अविश्वास प्रस्ताव को लेकर जैसी आशंका थी वैसा ही हुआ। विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव भारी मतों से खारिज हो गया। सरकार को 325 मत मिले, जो विपक्ष के खाते से लगभग तीन गुना थे। संसद में टीडीपी ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा। प्रस्ताव पर 12 घंटे तक चर्चा हुई और मत विभाजन के बाद विपक्ष का को असफलता हाथ लगी। सदन में विपक्ष द्वारा लाया गया अविश्वाव प्रस्ताव 126 के मुकाबले 325 मतों से गिर गया। घंटों तक चले इस मैराथन चर्चा के बाद एनडीए सरकार ने विश्वास मत जीत लिया। सदन में 451 सदस्यों ने मत विभाजन में हिस्सा लिया, जिसमें से 126 वोट अविश्वास प्रस्ताव पर पड़े जबकि 325 मत इसके विरोध में, लेकिन इस अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सदन में कुछ ऐसा हुआ, जिसकी चर्चा सालों-साल तक होती रहेगी। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदन में हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला। झप्पी, ठहाके, आँख मारने और हंगामे से फुल रहा ये अविश्वास प्रस्ताव। संसद में जब आरोप प्रत्यारोप लगा तो जमकर हंगामा हुआ, जब सदन में कुछ ऐसी बातें बोली गयी तो ठहाकों की गूंज पूरे सदन में सुनाई देने लगी, ड्रामा भी खूब देखने को मिला। इन सब के बीच राहुल गांधी ने सरकार को घेरा तो वही पीएम मोदी बचाव करते नज़र आये। राजनीतिकरण के बीच पक्ष और विपक्ष दोनों ही भूल रही है अपनी सिटीजन सोशल रिस्पांसिबिलिटी, इनपर सिर्फ वोट बैंक और राजनीती ही हावी है।
चर्चा में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आक्रामक रहे। सरकार की नाकामियों को जो गिनवाना शुरू किया कि आखिर में सरकार के ही गले मिल लिए, राहुल गांधी ने अपने भाषण के अंत में मोदी की सीट पर जाकर मोदी को झप्पी दे डाली। राफेल डील को लेकर राहुल ने तीखा आरोप भी लगाया और नाटकीय अंदाज में मोदी से गले मिलने की घटना भी हुई। तब से माना जा रहा था कि मोदी का जवाब भी बहुत तीखा होगा। जब वक्त आया तो नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी के आरोपों का एक एक कर जवाब दिया। राहुल ने मोदी को राफेल में ‘भागीदार’ ठहराया तो उन्होंने इसे हथियार बनाते हुए कहा कि वह चौकीदार भी हैं और देश के करोड़ों गरीबों, युवाओं, कामगारों के सपनों के भागीदार भी। राहुल ने उन्हें अपनी आखों में देखने की चुनौती दी तो उन्होंने ‘नामदार परिवार’ पर परोक्ष तंज करते हुए कह दिया कि एक कामदार उनसे कैसे आखें मिला सकता है। लगभग डेढ़ घंटे के उनके भाषण में अधिकांश हिस्सा कांग्रेस के अतीत, साथियों के लिए कांग्रेस के व्यवहार, तुष्टीकरण की कांग्रेस की राजनीति पर केंद्रित रहा। राहुल के आंख मारने वाली हरकत पर प्रधानमंत्री ने तंज किया, ‘आंख की बात करने वालों की हरकतों को आज पूरे देश ने देख लिया कि आप कैसे आंख चला रहे थे।इन सब के अलावा नरेंद्र मोदी ने कालाधन, जीएसटी, आयुष्मान भारत और रोजगार जैसे कई मुद्दों पर सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। बैंकों के मुद्दों पर राहुल गांधी को करारा जवाब देते हुए मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने 2009 से 2014 तक देश के बैंकों को खाली कर दिया। आजादी के 60 साल में देश के बैंकों ने 18 लाख करोड़ रुपये कर्ज दिए थे। लेकिन 2008 से 2014 तक छह साल में यह राशि 52 लाख करोड़ रुपये हो गई। कांग्रेस जब तक सत्ता में रही बैंकों को लूटती रही। अब हमने इसकी जांच शुरू की। 12 बड़े मामलों में तीन लाख करोड़ रुपये की राशि फंसी है। यह राशि कुल एनपीए का 25 फीसद है। तीन बड़े मामलों में 45 फीसद रिकवरी भी हो चुकी है।
इस अविश्वास प्रस्ताव से मोदी सरकार को भले खतरा नहीं हुआ, लेकिन इस प्रस्ताव के जरिए विपक्ष और सरकार दोनों अपने मकसद में कामयाब जरूर हुए। राहुल ने राफेल डील का मामला उठाकर मोदी सरकार की भ्रष्टाचारमुक्त छवि को झटका दिया, वहीं विपक्ष के अन्य नेताओं ने नौकरियों से लेकर बैंक घोटाले के मुद्दे उठाकर मोदी सरकार पर हमले किए। भले ही विपक्ष ने मुद्दे अलग-अलग उठाए, लेकिन मकसद सरकार को घेरना ही था। यह विपक्ष की कामयाबी रही कि एनडीए की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना भी सरकार का साथ देने के लिए लोकसभा में मौजूद नहीं रही। वही सरकार भी कामयाब रही क्योंकि सरकार ने आरोपों का खंडन करते हुए सरकार का महिमा मंडन किया। बहस को आम चुनाव से पहले रिहर्सल की तरह देखा गया। चर्चा के दौरान सभी दलों का रुख भी उसी के अनुरूप रहा। बहरहाल शुक्रवार को हुए अविश्वास प्रस्ताव के बाद अब बहस छिड़ गयी है कि मोदी हिट हुए या फिर राहुल हीरो। लेकिन सबके बीच बड़ी बात ये कि, 12 घंटों की बड़ी बहस के दरमियान सभी दलों की तरफ से मुद्दों की राजनीतिकरण ही देखने को मिली, सरकार और विपक्ष शायद नैतिकता का पाठ भूल रही है क्योंकि विपक्ष और सरकार मुद्दों को लेकर आपस में भिड़े लेकिन किसी ने सिटीजन सोशल रिस्पांसिबिलिटी की बात नहीं की जिससे समाज में बदलाव आता है।