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शहीद जांबाज औरंगजेब का बदला कब ?

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नरेंद्र मोदी जब सरकार के बाहर थे तो जनता से ही हुकारी भरवाते थे कि पाकिस्तान को सबक सिखाना है या नहीं, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को रोकना है या नहीं, जनता भी ताली पीट पीट कर मजे से हां बोलती, चुनावी प्रचार में मोदी जनता से दोनों हाथ उठवाकर समर्थन मांगते और कई वादे करते, देश की जनता ने दिल खोलकर समर्थन दिया लेकिन ना आतंकवाद की सूरत बदली और ना ही पाकिस्तान का रवैया। मोदी सरकार के चार साल पूरे होने के बाद भी कश्मीर के हालात जस के तस है, सर्जिकल स्ट्राइक और कुछ नीतिगत फैसलों के बाद भी पाकिस्तान बाज नहीं आ रहा, हर बार पाकिस्तान को करारा जवाब मिलने के बाद भी आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम नहीं लग पा रहा है, अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी पाकिस्तान बेनकाब हुआ बावजूद पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद बढ़ता ही जा रहा है। अमूमन हर दिन हमारे देश के जाबांज सिपाही आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो रहे है, अब वक़्त आ गया है कि पाकिस्तान के कायराना रवैये को कड़े शब्दों में निंदा नहीं बल्कि एक और सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान को सबक सिखाने की। आज देश गुस्से में है, हर दिन होते आतंकी हमलों से हमारे देश के जवान शहीद हो रहे है। कश्मीर में तैनात भारतीय सेना के जवान औरंगजेब ईद पर खुशियां मनाने घर आ रहे थे, लेकिन तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर पहुंचा। औरंगजेब घर जाने के लिए अपने शिविर से निकल चुके थे, लेकिन रास्ते में ही आतंकियों ने अगवा कर बेरहमी से हत्या कर दी। औरंगजेब की पोस्टिंग 44 आरआर में थी, वह पुंछ के ही रहने वाले थे।

बेटे के शहीद होने के गम ने ना सिर्फ पूरे परिवार में दुखों पर पहाड़ टूट पड़ा बल्कि पूरे देश में गुस्सा है, भले ही घर में मातम है लेकिन पूरे परिवार में अभी भी जज्बा है देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत है, औरंगजेब के परिवार में देश की सेवा में सिर्फ औरंगजेब ही नहीं बल्कि पिता भी सेना में रहकर देश की सेवा की है और भाई भी देश के लिए जान कुर्बान करने की माद्दा रखता है, बाप के लिए सबसे बड़ा बोझ उसके बेटे का जनाजा होता है, लेकिन इन सब से बेफिक्र 55 साल के औरंगजेब के पिता लोगो से अपील करता है कि देश की आन बान और शान के लिए सेना में अपने लाल को जरूर भेजें। पिता हनीफ और राजबेगम के दस औलाद में से औरंगजेब चौथे नंबर पर था। हनीफ का सबसे बड़ा बेटा मोहमद कासिम सेना में है। जबकी उनके दो छोटे बेटे मोहमद तारिक और मोहमद शबीर सशस्त्र सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे है। पाकिस्तान की इस शर्मनाक और कायरता से न सिर्फ औरंगजेब का परिवार देश की सरकार से सवाल कर रहा है बल्कि हर हिंदुस्तानी के जहाँ में एक ही सवाल है कि आखिरकार शहीद जांबाज औरंगजेब का बदला कब ?

औरंगजेब शनिवार को अपने गांव सलानी में सुपुर्द-ए-खाक हो गए, उन्‍हें पूरे सैन्‍य सम्‍मान के साथ अंतिम विदाई दी गई, इस दौरान हजारों लोगों की भीड़ औरंगजेब के अंतिम दर्शनों में गांव में उमड़ आई और लोगों की आंखें नम दिखी, गांव में हर कोई गमजदा दिखा, अंतिम दर्शन के दौरान शहीद जवान के सम्‍मान में ‘शहीद औरंगजेब अमर रहें’ के लोगों ने नारे लगाए, इस दौरान सेना के अफसर और जवान भी अपने इस साथी को अंतिम विदाई लेने के लिए यहां पहुंचे, इस दौरान लोगों ने ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे लगाए। इससे बाकी दुनिया में यह संदेश गया है कि आतंकियों द्वारा जारी नासमझी भरी हिंसा से आम कश्मीरी ऊब चुका है। पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ छेड़े गए इस युद्ध की वजह से करीब 27 साल से घाटी हिंसा की आग में जल रही है। इससे पहले कई बार ऐसी खबरें और तस्वीरें आती थी जब आतंकवादियों के साथ एनकाउंटर के दौरान सुरक्षाबलों पर पथराव होता था। कुछ लोग आतंकवादियों को बचाने के लिए जवानों के सामने ढाल बनकर खड़े हो जाते थे। लेकिन वक्त बदला है और आज की तस्वीरें देखकर भरोसा होता है कि अब कश्मीर में लोगों की सोच बदली है। लोग रोज-रोज के खून खराबे से तंग आ चुके हैं और आतंकवाद से परेशान हैं। कश्मीर की आम जनता आतंकवाद से मुक्ति चाहती है और अब सुरक्षा बलों के साथ है। शहीद जांबाज औरंगजेब का पूरा परिवार देश सेवा से लबरेज है और ऐसे ही कश्मीरी और ऐसी ही कश्मीरियत देश की मांग है जिससे ना सिर्फ कश्मीर में अमन और चैन बहाल होगा बल्कि कश्मीर एक बार फिर से धरती का स्वर्ग बन जायेगा।