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जिंदा है जिन्ना का जिन्न।

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भारत पाकिस्तान के बंटवारे का जिम्मेदार और पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर का नया मुद्दा सामने आया है, इस मुद्दे ने एक बार फिर से देश मे हिंदू मुस्लिम की राजनीति इतनी गर्म कर दी है कि राजनीतिक पार्टियों को बैठे बिठाए एक मुद्दा मिल गया, और इस मुद्दे से हिंदू मुस्लिम राजनीति करने वाले गदगद हैं। राम मंदिर, गाय, वंदेमातरम, तिरंगा यात्रा इन सब से अलग एक नया मुद्दा राजनीती के सिपासलहकारों ने हाथों हाथ ले लिया और एक बार फिर से ‘जिन्ना का ये जिन्न’ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पिटारे से निकला, जब अलीगढ़ के बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने यूनिवर्सिटी के वीसी को चिठ्ठी लिख कर पूछा कि एएमयू छात्रसंघ के हॉल में जिन्ना की तस्वीर क्यों लगा रखी हैं। जिस सतीश गौतम ने जिन्ना की तस्वीर हटाने की अब चिठ्ठी लिखी है वे तीन साल तक एएमयू कोर्ट के सदस्य रह चुके हैं, तब उन्हें तस्वीर हटाने का खयाल क्यों नहीं आया? पूरे मामले पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसे सेंट्रल यूनिवर्सिटी का मामला बता कर पल्ला झाड़ रहे हैं और देश के शिक्षामंत्री प्रकाश जावड़ेकर चुप्पी साधे हैं। वही सड़क पर हिंदू मुस्लिम संगठन एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए हो। एएमयू छात्रसंघ हॉल में जिन्ना की तस्वीर लगी हुई है, वे इसे न हटाने के लिए इतिहास से लेकर वर्तमान तक को कुरेद रहे है साथ ही ध्रुवीकरण की राजनीति के लिए जमीन तैयार करने के लिए सभी ने अपनी सहूलियत के हिसाब से मोर्चा भी संभाल लिया है। शिक्षा के मंदिर में सभी लोग राजनीतिक जमीन की तलाश में जुट गए है।

एक तरफ संघ और बीजेपी के समर्थक तस्वीर ही नहीं देशभक्ति पर भी सवाल खड़े करने लगे तो वहीं एएमयू में फोटो होने के समर्थकों ने तर्क रखा कि जिन्ना को विश्वविद्यालय छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता 1938 में दी गई थी। जिन्ना विश्वविद्यालय कोर्ट के संस्थापक सदस्य थे और उन्होंने दान भी दिया था। अब सोचने और ठंडे दिमाग से समझने की बात यह है कि क्या यह भी कोई विवाद है? अगर हां, तो देश में बीजेपी की सरकार केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर है, क्या करीब 1×1 फुट की एक फोटो को दीवार से उतारने के लिए स्पेशल कमांडोज के दस्ते की जरूरत पड़ती जो यह फैसला जल्दी नहीं लिया गया और इसे इतना बढ़ने दिया गया? आज के इस दौर में माहौल कुछ ऐसा हो गया है कि कोई भी मामूली विवाद हिंदू मुस्लिम का साम्प्रदायिक रंग अखितयार कर लेता है। जिन्ना विवाद भी कुछ इसी तरह रहा।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र संघ भवन में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगे होने पर छिड़ा वैचारिक विवाद अब हिंसक संघर्ष तक पहुंच गया है, बुधवार को एएमयू गेट पर प्रदर्शन कर रहे हिन्दू संगठनों से जुड़े कुछ छात्रों का पुलिस और विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ हिंसक संघर्ष हुआ जिसमें कई लोगों को चोटें भी आईं, फिलहाल स्थिति शांतिपूर्ण बताई जा रही है लेकिन तनाव लगातार बना हुआ है। दरअसल, एएमयू, बीएचयू और जेएनयू ये तीनों विश्वविद्यालय तभी से किसी न किसी रूप में विवादों में हैं जब से केंद्र में एनडीए सरकार आई है। पहले जेएनयू को कथित तौर पर राष्ट्रविरोधी ताकतों के अड्डे के रूप में प्रचारित करने की कोशिश की गई और वहां काफी विवाद हुआ, उसके बाद बीएचयू में भी राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों पर महीनों हंगामा चलता रहा और अब एएमयू में यही सारी चीजें देखने को मिल रही हैं। शिक्षा के मंदिर में साम्प्रदायिक विवाद देश की राजनीतिक व्यवस्था पर चोट ही है। चाहे जो हो आजादी के 71 साल बाद इस प्रकार से जिन्ना का जिन्न बाहर आना और उसके नाम पर विकृत राजनीति होना बेहद खतरनाक संकेत है। इसको यहीं पर रोकना होगा।