाल ही में एक video conference में इस आंकड़े को चिंताजनक बताते हुए जिला प्रशासन को दोबारा जांच के निर्देश दिए हैं।

जांच में उजागर हुआ भेदभाव

जांच में यह तथ्य सामने आया है कि कई जिलों में Dalit, Mahadalit और Musahar communities के बेहद गरीब परिवारों को भी “not fit” घोषित कर योजना से बाहर कर दिया गया। ऐसे में विभाग को शक हुआ कि स्थानीय स्तर पर COs (Circle Officers) और Revenue Officers ने जानबूझकर नियमों की अनदेखी की है।
राजस्व विभाग ने अब सभी जिलों को निर्देश दिया है कि “not fit” करार दिए गए सभी आवेदनों की दोबारा जांच की जाए। यह प्रक्रिया Abhiyan Basera mobile app के जरिए होगी, जिसमें “Re-Verify Rejected Applicant” नामक प्रपत्र में पुनः सर्वेक्षण की रिपोर्ट दर्ज करनी होगी।

अधिकारियों की मनमानी पर होगी सख्त कार्रवाई

अब तक जिन जिलों से रिपोर्ट आई है, उनमें स्पष्ट रूप से देखा गया कि कई blocks में अधिकारियों ने अपने मन से आवेदनों को खारिज कर दिया। खासकर, ज़मीन देने में पारदर्शिता और नियमों का पालन नहीं हुआ। विभाग ने worst performing districts से show cause notice जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और अब तक आधा दर्जन अधिकारियों पर disciplinary action भी लिया गया है।
Final inquiry report आने के बाद दोषी अधिकारियों पर suspension, departmental action और FIR तक दर्ज करने के निर्देश दिए जा सकते हैं।

हक से वंचित गरीबों में रोष

Landless Farmers Union के नेताओं का कहना है कि यह बहुत ही शर्मनाक है कि जिन लोगों को सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी, उन्हें ही इस योजना से वंचित कर दिया गया। “Musahar aur Mahadalit samaj के परिवार आज भी ज़मीन के बिना झुग्गियों में रह रहे हैं, और सरकार की ज़मीन देने की योजना में भी उन्हें ‘not fit’ बता दिया गया, यह घोर अन्याय है।”
उन्होंने मांग की कि केंद्र और राज्य सरकारों को इस मामले में विशेष हस्तक्षेप कर eligible beneficiaries को तत्काल ज़मीन आवंटन सुनिश्चित करना चाहिए।

आगे क्या?

राजस्व विभाग अब पुनः सर्वेक्षण के माध्यम से यह सुनिश्चित करना चाहता है कि कोई भी genuine applicant योजना से वंचित न रह जाए। इसके लिए non-revenue supervisory teams बनाई जा रही हैं, जो ज़मीनी स्तर पर सत्यापन करेंगी और रिपोर्ट सीधे मुख्यालय को भेजेंगी।
बिहार सरकार की Basera-2 Yojana गरीबों को छत मुहैया कराने की एक बड़ी योजना मानी जाती है, लेकिन इसकी साख अब सवालों के घेरे में है। यदि विभाग की सख्ती और पारदर्शिता बनी रही, तो उम्मीद की जा सकती है कि योजना अपने मूल उद्देश्य तक पहुंचेगी और ज़रूरतमंदों को उनका हक़ जरूर मिलेगा।

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