आसाराम बापू: अध्यात्म गुरु से बलात्कारी तक
बलात्कार के दोषी आसाराम अब मरते दम तक जेल की सलाखों के पीछे से बाहर नही आएंगे, अब बाहर आएगी तो उसकी मृत शरीर। संत आसाराम बापू के नाम से मशहूर आसूमल थाऊमल सिरुमलानी अब अंडर ट्रायल आरोपी से सजायाफ्ता मुजरिम हो गए है। एक नाबालिग पीड़िता से बलात्कार के मामले में जोधपुर की एक अदालत ने पाखंडी आसाराम को मृत्युपर्यंत कारावास की सजा दी है, कभी ऐशोआराम की जिंदगी जीने वाले आसाराम अब जिंदगी भर जेल में तिल तिल कर जिएंगे, कैदियों वालीनंबर छाप वर्दी पहनेंगे, सभी कैदियों को मिलने वाला खाना खाना होगा और क्षमतानुसार वे सारे काम भी करने होंगे, जो जेल के सजायाफ्ता कैदियों को सौंपे जाते हैं।
आसाराम के भक्तों के लिए यह किसी सदमे से कम नहीं है। कहां तो भक्तों के मन में बसे भव्य मंचों से नृत्य करते, पांच हॉर्सपॉवर की पिचकारी से होली खेलते, कृष्ण- कन्हैया बनकर बांसुरी बजाते, भक्तिनों के साथ झूला झूलते, दिग्गज नेताओं को आशीर्वाद देते, आसाराम बापू की छवि और कहां यह जेल में चक्की पीसने वाले मुजरिम की छवि! यह कोई फिल्मी कल्पना नहीं बल्कि कड़वी सच्चाई है, लेकिन आसाराम के आहत भक्त आज भी इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।
लाख धनबल, बाहुबल,सत्ताबल लगाने के बावजूद जब बाबाओं पर न्याय का डंडा पड़ जाता है तो उनके भक्तगण ताण्डव मचा देते हैं। राम रहीम के भक्तोंने सैकड़ों वाहन फूंक दिए थे, रेलें ठप कर दी, सरकारी संपत्ति को नष्ट कर दिया था और कई भक्तों ने तो सदमे में आत्महत्या तक कर ली थी। रामपाल के भक्तों ने तो आश्रम को ही किले में तब्दील कर दिया था, मजबूरन अर्ध-सैनिक बल बुलाना पड़ा था। इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए कभी सरकारें लचर दिखती है तो कभी पुलिस प्रसाशन।
ये पाखण्डी बाबाओं के भक्तों का दिमागी फितूर ही कुछ ऐसा हो जाता है कि वे अपने आराध्य में किसी दोष की कल्पना तक नहीं कर सकते। यही कारण है कि भक्त इन पाखंडियो के लिए ढाल बन जाते है और उनकी आड़ में अराजकता का नंगा नाच होता है।
राम रहीम, आसाराम या जाकिर नाईक उन दर्जनों ढोंगियों में शामिल हैं जिन्होंने निराश समाज को गुमराह कर अंधभक्ति का साम्राज्य खड़ा किया है, टेलिविजन के रुपहले पर्दे पर माया, मोह, अंहकार, लालच और वासना को गालियां देते ये ढोंगी बाबा समाज के उन लोगो को टारगेट करते है जिन्हें समाज में फैले बुराइयों और मन के कौतूहल को शांत करने के लिए आध्यात्म की तलाश रहती है, और ये ढोंगी और पाखंडी बाबा इन भटके हुए मन को अध्यात्म का सहारा दिलाते हुए अपने बस में कर लेते है।
सबकुछ तुरंत पाने वाली सोच परम आध्यात्मिक चेतना ही ऐसे पाखंडी और गुरुघंटालों से रूबरू करवाती है। इसीलिए बीच बीच में खुदसे यह सवाल करना जरूरी है कि खुद को गुरु बताने वालों की कथनी और करनी में कितना फर्क है? दूसरों को माया मोह का लेक्चरदेने वाला खुद कहां खड़ा है।
अगर यह सवाल नहीं करेंगे तो एक नहीं एक लाख आसाराम या राम रहीम पैदा होंगे। वे अपनेअनुयायियों की मजबूरियों का फायदा उठाएंगे, उनके बच्चों का यौन शोषण करेंगे। आज भारत को अपनी आस्था किसी ढोंगी बाबाके चरणों में गिरवी रखने वाले भक्तगणों की नहीं बल्कि अन्याय के खिलाफ लड़ रही लड़कियों और उनका साथ देने वाले स्वाभिमानी लोगों की है। हालफिलहाल की घटनाओं से समाज को धर्म के उन ठेकेदारों से सजग होने की सख्त जरूरत है। ताकिअब आध्यात्म का बलात्कार न हो सके।