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October 16, 2025

रील्स का ‘रण’ बनाम रैली का मैदान: बिहार में बदली चुनावी जंग

The CSR Journal Magazine
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्रचार का तरीका पूरी तरह बदल चुका है। अब चुनावी जंग भीड़ भरे मैदानों से शिफ्ट होकर मोबाइल स्क्रीन और सोशल मीडिया फीड पर आ गई है। डिजिटल प्लेटफॉर्म सिर्फ प्रचार का माध्यम नहीं, बल्कि जनमत (Public Opinion) बनाने का मुख्य हथियार बन गया है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स (Twitter) पर नेताओं की उपस्थिति पहले से कहीं अधिक आक्रामक है, जहां चुनावी नारे अब रील्स में गूंज रहे हैं और विरोधी दलों पर वार मीम्स के जरिए हो रहे हैं। यह दौर है ‘डिजिटल राजनीति’ का, जहां जनता की राय लाइक, कमेंट और शेयर से तय हो रही है।

‘कैंपेन मोड’ में पार्टियां: मीम्स से मापा जा रहा जनता का मूड

इस बदलाव को देखते हुए जेडीयू, आरजेडी, बीजेपी और कांग्रेस सहित सभी प्रमुख पार्टियों ने अपने सोशल मीडिया सेल को फुल कैम्पेन मोड में डाल दिया है। तेजप्रताप यादव, संजय जायसवाल और सम्राट चौधरी जैसे बड़े नेता लगातार रील्स और लाइव के जरिए जनता तक पहुंच बना रहे हैं। राजनीतिक रणनीतिकार मानते हैं कि अब “डिजिटल मैनेजमेंट” ही ग्राउंड लेवल के प्रभाव को तय करेगा। दिनभर नेताओं के बयानों पर बने मीम्स और रील वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनके जरिए जनता का मूड भी मापा जा रहा है।

डिजिटल शक्ति: छोटी क्लिप्स बनीं प्रचार का नया हथियार

पहले जहां बड़े-बड़े पोस्टर और जनसभाएं प्रचार का प्रमुख जरिया थीं, वहीं अब छोटे वीडियो क्लिप्स और व्यंग्यात्मक मीम्स जनता के बीच चर्चा का विषय बन रहे हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि सोशल मीडिया अब बिहार के मतदाताओं के मानस को दिशा दे रहा है। साफ है कि 2025 का विधानसभा रण न केवल जमीन पर, बल्कि स्क्रीन पर भी उतना ही तीखा और आक्रामक होता जा रहा है।

सोशल मीडिया खर्च का सीक्रेट: चुनावी आयोग ने मांगा ब्योरा

राजनीतिक दलों ने सोशल मीडिया प्रचार पर खर्च काफी बढ़ा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सबसे अधिक खर्च भारतीय जनता पार्टी (BJP) कर रही है। हालांकि, विपक्षी दल भी करोड़ों रुपये कंटेंट क्रिएशन और रील्स पर खर्च कर रहे हैं। वर्तमान में सबसे बड़ा खर्च पेड प्रमोशन (विज्ञापन), रील्स निर्माण और इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग में हो रहा है। चुनाव आयोग ने सभी पार्टियों और प्रत्याशियों को चुनाव के 75 दिनों के भीतर पूरे सोशल मीडिया प्रचार खर्च का विस्तृत ब्योरा देने का आदेश दिया है, जिससे चुनाव के बाद ही सटीक आंकड़े सामने आ सकेंगे।

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