बिहार विधानसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे के गहमागहमी भरे दौर के ठीक बाद इस बार दीपावली का पर्व नेताओं के लिए थोड़ा ‘अजीब’ सा है। जहां एक ओर टिकट पाने वाले ‘भाग्यशाली’ उम्मीदवार जीत की उम्मीद में ज़ोर-शोर से प्रचार और दीपावली मिलन समारोहों की तैयारी में हैं, वहीं टिकट कटने वाले कई दिग्गज़ नेताओं के घरों में इस बार त्योहार की चमक थोड़ी फीकी पड़ गई है।
टिकट बंटवारे के बाद नेताओं की दीपावली: ख़ुशी की ‘रोशनी’ या टिकट कटने का ‘अंधेरा’?
अंदरूनी ख़बरों के मुताबिक, चाहे वह सत्ताधारी NDA खेमा हो या विपक्षी महागठबंधन, टिकट वितरण में हुई गुटबाज़ी और विद्रोह ने कई वरिष्ठ नेताओं की दीपावली की मिठास कम कर दी है। सूत्रों के अनुसार, कई सीटों पर बागी उम्मीदवारों की चुनौती ने पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व की चिंता बढ़ा दी है। दूसरी तरफ, जनसुराज जैसे नए राजनीतिक प्रयास भी ज़मीन पर अपनी जगह बनाने के लिए पूरी ताक़त लगा रहे हैं, जिससे इस चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।


